
जल जीवन मिशन भ्रष्टाचार
पानी की टंकी बनी शोपीस, भ्रष्टाचार की शिकार हुई योजना!
मैनपुरी: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी ज़िले में जल जीवन मिशन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। जी हां, कुछ ऐसा ही कहना है स्थानीय निवासियों का। दरअसल किशनी तहसील और करहल ब्लॉक के पलिया ग्राम पंचायत के तहत खुर्थनिया, वोझी, मढ़इया, कुआं, नगला बरी और अनूपपुर गांवों में 218.89 लाख रुपये की लागत से स्वच्छ पेयजल आपूर्ति के लिए योजना बनी, लेकिन इस योजना की रफ्तार आपको भी हैरान कर देगी। योजना शुरू होने के दो साल बाद भी आज तक लोग एक बूंद पानी को तरस रहे हैं। ठेकेदार की लापरवाही, अधिकारियों की उदासीनता और स्थानीय प्रशासन की चुप्पी ने इस योजना को ‘भ्रष्टाचार’ का नमूना बना दिया है। अब गांवों के लिए ये पानी टंकी एक शो पीस बनकर रह गई है, जहां लोग फोटो खिंचवाने आते हैं।
दो साल में नहीं लगी टोंटी, ना आया पानी
दरअसल इस योजना के तहत करीब 2100 ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल देने की बात कही गई थी, लेकिन आलम देखिये, दो साल बाद भी ज्यादातर घरों में अब तक टोटी भी नहीं लग पाई है। सप्लाई पाइपलाइन बिछाना तो दूर की बात है। काम के नाम पर गड्ढे खोदकर छोड़ दिए गए हैं, अरे भाई साहब दिखाना भी तो है कि,काम हो रहा है, भले ही आज नहीं हो रहा है, दो चार-साल बाद तो होगा ही।

ठेकेदार बिना मजदूरी दिए हो जाता है फरार
स्थानीय कर्मचारियों और ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार मजदूरों को पैसा दिए बिना गायब हो जाता है। इसका सीधा असर निर्माण कार्य पर पड़ता है, जिससे योजना अधर में लटक गई है। इस तरह जल जीवन मिशन भ्रष्टाचार और शोषण की मिसाल बनकर रह गया है।
अफसर मौन, जनता प्यास से बेहाल
शिकायत भी किससे की जाए, आप भी जानते हैं, हर तरफ भ्रष्टाचार का बोलबाला है, लिहाजा लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद कोई जवाबदेही तय नहीं की गई है। अधिकारी या तो निरीक्षण के नाम पर खानापूर्ति करते हैं या फिर शिकायत पर कान नहीं धरते।
कब मिलेगा ग्रामीणों को स्वच्छ जल?
अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर ग्रामीणों को उनका हक—स्वच्छ पेयजल—कब मिलेगा? क्या जल जीवन मिशन भ्रष्टाचार के इस मॉडल का कोई इलाज है? या ये भी एक और चुनावी वादा बनकर रह जाएगा?
हमारी जनता भी जानती है कि, चुनाव आएगा, तो कुछ उम्मीद जगेगी, नेता जी वोट की खातिर कुछ न कुछ तो करेंगे, चाहे वादा करें, या उद्धाटन। अगर उद्घाटन करते हैं तो कुछ सालों में पानी मिलने की संभावना है, और अगर केवल वादा करते हैं तो इंतजार और कितना लंबा होगा, ये बेचारी जनता भी नहीं जानती।