
Manrega Women Power-पीलीभीत में नाला नहीं, आत्मनिर्भरता बहा रही है महिलाएं
संवाददाता-सकुश मिश्रा
❝जहां औरतों के हाथों में कुदाल हो और आंखों में आत्मनिर्भरता, वहां से निकलती है असली क्रांति❞
पीलीभीत ज़िले के अमरिया ब्लॉक की एक छोटी सी ग्राम पंचायत बिरहनी इन दिनों एक बड़ी सीख दे रही है—“Manrega Women Power” की ज़मीन पर उगती मिसाल बनकर। मनरेगा योजना के तहत यहां 27 महिलाएं नाले की सफाई में जुटी हैं, लेकिन उनका श्रम सिर्फ नाले नहीं बहा रहा—बल्कि ग़रीबी, परावलंबन और सामाजिक बेड़ियों को भी धो रहा है।
Manrega Women Power:नाला है बहाना, मकसद है सम्मान कमाना
गांव की ये महिलाएं सुबह घर का चूल्हा फूंकती हैं और फिर निकल पड़ती हैं मनरेगा के कार्यस्थल की ओर, जहां वे नाला सफाई जैसे कठिन कार्य को संपूर्ण निष्ठा और गर्व के साथ कर रही हैं। कई महिलाएं बताती हैं कि वे 2008 से लगातार मनरेगा से जुड़ी हुई हैं, और इस योजना ने उन्हें न सिर्फ काम दिया, बल्कि आत्मविश्वास भी लौटाया।
एक महिला कार्यकर्ता की बात मानें तो—
“हमें घर के पास काम मिल जाता है, इससे बच्चों की देखभाल भी हो जाती है और हाथ में पैसे भी आते हैं। अब किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।”
अधिकारी बोले—यह हैं योजना की असली ताक़त
अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी शुभम सक्सेना, खंड विकास अधिकारी दिनेश कुमार सिंह और डीसी मनरेगा वंदना सिंह ने जब इस कार्य का निरीक्षण किया तो वे दंग रह गए। उन्होंने खुद माना कि महिलाएं न सिर्फ योजना के क्रियान्वयन में, बल्कि इसकी सफलता की सबसे बड़ी धुरी हैं।
शुभम सक्सेना ने कहा—
“इन महिलाओं के श्रम में जो ऊर्जा है, वही असली विकास की गारंटी है। मनरेगा योजना तब ही सफल मानी जाएगी जब उसका लाभ वास्तव में ज़रूरतमंदों तक पहुंचे, और ये महिलाएं उसका जीवंत उदाहरण हैं।”
Manrega Women Power:मनरेगा: अब “मज़दूरी” नहीं, सम्मान की चिट्ठी है
मनरेगा को लेकर अक्सर आलोचना होती है—कभी फर्जी जॉब कार्ड, कभी बिचौलियों का बोलबाला। लेकिन बिरहनी की महिलाएं इस योजना की सच्ची सफलता का सबूत हैं। जब महिलाएं ही योजना की नायिका बनें, तो उसकी साख भी मजबूत होती है और सामाजिक प्रभाव भी।
Manrega Women Power: बच्चों के लिए प्रेरणा, समाज के लिए संदेश
इन महिलाओं को देखकर गांव की नई पीढ़ी को प्रेरणा मिल रही है। बेटे-बेटियां जब अपनी मां को कंधे पर कुदाल और माथे पर आत्मविश्वास लेकर जाते देखते हैं, तो उनके लिए “काम करना” सिर्फ ज़रूरत नहीं, सम्मान का प्रतीक बनता है।
बिरहनी की ये 27 महिलाएं बता रही हैं कि मनरेगा सिर्फ योजना नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता का रास्ता है। जहां औरतें नाले की गंदगी से देश की दिशा बदल रही हों—वहीं असली “Manrega Women Power” दिखती है।
उत्तर प्रदेश में इस योजना ने विशेष रूप से महिलाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ग्रामीण विकास मंत्रालय की 2024-25 की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में कुल 3.20 करोड़ जॉब कार्ड धारकों में से लगभग 1.62 करोड़ सक्रिय श्रमिक हैं, जिनमें से 52% महिलाएं हैं। यानी, करीब 84 लाख महिलाएं मनरेगा के तहत सक्रिय रूप से काम कर रही हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के साथ मिलकर मनरेगा ने स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के माध्यम से महिलाओं को कौशल विकास और स्वरोजगार के अवसर भी प्रदान किए हैं।