 
                  सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर कोष से कॉरिडोर निर्माण की अनुमति रद्द की… वृंदावन में खुशी की लहर. गोस्वामी समाज ने कहा “ठाकुर जी ने सुन ली प्रार्थना”
संवाददाता – अमित शर्मा, मथुरा
Mathura : आज बृज की धरती पर खुशी का माहौल है… हो भी क्यों ना… आखिर यूपी प्रशासन के खिलाफ 70 दिनों से चली आ रही लड़ाई में आज बृजवासियों को बहुत बड़ी राहत जो मिल गई है. दरअसल Supreme Court ने उत्तर प्रदेश सरकार की वृंदावन में श्री बांके बिहारी मंदिर के आसपास कॉरिडोर निर्माण के लिए मंदिर न्यास के कोष से 500 करोड़ रुपये के उपयोग की अनुमति के फैसले को वापस ले लिया है. इस फैसले से मथुरा के गोस्वामी समाज, ब्रजवासियों और मंदिर में पूजा करने वाली महिलाओं में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है. मंदिर के चबूतरे पर बैठीं महिलाओं ने ठाकुर जी को नमन करते हुए एक-दूसरे को बधाई दी और मिठाईयां बांटी. Supreme Court की पीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 15 मई 2025 को दिए गए अपने आदेश को रद्द कर दिया, जिससे मंदिर के कोष को कॉरिडोर परियोजना के लिए उपयोग करने की योजना पर ब्रेक लग गया है.
मंदिर न्यास कोष का नहीं होगा इस्तेमाल

Supreme Court की पीठ जिसमें न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची शामिल थे, उन्होने श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर परियोजना को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई की. उत्तर प्रदेश सरकार ने मंदिर के आसपास भीड़ प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कॉरिडोर बनाने की योजना बनाई थी जिसके लिए मंदिर न्यास के कोष से 500 करोड़ रुपये का उपयोग प्रस्तावित था. इस योजना को 15 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त मंजूरी दी थी, लेकिन स्थानीय भक्तों, गोस्वामी समाज और कुछ संगठनों ने इसका विरोध किया. विरोधियों का तर्क था कि मंदिर का कोष भक्तों द्वारा चढ़ाए गए दान का हिस्सा है, जिसका उपयोग केवल मंदिर की देखरेख, पूजा-अर्चना और श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए होना चाहिए.
कॉरिडोर निर्माण से होगा नुकसान

उन्होंने यह भी दावा किया कि Banke Bihari Temple Corridor निर्माण से मंदिर की ऐतिहासिक और धार्मिक संरचना को नुकसान पहुंच सकता है और आसपास के रिहायशी इलाकों पर असर पड़ सकता है. याचिकाकर्ताओं ने पर्यावरणीय प्रभाव और मंदिर की परंपराओं की रक्षा का मुद्दा भी उठाया. Supreme Court ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपने 15 मई 2025 के आदेश को वापस ले लिया. पीठ ने कहा कि मंदिर के कोष का उपयोग इस तरह की परियोजना के लिए करना उचित नहीं है. इसके लिए सरकार को वैकल्पिक स्रोतों से धन जुटाना चाहिए. कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया कि मंदिर प्रशासन और स्थानीय समुदाय की सहमति के बिना कोई बड़ा निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जाएगा.
वृंदावन की गलियों में जश्न का माहौल

Supreme Court का ये फैसला जैसे ही वृंदावन की कुंज गलियों में पहुंचा, खुशियों की लहर दौड़ पड़ी. वहीं मंदिर के चबूतरे पर बैठी महिलाओं ने ठाकुर जी को नमन किया और एक-दूसरे को बधाई दी… मंदिर में मौजूद भक्तों ने इसे “ठाकुर जी की कृपा” बताया. एक स्थानीय भक्त, राधा देवी ने कहा, “हमारी प्रार्थना सुन ली गई. बांके बिहारी का धन उनके भक्तों और मंदिर के लिए है, न कि कॉरिडोर के लिए”. गोस्वामी समाज के प्रतिनिधि गोविंद गोस्वामी ने कहा, “यह फैसला मंदिर की परंपराओं और ब्रज की संस्कृति की रक्षा के लिए ऐतिहासिक है”. स्थानीय व्यापारी और ब्रजवासी इसे मंदिर की स्वायत्तता की जीत मान रहे हैं.

 
         
         
        