 
                                                      
                                                iran Israe lWar -Iran ने अमेरिका का सीज फायर ऐलान का दिया जवाब!
ईरान-इजराइल युद्ध: ट्रम्प का ‘ट्रुथ सोशल’ झूठा निकला, बीर्शेबा में मिसाइल से तबाही, 4 मौतें
Israel Iran War-मध्य पूर्व की ज़मीन फिर से बारूद के ढेर पर बैठी है। डोनाल्ड ट्रम्प ने 23 जून की रात अपने सोशल प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर गर्व से ऐलान किया कि “अब सब ठीक है, 12 घंटे में सीजफायर शुरू हो जाएगा, और 24 घंटे में दुनिया में अमन लौट आएगा।” लेकिन ठीक उसी वक्त ईरान अपने साइलो में बैलिस्टिक मिसाइलें लोड कर रहा था और इजराइल के शहरों की गणना कर रहा था। अगले ही दिन बीर्शेबा में एक रिहायशी बिल्डिंग पर मिसाइल गिरी और चार जिंदगियों का अंत हो गया। ट्रम्प के बयान और मिसाइल की टाइमिंग में बस कुछ घंटों का फर्क था, लेकिन उस फर्क में ही पूरी सच्चाई दफन हो गई। ट्रम्प का दावा कागज़ों पर चमकता रहा और बीर्शेबा की गलियों में मलबा उड़ता रहा। जिस ‘सीजफायर’ का शंखनाद व्हाइट हाउस से हुआ था, वो ईरान की गूंजती चेतावनी में गुम हो गया।
Israel Iran War-बीर्शेबा में मलबा, मातम और मोहभंग — जब ‘सीजफायर’ के बीच आई मौत
ईरान ने 24 जून की रात इजराइल पर 6 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें से एक सीधा बीर्शेबा के एक रिहायशी अपार्टमेंट पर जा गिरी। धमाके के बाद इलाके में अफरातफरी मच गई, हर तरफ मलबा, धूल और चीखें थीं। मगेन डेविड एडोम (MDA) की इमरजेंसी टीमें घायलों को स्ट्रेचर पर खींच रही थीं और पर्सनल अलर्ट सिस्टम से मोबाइलों पर नागरिकों को चेतावनी संदेश भेजे जा रहे थे। 4 लोग मारे गए — जिनमें एक 6 साल का बच्चा, दो महिलाएं और एक बुजुर्ग शामिल हैं। घायलों की संख्या 20 के पार थी और सोरोका मेडिकल सेंटर एक बार फिर जंग का इमरजेंसी वार्ड बन गया। बीर्शेबा, जो कभी इजराइल की टेक हब बनने की ओर बढ़ रहा था, अब युद्ध के नक्शे पर लाल रंग से घिरा नजर आ रहा है। मिसाइलों के बीच यह ‘सीजफायर’ इतना खोखला था कि खुद इजराइली भी ट्रम्प की मंशा पर अब हँसने लगे हैं।
ईरान का पलटवार: “ट्रम्प जो कहें, हम वही क्यों मानें?”
ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने साफ कहा कि “सीजफायर का कोई औपचारिक या लिखित समझौता नहीं हुआ है।” उनका तर्क था कि जब तक इजराइल ईरान के अंदरूनी ठिकानों को निशाना बनाना बंद नहीं करता, तब तक प्रतिक्रिया होती रहेगी। अरागची ने ट्रम्प के दावे को ‘इंटरनेटिया राजनीति’ कहा और कहा कि “व्हाइट हाउस की घोषणाएं अब साउंडबाइट्स हैं, न कि संधियाँ।” ईरान की स्थिति साफ है — हमला बंद करो, हम भी चुप रहेंगे। लेकिन सवाल ये है कि इतने बड़े संघर्ष के बीच कोई राष्ट्र सिर्फ सोशल मीडिया पोस्ट पर युद्ध रोक देगा? ट्रम्प के सीजफायर को ईरानी जनता ने भी गंभीरता से नहीं लिया। तेहरान के एक अखबार में छपा था: “ट्रम्प का भरोसा भी उतना ही अस्थायी है, जितना उनका हेयरस्प्रे।”
‘ऑपरेशन’ दर ‘ऑपरेशन’ — जब कूटनीति मिसाइल से जवाब मांगती है
