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Kanwar Yatra:“धुलाई सेंटर” निकला गंदगी का गोदाम!
जिस कांवरिए के कांधे पर भगवान शंकर सवार हों, वहां ज़हर उड़ेलने की कोशिश? सहारनपुर के चिलकाना शरीफ से निकले एक फेसबुकिया ‘फिल्मी विलेन’ मुसाहिद गाड़ा ने अपनी आईडी “धुलाई सेंटर मुशाहिद गाड़ा” से कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra)को लेकर ऐसी भड़काऊ और अभद्र टिप्पणी की, कि फेसबुक भी शर्मा जाए!

मुल्ला जी ने सोचा था कि डिजिटल नफरत की टंकी भर देंगे और सोशल मीडिया पर हीरो बन जाएंगे, लेकिन अब तो कानून की रगड़ाई शुरू हो गई है। भाईसाब! अब तो आपकी धुलाई सेंटर की असली धुलाई होगी — और वो भी Dettol से नहीं, धारा 295A और IPC 153A से!
Kanwar Yatra के खिलाफ ज़हर, अब कानून दिखाएगा कहर
Kanwar Yatra केवल धार्मिक नहीं, आस्था और सामाजिक एकता का पर्व है। लेकिन कुछ नासमझ इसे मज़ाक समझते हैं। जैसे ही सोशल मीडिया पर ये ज़हर फैला, इलाके में तनाव फैल गया। माहौल बिगड़ने से पहले ही पुलिस एक्टिव हुई — ASP मनोज यादव ने कमान संभाली और आरोपी की पोस्ट डिलीट कराई गई।
अब FIR दर्ज हो चुकी है और दबिशें शुरू हो गई हैं। मुसाहिद गाड़ा के ‘धुलाई सेंटर’ में अब सीधा न्यायिक पाइप लग चुका है।
सोशल मीडिया पर ज़हर उगलोगे, तो कानून निचोड़ेगा!
चेतावनी साफ है — आस्था का मज़ाक उड़ाओगे, तो संविधान तुम्हारी मज़ाक बना देगा। Kanwar Yatra को अपमानित करने का प्रयास केवल धार्मिक भावना ही नहीं, कानून की भावना के खिलाफ भी है।
एसपी ऑफिस से निकला ये साफ संदेश:
“सोशल मीडिया की आज़ादी है, लेकिन उसे ज़हर फैलाने का जंतर मत समझो। जो भी समुदायों के बीच आग लगाएगा, उसका दमकल अब कानून होगा।”
धुलाई सेंटर वालों को अब समझ आ गया होगा कि कांवड़ यात्रा कोई मज़ाक नहीं, ये करोड़ों की आस्था का प्रवाह है। “लाइक्स और कॉमेंट्स” के लिए अगर कोई धर्म पर कटाक्ष करेगा, तो फिर FIR और गिरफ्तारी ही उसकी अगली पोस्ट बनेगी। सरकार और सिस्टम अब सोशल मीडिया पर निगाहें गड़ा चुका है — और “धुलाई सेंटर” अब बनेगा सबक सेंटर।
Kanwar Yatra :अब ‘धुलाई सेंटर’ नहीं चलेगा, चलेगा कानून का प्रेशर वॉशर!
धार्मिक आस्था पर कीचड़ फेंकने वालों को अब समझ लेना चाहिए कि ये 2014 से पहले वाला हिंदुस्तान नहीं रहा, जहां “अभिव्यक्ति की आज़ादी” के नाम पर धर्म को गाली दी जाती थी और तालियां मिलती थीं। अब सोशल मीडिया पर हर शब्द की कीमत है — और जो Kanwar Yatra जैसे विशाल आस्था पर्व पर ऊंगली उठाएगा, उसकी उंगली कानून मोड़कर रखेगा। ‘धुलाई सेंटर’ के बहाने जो नफरत की ड्राईक्लीनिंग की जा रही थी, अब उसी में आरोपी को कानून निचोड़ कर सुखाएगा। यह एक चेतावनी है उन सभी “ट्रोल पुराणियों” के लिए जो फेसबुक को श्मशान समझते हैं — यहां आस्था जलती नहीं, उल्टा गुनहगार भून जाता है।

 
         
         
         
        