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Mandi Encroachment: ठाकुरद्वारा मंडी में बुलडोजर ने उड़ाई धूल, उजाड़े सपने
मुरादाबाद के ठाकुरद्वारा की मंडी में सोमवार को सुबह सूरज से पहले ही बुलडोजर ने दहाड़ मारी। मंडी समिति के अफसर अपनी फाइलें सीने से लगाकर आए, इंस्पेक्टर अनूप कुमार ने हांका लगाया — ‘कब्जा खाली करो!’
जिन गलियों में हर सुबह तरबूज-केला बिका करते थे, वहीं आज मिट्टी उड़ रही थी। मंडी इंस्पेक्टर का दावा — Mandi Encroachment हटाना जरूरी था, कब्जा सरकारी ज़मीन पर था।
व्यापारी बोले — ‘कब्जा नहीं साहब, यही हमारा चूल्हा था!’
Mandi Encroachment: कब्जा कैसे पनपा? कौन पनपाता रहा?
अब सवाल — ये Mandi Encroachment आज तो नहीं खड़ा हुआ! सालों से मंडी समिति के बाबू, अफसर और छुटभैया नेता इन्हीं दुकानों पर महीना बटोरते रहे।
कब्जा देख के आंख मूंद लेते थे। अब शासनादेश आया तो अचानक याद आया — ‘कानून!’
बुलडोजर निकला, फोटो खिंचे, अतिक्रमण हटाया गया, लेकिन अफसरों का पुराना खेल कोई नहीं पूछ रहा।
Fruit Traders Protest बोले- रोज़गार गया तो चोरी करेंगे क्या?
कई Fruit Traders Protest करते रहे। नारे लगे — ‘रोज़ी-रोटी पर बुलडोजर नहीं चलेगा!’
व्यापारी बोले — ‘मंडी में दुकान कम, जगह नहीं, तो क्या करे किसान-व्यापारी? खाली टोकरी लेकर घर बैठे?’
कइयों ने तंज कसा — ‘जिस बुलडोजर से कब्जा हटा रहे हो, उससे अफसरों की जेब भी खाली कराओ! जो सालों से हिस्सेदारी खा रहे थे!’
Mandi Encroachment: वैकल्पिक जगह के वादे पर फिर भरोसा?

मंडी समिति कह रही — ‘Encroachment हटाना मजबूरी थी, अब Fruit Traders को नई जगह देंगे।’
व्यापारी ठहाके में जवाब दे रहे — ‘कल देंगे, परसों देंगे! देते-देते बाल सफेद कर देंगे।’
सवाल वही — अगर दुकान हटानी थी तो वैकल्पिक दुकान पहले क्यों नहीं दी? क्या मंडी समिति को ये बात अब याद आई?
बुलडोजर से कानून चला या अफसरों की लीपा-पोती?
ठाकुरद्वारा मंडी में बुलडोजर ने कब्जा गिरा दिया, पर भरोसा भी गिरा दिया। लोग पूछ रहे —
‘कब्जा हट गया, अफसरों की जेब में सालों से जो अघोषित किराया जा रहा था, उसका क्या?’
अब मंडी में खामोशी है, बस टूटी दुकानों की ईंटें गवाही दे रही हैं — ‘यहां रोज़गार बसता था, अफसरों की चमचमाती कुर्सियों से ज्यादा पवित्र था।’
मंडी में बुलडोजर चले, लेकिन न्याय भी चले

 Mandi Encroachment -ठाकुरद्वारा मंडी में बुलडोजर की गूंज तो सुन ली आपने। अब देखना ये है कि मंडी समिति Fruit Traders को नई जगह देती है या नहीं।
अभी तो फल वाले हाथ में छाता लिए बैठे हैं — ‘कब्जा गया, अब धंधा कब लौटेगा?’
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: सलमान युसूफ
📍 लोकेशन: मुरादाबाद, यूपी
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