इस युद्ध की शुरुआत 13 जून 2025 को हुई थी, जब इजराइल ने ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान जैसे परमाणु ठिकानों पर हमला किया और उसे ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ का नाम दिया। इसके जवाब में ईरान ने ‘ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3’ के तहत इजराइल पर सैकड़ों मिसाइलें बरसाईं। बीर्शेबा का सोरोका मेडिकल सेंटर, तेल अवीव का स्टॉक एक्सचेंज, और हाइफा का एक मिलिट्री बेस – सभी टारगेट बने। अमेरिका ने इसमें घुसते हुए ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ शुरू किया और ईरानी जमीन पर तीन एयरस्ट्राइक कीं। लेकिन युद्धविराम की बातें इस शोर में बेमतलब सी लगती हैं। जहां हर देश अपने ऑपरेशन के नाम पर गर्व कर रहा है, वहीं जनता केवल ‘ऑपरेशन सर्जरी’ में पड़ी है।
Israel Iran War-ट्रम्प का दावा या ड्रामा? सोशल मीडिया की राजनीति में फंस गई जिंदगी
23 जून को ट्रम्प ने दावा किया था कि अगली सुबह 6 बजे से युद्धविराम लागू हो जाएगा और 12 घंटे में इजराइल-ईरान जंग थम जाएगी। लेकिन बीर्शेबा पर मिसाइल 2:43 बजे रात को गिर चुकी थी — यानी ‘सीजफायर’ से भी पहले। एक्स (Twitter) पर यूजर्स भड़क उठे, एक यूजर ने लिखा, “सीजफायर से पहले मिसाइल? ये कैसा मजाक है, श्री ट्रम्प?” अमेरिका की राजनीति में इस ‘फेल सीजफायर’ को लेकर डेमोक्रेट्स ने ट्रम्प को ‘Missile-Prophet’ कहना शुरू कर दिया है। ट्रम्प का दावा उनके चुनावी अभियान का हिस्सा भी माना जा रहा है, क्योंकि अमेरिका में युद्ध से ‘कूटनीतिक हीरो’ बनने का पुराना ट्रेंड है। लेकिन जब दावा ज़मीनी सच्चाई से टकरा जाए, तो उसका मलबा बीर्शेबा जैसी इमारतों में दिखता है।
वैश्विक चिंता: तीसरे विश्व युद्ध की सुगबुगाहट, और बाजार की सिहरन
इस युद्ध ने अब एक-दो देशों की लड़ाई से बढ़कर वैश्विक चिंता का रूप ले लिया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चेताया है कि “अगर ईरान-इजराइल युद्ध जल्द नहीं थमा, तो तीसरे विश्व युद्ध का ट्रिगर यहीं से हो सकता है।” पाकिस्तान ने ईरान के पक्ष में खुलकर UNSC की आपात बैठक बुला ली है, तो वहीं न्यूयॉर्क की सड़कों पर अमेरिकी जनता अपने ही राष्ट्रपति के खिलाफ ‘नो वॉर’ की तख्तियां लेकर उतर आई है। युद्ध की आग का असर तेल बाजार पर भी दिखा — कच्चे तेल की कीमतें 138 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गईं। वैश्विक शेयर बाजार में भी भारी गिरावट दर्ज की गई। अब सवाल है कि क्या वाकई ‘सीजफायर’ शब्द की कोई अंतरराष्ट्रीय वैधता बची है, या फिर ये नेताओं का केवल एक पब्लिक रिलेशन टूल बन चुका है?
Israel Iran War-जब ‘शांति’ ट्विटर पर ट्रेंड हो रही हो, लेकिन ज़मीन पर जल रही हो
ईरान और इजराइल के बीच यह संघर्ष अब केवल सीमा की लड़ाई नहीं, बल्कि शब्दों और मिसाइलों की दौड़ बन गया है। ट्रम्प के सोशल मीडिया पोस्ट जितने तेज़ हैं, ईरानी मिसाइलें उनसे ज़्यादा खतरनाक। बीर्शेबा में गिरी एक मिसाइल ने अमेरिका की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस ‘शांति’ का वादा पोस्ट में हुआ था, वह इमारतों के मलबे में दफन है। अब लड़ाई इस बात की नहीं रह गई कि कौन जीता — बल्कि इस बात की है कि कौन पहले झूठ बोलकर सच्चाई से भागता है। शांति सिर्फ एक वाक्य नहीं हो सकती, उसे मिसाइलों के साए से बाहर लाना होगा। वरना अगला ‘सीजफायर’ भी महज एक स्क्रीनशॉट बन जाएगा — और उसकी कीमत ज़मीन पर कोई और चुकाएगा।

 
         
         
         
        
Nice article.