
Realty Scam
अंसल ग्रुप की ‘Realty Scam’ से खुली भ्रष्ट सिस्टम की पोल!
लखनऊ की शहीद पथ स्थित सुशांत गोल्फ सिटी में Realty Scam का एक और अध्याय खुलकर सामने आ गया है। अंसल एपीआई ग्रुप ने लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की 411 एकड़ बंधक जमीन को बेच डाला, हजारों लोगों को मकान और प्लॉट का सपना दिखाकर करोड़ों की ठगी कर दी, और सरकार अब जाकर जागी है।
अब जाकर शासन ने मंडलायुक्त की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय जांच समिति गठित की है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि इस Real Estate Mafia के खिलाफ पहले कार्रवाई क्यों नहीं की गई ? क्या जब तक हजारों परिवार बर्बाद नहीं हो जाते, तब तक भ्रष्टाचार की फाइलें नहीं खुलतीं?
Realty Scam:दिवालिया हो चुका है अंसल ग्रुप, फिर भी बेची बंधक जमीन!
Realty Scam की पोल 25 फरवरी को तब खुली जब NCLT (नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल) ने अंसल कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया। कारण था एक फाइनेंस कंपनी के ₹83 करोड़ का बकाया न चुका पाना। इसके बाद सामने आया कि 5000 से ज्यादा लोग, जिन्होंने मेहनत की कमाई से मकान या प्लॉट खरीदा था, वो आज खाली हाथ हैं।
हैरत की बात ये है कि अंसल एपीआई ने जिन जमीनों पर प्लॉटिंग की, वो न तो उनके मालिकाना हक में थीं और न ही वैध थीं। LDA के नाम बंधक रखी गई 411 एकड़ जमीन को ही बेचना इस स्कैम की सबसे बड़ी परत खोलता है। इससे भी चौंकाने वाली बात यह कि ग्राम सभा और सरकारी जमीनों पर बिना अधिकार निर्माण कर डाला गया।
Realty Scam अब सिर्फ एक प्राइवेट कंपनी की धोखाधड़ी नहीं रह गया, बल्कि यह सरकारी तंत्र की मिलीभगत और लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण बन गया है।
Realty Scam:क्यों नहीं बनता कोई कड़ा कानून?
ये पहला मामला नहीं है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, लखनऊ – हर बड़े शहर में ऐसे Realty Scam समय-समय पर सामने आते हैं। लेकिन सरकार अब तक कोई ऐसा ठोस कानून क्यों नहीं ला पाई, जिससे रियल एस्टेट माफियाओं की कमर टूटे?
क्या सिर्फ जांच समिति बनाकर, प्रेस रिलीज़ भेज कर, और कागजी कार्रवाई से हजारों परिवारों की बर्बादी का हिसाब चुकता किया जा सकता है? अंसल ग्रुप जैसे नामचीन बिल्डरों को संरक्षण देने वाले अफसरों की भी जांच होनी चाहिए, क्योंकि बिना अंदरूनी मिलीभगत के ये स्कैम संभव ही नहीं था।
जांच के नाम पर दिखावा, जनता फिर ठगी
12 जून को समिति की पहली बैठक बुलाई गई है, जिसमें जांच के पांच बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी गई है। इन बिंदुओं में शामिल हैं:
सरकारी, ग्राम सभा और चकमार्ग पर कब्जा और बकाया।
LDA की बंधक जमीन किसने बेची और कैसे।
अधूरे टाउनशिप कार्यों पर खर्च का आकलन।
बिना मालिकाना हक के जमीनें किन्हें आवंटित की गईं।
कंसोर्सियम सदस्यों की पूरी खरीद-बिक्री रिपोर्ट।
लेकिन सवाल ये है कि क्या इस रिपोर्ट के बाद अंसल ग्रुप के मालिकों को जेल होगी? क्या ठगे गए लोगों को उनकी जमीन और पैसा वापस मिलेगा? या ये एक और जांच बनकर फाइलों में धूल फांकेगा?
Realty Scam:अंसल ग्रुप की साख मिट्टी में, जनता की जमीन हड़प ली गई
Realty Scam ने ये साफ कर दिया है कि बड़े बिल्डर, सरकारी तंत्र की नाक के नीचे, जनता को लूट सकते हैं और फिर दिवालिया घोषित होकर आसानी से बच भी सकते हैं। अंसल ग्रुप की साख अब लखनऊ की सड़कों पर बिखरी पड़ी है, लेकिन प्रशासन की सख्ती अब भी नदारद है।
यह केस न सिर्फ रियल एस्टेट के भ्रष्ट चेहरे को बेनकाब करता है, बल्कि सिस्टम के पंगुपन की भी याद दिलाता है।