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2 साल बाद मिला Justice! खेत से उठाई थी बेटी की चीख, अब दोषी खेतों की धूल नहीं, जेल की कालकोठरी में सड़ेंगे
🎤 रिपोर्टर: रामपाल सिंह
📍 लोकेशन: संभल, उत्तर प्रदेश
🌾 न्याय की फसल देर से उगी, मगर लहू से सींची गई — Justice
संभल का रजपुरा इलाका। दो साल पहले यहां 16 साल की एक मासूम बेटी को खेत में काम करते वक्त तीन भेड़ियों ने दरिंदगी की लंका में घसीटा था। खेत जो अन्न उगाता है, उसी खेत में कुछ दरिंदों ने बेटी की आबरू को रौंद दिया। और हां, जब लड़की चीखी— तो कानून का सिस्टम पहले कान खुजाता रहा। लेकिन अब दो साल बाद justice ने दरिंदों की चीख निकाल ही ली है।
🧑⚖️ कोर्ट ने बजाया दमदार थप्पड़, कहा – “अब गिनो दिन-रात जेल में!”
प्रशांत उर्फ पिलुआ, बल्लू और गोपाल – इन तीनों गिद्धों को कोर्ट ने उम्रभर के लिए सलाखों में झोंक दिया है। मजे की बात ये रही कि कोर्ट ने सिर्फ ताले में बंद नहीं किया, बल्कि हर दरिंदे पर 50-50 हज़ार का अर्थदंड भी लगाया है। और अगर ये पैसे नहीं दिए? तो एक-एक साल एक्स्ट्रा ठोंक दिया जाएगा। यानि अब न्याय का डंडा सिर्फ कानूनी नहीं, आर्थिक भी हो गया है। इसे कहते हैं justice with interest!
🔥 दहकती बहस, दहाड़ते वकील – Justice की लड़ाई बनी मिसाल
इस केस की सुनवाई जैसे कोर्ट में नहीं, न्याय के कुंभ में हो रही थी। लोक अभियोजक नरेंद्र कुमार यादव और आदित्य कुमार सिंह ने अपनी दलीलों से ऐसा पंच मारा कि बचाव पक्ष के वकील तक “माफ़ करो मालिक” की मुद्रा में आ गए। सबूत इतने ठोस थे कि दोषी चाहे जितना रेंगें, कानून ने चटाक से झपट लिया।
🌍 समाज को आइना दिखा गया ये फैसला
हर बार जब कोई कहता है – “बेटियां सुरक्षित नहीं हैं” – तो हम चुपचाप सह लेते हैं। लेकिन आज कोर्ट के इस फैसले ने समाज को एक आईना पकड़ा दिया है। अब सवाल सिर्फ दोषियों की सज़ा का नहीं, बल्कि हमारे मौन का है। क्यों 2023 में लड़की के चीखने पर पूरा गांव मूकदर्शक था? क्यों नेता नदारद थे? क्यों पंचायतें मौन साधे थीं?
💥 कोर्ट का फैसला नहीं, समाज की ज़ुबान बना ये Justice
इस केस में न्याय का मतलब सिर्फ जेल नहीं, बल्कि दरिंदों को ये याद दिलाना था कि अब बेटियों की चीखें सिर्फ दीवारों से नहीं टकराएंगी, बल्कि कानून के दरवाज़े तोड़ देंगी। और ये फैसला एक चेतावनी है—जो दरिंदगी की सोच लेकर घूम रहे हैं, वो अब सीधे जेल का GPS सेट कर लें।
सम्भल के खेतों से उठी सिसकी, आज न्याय की गर्जना बन चुकी है। देर से सही, मगर justice का जवाब अब पंच की तरह आया है—जो सिस्टम के गाल पर और समाज के ज़मीर पर बजा है।

 
         
         
         
         
        
सुन्दर प्रस्तुति।