Justice Protest: कौशाम्बी में ब्राह्मण समाज का फूटा गुस्सा
Justice Protest: कौशाम्बी में ब्राह्मण समाज का फूटा गुस्सा, शव रखकर किया हाईवे जाम
📍लोकेशन-कौशांबी
🎤 संवाददाता-दीपक कुमार पांडेय
उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी ज़िले के सैनी कोतवाली क्षेत्र में एक पिता ने बेटे को न्याय दिलाने की कोशिश में अपनी जान गंवा दी, और अब Justice Protest की आग पूरे लोहदा गांव में धधक रही है। रामबाबू तिवारी का शव जब गांव पहुंचा तो उनके परिजन और ग्रामीणों ने शव को हाइवे पर रखकर कानपुर-प्रयागराज मार्ग को पूरी तरह से जाम कर दिया।
हंगामे के बीच पुलिस ने बल प्रयोग कर जाम खुलवाया लेकिन सवाल यह है कि रामबाबू की मौत का जिम्मेदार कौन? क्या यह आत्महत्या थी या व्यवस्था की हत्या? पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंपा गया, लेकिन प्रशासन की अनदेखी से नाराज़ ग्रामीणों ने न्याय की मांग में सड़क को रणभूमि बना दिया।
Justice Protest: जहर से नहीं, व्यवस्था की ज़हरबुझी चुप्पी से मरा रामबाबू तिवारी!
कुछ दिन पहले सैनी कोतवाली पुलिस ने रामबाबू तिवारी के बेटे को एक मासूम बच्ची से दुष्कर्म के मामले में जेल भेज दिया था। पिता रामबाबू ने लगातार यह कहा कि उनका बेटा निर्दोष है। उन्होंने अधिकारियों से गुहार लगाई, पत्र लिखे, दरबारों में चप्पलें घिसीं—but कोई सुनवाई नहीं हुई। और अंततः रामबाबू ने कोतवाली परिसर में ही ज़हर खाकर जान दे दी।
इस दर्दनाक घटना के बाद जब शव का पोस्टमार्टम कराने में भी प्रशासन ने ढिलाई बरती, तो ब्राह्मण समाज के सैकड़ों लोग पोस्टमार्टम हाउस पर जुटे और Justice Protest की शुरुआत की। भारी दबाव के बाद शव का पोस्टमार्टम कराया गया।
Justice Protest:सड़क पर पड़ा शव और बेबस लोकतंत्र!
गुरुवार की दोपहर जब रामबाबू का शव गांव पहुंचा, तब गांव में मातम नहीं, विद्रोह फूट पड़ा। परिजनों और ग्रामीणों ने शव को गांव के बाहर ही हाइवे पर रखकर जाम कर दिया। मांग थी सिर्फ एक—बेटे को फंसाने वालों पर कार्रवाई और प्रशासन से जवाबदेही। देखते ही देखते जाम कई किलोमीटर लंबा हो गया।
प्रशासन ने जब हालात काबू में नहीं देखे, तो लाठीचार्ज किया गया। PAC और भारी पुलिस बल तैनात कर रास्ता खाली कराया गया। लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस जबरन शव का डिस्पोजल कराने की कोशिश कर रही है।
Justice Protest:आत्महत्या या हत्या? एक सामाजिक सवाल
रामबाबू की मौत से कई सवाल खड़े होते हैं—क्या यह आत्महत्या थी या व्यवस्था द्वारा किया गया सुनियोजित सामाजिक मर्डर? अगर रामबाबू की सुनवाई समय रहते होती, तो क्या आज उनके शव को हाइवे पर रखकर प्रदर्शन करना पड़ता?
इस Justice Protest ने साफ कर दिया है कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, संघर्ष थमेगा नहीं। ब्राह्मण समाज और ग्रामीणों की आवाज़ अब केवल प्रशासन नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में गूंज रही है।
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