Land Encroachment-संभल में अवैध अतिक्रमण पर बुलजोडर

Land Encroachment- नक्शे में नहीं मिला “धार्मिक स्थल , बुलडोज़र ने कर दी छुट्टी!”

Land Encroachment के नाम पर की गई कार्रवाई ने एक बार फिर आस्था और प्रशासन के बीच संतुलन की बहस को हवा दे दी है। संभल की मस्जिद को लेकर उठे विवाद ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या धार्मिक स्थलों की पहचान सिर्फ नक्शों से तय होगी?

संभल। संवाददाता- रामपाल सिंह

📍 Land Encroachment का नया अवतार:आस्था और अतिक्रमण

20 जून 2025।Land Encroachment यानि अवैध अतिक्रमण कोई नया खेल नहीं है, लेकिन इस बार मैदान संभल का था।संभल की वो सरकारी ज़मीन, जिस पर एक ज़माने में आम के बाग लहलहाते होंगे, अब आस्था और अवैधता की मिली-जुली कॉलोनी बन चुकी थी — मस्जिद की मीनारें, 34 पक्के आशियाने। नगर पालिका 15 दिन पहले चेतावनी दे चुकी थी: “भाई साहब, खुद से हटा लीजिए, वरना बुलडोजर खुद बताएगा आपके निर्माण का वास्तु दोष।” लेकिन जवाब आया — “अल्लाह का घर ज़मीन का मोहताज नहीं!” सरकार बोली — “बिलकुल नहीं! लेकिन सरकारी ज़मीन से मोहब्बत थोड़ी कम करिए।”

📣 Land Encroachment-SDM, CO और सरकारी ‘सर्जिकल स्ट्राइक’

फिर जो हुआ, वो इबादत नहीं, सरकारी इनक़लाब था। SDM विनय मिश्रा और CO अनुज चौधरी जब लाव-लश्कर के साथ पहुँचे, तो गलियों में सिर्फ़ “अल्लाह-हू-अकबर” नहीं, बुलडोज़र की “आमीन” भी गूंज रही थी। छतें कांपीं, दीवारें चटक गईं, और हर एक ईंट ने जैसे फुसफुसा कर कहा — “हम यहां किरायेदार थे, मालिक तो पालिका है!” पालिका की पांच बीघा ज़मीन पर कब मस्जिद उग आई, कब बगल में पूरे 34 मकान उग आए — न कोई फ़तवा आया, न कोई फ़ाइल। लेकिन नींद अब खुली, तो सरकार ने नारा दिया — “नक्शा दिखाओ, वरना नाश तय है।”

34 मकान और 1 मस्जिद — अवैधता की आधिकारिक सूची में दाखिल

अवैध अतिक्रमण का ये मॉडल मानो बना ही था बुलडोजर की परीक्षा के लिए। कोई गरीब नहीं था, हर मकान में बिजली, पानी, और कुछ में तो टाइल्स भी। यानी आस्था से ज़्यादा सुविधा!

संभल में Land Encroachment पर प्रशासन का चला बुलडोजर
संभल में Land Encroachment पर प्रशासन का चला बुलडोजर


बुलडोज़र की गूंज के साथ ही सोशल मीडिया पर शोर मच गया — “मजहब खतरे में है!” लेकिन सवाल सीधा है — क्या कोई भी ‘मस्जिद’ सिर्फ दीवारों से बनती है, या फिर नक्शे से भी कोई वास्ता होता है? क्या आस्था का मतलब ये है कि सरकारी ज़मीन पर बस एक मीनार खड़ी कर दी जाए और कह दिया जाए कि अब यहां खुदा है?

🔥Land Encroachment- सियासत की सहमति, प्रशासन की सख्ती

एक वक़्त था जब किसी धार्मिक स्थल की ओर निगाह भी जाती थी तो ‘धार्मिक सौहार्द’ का ढोल पीट दिया जाता था। लेकिन अब? अब सरकार कहती है — “फाइल में नाम नहीं, नक्शे में निशान नहीं, तो बुलडोज़र ही भगवान है।”

“ये ज़मीन हमारी नहीं थी, लेकिन सरकार की नींद अब क्यों खुली?”

संभल में Land Encroachment पर प्रशासन का चला बुलडोजर
संभल में Land Encroachment पर प्रशासन का चला बुलडोजर(फाइट फोटो)

प्रश्न बड़ा है: जब ये कब्ज़ा सालों से था, तब क्या पालिका सो रही थी? क्या अफसर आंखें मूंदकर प्रमोशन ले रहे थे? या क्या मज़हबी भावनाओं के नाम पर जानबूझकर आँखें फेर ली गईं?
अगर ज़मीन सरकारी थी, तो कब्जा हटाना जायज़ था।
अगर कब्जा धार्मिक था, तो वर्षों से क्यों बर्दाश्त किया गया?
और अगर सरकार अब बुलडोज़र से ‘श्रद्धा और कानून’ का हिसाब एक साथ कर रही है — तो फिर तैयारी कीजिए, अगली आस्था आपकी हो सकती है।

More From Author

Ali Khamenei शहीद? तीन उत्तराधिकारियों के नाम पर चर्चा तेज !

Supreme Leader Of Iran Ali Khamenei शहीद? तीन उत्तराधिकारियों के नाम पर चर्चा तेज !

International Yoga Day 2025

International Yoga Day 2025: दिल्ली-NCR की टीम ‘ASK’ ने योग के प्रचार-प्रसार से जीता दिल

5 1 vote
Article Rating
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

बिहार की ऐतिहासिक जीत पर PM मोदी का संबोधन

सौ. BJP