Mainpuri Medical Negligence:प्रसूता की ले ली जान!
Mainpuri Medical Negligence का मामला सिर्फ एक प्रसूता की मौत नहीं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की संवेदनहीनता का आईना है। मैनपुरी के सतीश नर्सिंग होम में जुड़वा बच्चों को जन्म देने के कुछ ही पलों बाद लक्ष्मी की मौत ने पूरे परिवार की खुशियाँ मातम में बदल दीं। परिजन डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। इस एक मौत ने Mainpuri Medical Negligence को प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की एक गूंगी चीख बना दिया है।
मैनपुरी, यूपी | 24 जून 2025 | संवाददाता: राजनारायण सिंह चौहान
Mainpuri Medical Negligence: मातृत्व से मातम तक का सफर
एक मां जो दो बच्चों को जन्म देकर इस दुनिया को छोड़ गई। एक परिवार, जो खुशी की तैयारी कर रहा था, अचानक मातम में डूब गया। मैनपुरी के सतीश नर्सिंग होम में सोमवार की रात जो हुआ, वो सिर्फ एक लापरवाही नहीं, एक ज़िंदा इंसान के आख़िरी सांसों का मज़ाक था।
जब प्रसव बना जिंदगी की आख़िरी पुकार

धारऊ गांव की 30 वर्षीय लक्ष्मी को प्रसव पीड़ा के चलते उसके पति और परिजन रात के अंधेरे में भागते हुए नगर के कचहरी रोड स्थित सतीश नर्सिंग होम लेकर आए। डॉक्टरों से उम्मीद थी कि मां और बच्चे दोनों सुरक्षित होंगे। रात में ही लक्ष्मी ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। लेकिन इसके कुछ ही मिनटों बाद उसकी तबीयत बिगड़ने लगी।
Mainpuri Medical Negligence: डॉक्टरों की चुप्पी और सिस्टम की संवेदनहीनता
लेकिन अस्पताल की घड़ी रुकी नहीं। डॉक्टरों की नब्ज़ें नहीं थमीं। और वो मां, जिसने नौ महीने तक अपने बच्चों को पेट में पाला, उसने ज़िंदगी से हार मान ली। परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया—वो कहते हैं, समय रहते ध्यान दिया गया होता, तो लक्ष्मी आज ज़िंदा होती।
शव के सामने रोते नवजात और गूंगी दीवारें
सुबह जैसे ही मौत की खबर फैली, गांव से दर्जनों लोग अस्पताल के बाहर पहुंच गए। शव को गेट पर रखकर इंसाफ की मांग की गई। मां के शव के पास रोते-बिलखते दो छोटे-छोटे नवजात, और सामने खड़े वो लोग जो बार-बार पूछ रहे थे, “क्या हमारा गुनाह सिर्फ इतना था कि हमने इलाज के लिए भरोसा किया?”
Maternity Death Mainpuri: इंसाफ का वादा, लेकिन भरोसे की कब्र

सीओ सदर संतोष कुमार सिंह खुद मौके पर पहुंचे। पुलिस ने माहौल को शांत करने की कोशिश की। लेकिन सवाल अभी भी वहीं थे। अस्पताल की लापरवाही से गई जान—और पोस्टमार्टम की रिपोर्ट पर टिकी उम्मीद। इंसाफ सिर्फ आश्वासन बनकर रह गया है।
पति की पुकार और सिस्टम की बेरुखी
पति ने बताया कि लक्ष्मी की हालत बिगड़ने के बावजूद डॉक्टरों ने समय पर सही इलाज नहीं किया। “वो बार-बार बोलती रही, लेकिन किसी ने सुना नहीं,” पति की इस एक पंक्ति में वो सब कुछ था, जो सिस्टम की बहरी दीवारों से टकराता रहा।
UP Healthcare Crisis: जब मां की मौत केवल आंकड़ा बन जाए
ये खबर सिर्फ एक महिला की मौत नहीं, उन तमाम माओं की चीख है, जो सरकारी आंकड़ों में ‘मेटरनल डेथ’ बन जाती हैं। ये मामला Mainpuri Medical Negligence का है, लेकिन असर पूरे प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था पर पड़ता है। जहां भरोसा मर रहा है, और जवाबदेही कहीं नहीं।
