 
                  Ladakh Protest: पूर्ण राज्य की मांग और प्रदर्शन का दौर
Ladakh Protest Update
Leh-Ladakh Protest: लद्दाख में छठी अनुसूची और राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर चल रहा जनआंदोलन अब उग्र मोड़ पर पहुंच गया है। लेह में विरोध प्रदर्शन के दौरान हालात अचानक बिगड़ गए, जब प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। इस हिंसा में अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है और 70 से अधिक घायल हुए हैं।
वहीं, पूरे देश में जलवायु और सामाजिक मुद्दों पर अपनी शांतिपूर्ण पहल के लिए पहचाने जाने वाले सोनम वांगचुक ने 15 दिनों से जारी उपवास को समाप्त करते हुए युवाओं से हिंसा छोड़कर शांतिपूर्ण रास्ता अपनाने की अपील की है। वांगचुक ने स्पष्ट रूप से कहा कि आगजनी और टकराव जैसे कदम आंदोलन की नैतिकता को कमजोर करते हैं और इससे मूल मुद्दा पीछे छूट जाता है।
Ladakh Protest: शांति बनाए रखने की अपील
सोनम वांगचुक ने अपने समर्थकों से कहा,
“हमारा संघर्ष सही है, लेकिन हमें उसका तरीका भी सही रखना होगा। मैं युवाओं से अपील करता हूं कि आगजनी और झड़पों से दूर रहें। हमारी ताकत हमारी अहिंसा में है। प्रशासन से भी आग्रह है कि बल प्रयोग न किया जाए।”
वांगचुक ने यह भी जोड़ा कि किसी की जान जाए बिना आंदोलन सफल होना चाहिए। उन्होंने प्रशासन से भी संयम बरतने की मांग की।

प्रशासन सख्त, प्रदर्शन और रैली पर प्रतिबंध
हिंसक घटनाओं के बाद लेह प्रशासन ने जिले में सभी प्रकार के प्रदर्शन, रैलियों और लोगों के जमावड़े पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। यह आदेश जिला मजिस्ट्रेट रोमिल सिंह डोंक (IAS) द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 163 के अंतर्गत जारी किया गया है।

प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि बिना अनुमति के किसी भी प्रकार का जुलूस, लाउडस्पीकर का प्रयोग, या सार्वजनिक भाषण निषिद्ध रहेगा। आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
सरकार से बातचीत, लेकिन समाधान अभी बाकी
लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA) की ओर से लंबे समय से लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने और पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की जा रही है। कई दौर की वार्ताएं अब तक बेनतीजा रही हैं। अगली बैठक 6 अक्टूबर को गृह मंत्रालय के साथ प्रस्तावित है।
LAB और KDA ने साफ किया है कि जब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकलता, तब तक उपवास और आंदोलन जारी रहेगा। LAB के सह-अध्यक्ष चेयरिंग दोरजे ने बताया कि लोगों का धैर्य अब जवाब देने लगा है, लेकिन संगठन अब भी शांति के पक्ष में है।
समाधान संवाद से ही संभव
लद्दाख का आंदोलन अब एक संवेदनशील मोड़ पर है। जहाँ एक ओर जनता की मांगें जायज़ हैं, वहीं हिंसा के कारण आंदोलन की दिशा भटकने का खतरा है। सोनम वांगचुक जैसे नेताओं की अपील यही बताती है कि संविधान और शांति के दायरे में रहते हुए ही न्याय की उम्मीद की जा सकती है।

 
         
         
        