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जब मोहब्बत पर समाज ने ऊंगली उठाई, तो उठ गया भोलेनाथ का कांवड़
Love Marriage Kanwar Yatra ने उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में ऐसा रंग दिखाया, जो शायद ही किसी ने देखा हो। मध्य प्रदेश के सौरभ नामदेव और खुशबू ने जब प्रेम विवाह किया, तो न मंदिर ने मना किया, न कानून ने। पर समाज… समाज ने आंखें तरेरीं, ताने कसे और पंचायतों ने नाक-भौं सिकोड़ीं। और इन सबका जवाब था – हरिद्वार से उठाई गई कांवड़!

ये कोई धार्मिक पर्यटन नहीं था। यह प्रेम की सामाजिक ‘धुलाई’ के बाद आस्था से धोने की कोशिश थी। वो भी पूरे 650 किलोमीटर की पैदल यात्रा से – हरिद्वार से अपने गांव तक।
Love Marriage Kanwar Yatra:एक मोहल्ले का प्यार, पर मोहल्लेवालों ने ठुकराया
Love Marriage Kanwar Yatra का नायक-नायिका कोई बॉलीवुड जोड़ा नहीं, बल्कि वो दो प्रेमी हैं जो एक ही मोहल्ले में पले-बढ़े। जहां एक साथ गली में खेलना कभी मासूमियत था, वहीं जवानी में मोहब्बत कर बैठना ‘गुनाह’ बन गया। परिवार खफा, गांव नाराज़ और समाज का ठप्पा – “ये तो हद कर दी!”

लेकिन कहते हैं न – जहां तर्क खत्म होते हैं, वहां आस्था शुरू होती है। यही किया खुशबू और सौरभ ने। जब कोई नहीं समझा, तो भगवान शिव को अपना गवाह बनाया।
Love Marriage Kanwar Yatra:आस्था की पदयात्रा: 650 किलोमीटर का ‘प्यार प्रूफ’। Yatra
हरिद्वार से शुरू हुआ यह प्रेम और प्रायश्चित का सफर अब तक का सबसे अनोखा कांवड़ यात्रा किस्सा बन गया है। चिलचिलाती गर्मी, छाले पड़े पांव और रास्ते भर भक्ति गीत – मगर थकावट नहीं। क्योंकि यह सिर्फ जल भरने की यात्रा नहीं, बल्कि तानों से तरबतर मोहब्बत की सफाई थी।
Love Marriage Kanwar Yatra करते हुए खुशबू कहती हैं – “हमने कोई पाप नहीं किया। शादी की है, चोरी नहीं। लेकिन अगर किसी को लगता है कि हमसे गलती हुई, तो हम भोलेनाथ के चरणों में हैं।”
Love Marriage Kanwar Yatra:क्या कांवड़ से पिघलेगा समाज?
अब सवाल उठता है – क्या यह कांवड़ यात्रा गांववालों की सोच को पिघला पाएगी? क्या हरिद्वार से गांव तक का यह सफर समाज की उस ज़िद को तोड़ पाएगा जो आज भी प्यार को ‘मर्यादा का उल्लंघन’ मानती है?

समाज और पंडितों का रवैया भले अभी कठोर हो, लेकिन जिस तरह इस जोड़े ने भक्ति और प्रेम का मेल दिखाया है, वह मिसाल बन सकती है।
Love Marriage Kanwar Yatra ये सिर्फ शिवभक्ति नहीं, समाजभक्ति है।
Love Marriage Kanwar Yatra इस बात का सबूत है कि आज की पीढ़ी सिर्फ इश्क नहीं करती, बल्कि उसे समाज की चौखट पर टिकाने के लिए तप भी करती है। सौरभ और खुशबू ने समाज को सिर झुकाने के लिए मजबूर तो किया है, अब देखना ये है कि गांव में इनका स्वागत होगा या फिर बहिष्कार। लेकिन इतना तो तय है – भोलेनाथ के नाम पर उठाया गया ये कांवड़ किसी खिताब से कम नहीं!
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: सुरेंद्र सिंह भाटी
📍 लोकेशन: बुलंदशहर, यूपी
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