दिल्ली चुनाव के बाद से Aam Aadmi Party में भगदड़ मची है। चुनाव से पहले और चुनावी नतीजों के बाद ऐसा लग रहा है कि, आने वाले दिनों में Aam Aadmi Party में नेताओं और कार्यकर्ताओं दोनों की ही कमी हो जाएगी। पार्टी के 15 पार्षदों का एक साथ इस्तीफा देना और अलग पार्टी बना लेना शायद इसी ओर इशारा कर रहा है। इन पार्षदों का बयान बता रहा है कि, आम आदमी पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। आखिर Aam Aadmi Party के अंदरखाने में क्या चल रहा है। चलिये समझने की कोशिश करते हैं।

दिल्ली: अन्ना आंदोलन से जन्मी Aam Aadmi Party। जिसके वोट बैंक का मजबूत आधार ही आम आदमी थे। लगता है कि, वो आम आदमी ही पार्टी से दूर हो गए हैं। तभी तो दस साल तक जिस पार्टी का दिल्ली विधानसभा पर दबदबा रहा हो।जो पार्टी पंजाब में सत्तारुढ़ हो। देश के अलग-अलग राज्यों में हुए चुनाव में जिसका दम-खम दिखने लगा हो। आखिर अचानक ऐसा क्या हो गया, जो 2025 के चुनाव में उसकी लुटिया ही डूब गई।
Aam Aadmi Party का चल रहा है राहु काल?
विधानसभा चुनाव की हार से Aam Aadmi Party अभी उबरने की कोशिश कर ही रही थी कि, उसे झटके पर झटका लगना शुरू हो गया है। कहां तो पार्टी संगठन को मजबूत करने में जुटी है, और कहां नेता और कार्यकर्ता दोनों ही Aam Aadmi Party से किनारा करते जा रहे हैं। एक के बाद एक लग रहे झटकों ने पार्टी की नींव ही हिला दी है। दिल्ली नगर निगम के 15 पार्षदों को इस्तीफा और आलाकमान पर समन्वय नहीं बनाये रखने का आरोप कहीं न कहीं ये बताता है कि, Aam Aadmi Party का राहु काल चल रहा है। तभी तो जिस पार्टी में कभी जाने की होड़ मची रहती थी। आज वहां पार्टी छोड़ने की रेस लगी है।
8 फरवरी से शुरू हुआ ‘AAP’का राहुल काल?

8 फरवरी 2025 जी हां यही वो तारीख थी जब Aam Aadmi Party का राजयोग खत्म हुआ था। और पार्टी राहु काल में पहुंच गई थी। इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि,2020 में 62 सीट जीतने वाली पार्टी सीधे 22 सीटों पर आ गई। दिल्ली विधानसभा चुनाव हारना AAP के लिए सबसे बड़ा ड्रा बैक था। इस चुनाव ने मानो ये साबित कर दिया कि, AAP से दरअसल अब आम आदमी दूर हो गया है।
AAP का आम से खास बनना जनता को नहीं आया रास!
जब तक आप, आम आदमी की पार्टी रही..जनता ने उसे सिर आंखों पर बिठाया। बंपर वोटों से चुनाव जीतवाया। उसे सत्ता के सिंहासन पर बैठाया। इस सोच के साथ ही अब असल में आम आदमी की ही सरकार चलेगी। शुरू में तो सब ठीक था। लेकिन जैसे-जैसे Aam Aadmi Party पर सत्ता का रंग चढ़ता गया। वो भी उसी जमात में आकर खड़ी हो गई है। बस इसी की जनता ने Aam Aadmi Party से उम्मीद नहीं की थी।
कभी मेट्रो और ऑटो से चलते थे आप के मंत्री
दरअसल सत्ता की लालच में Aam Aadmi Party इतनी अंधी हो गई कि, उसने उन दलों से भी सांठगांठ करना शुरू कर दिया, जिसका वो कभी विरोध करती थी। भ्रष्टाचारी पार्टियों से हाथ मिलाना,पार्टी में पूंजीवाद को बढ़ावा देना अपने मुख्य सिद्धांतों से दूर होना और आम आदमी की जीवन शैली छोड़ आलीशान जिंदगी की ओर कदम बढ़ाना। ये सारे कदम आप को जनता से दूर करते चले गए।जनता समझ गई कि, आम आदमी पार्टी अब खास आदमी पार्टी हो गई है। लिहाजा तुरंत ही उसने आम आदमी पार्टी की गाड़ी छोड़ दी। और उसे पंचर कर दिया। जिससे उसे अपनी गलती का अहसास हो सके।
क्या आप पर जनता दोबारा करेगी भरोसा?
यहां बड़ा सवाल ये उठता है कि, क्या आम आदमी पार्टी पर दिल्ली की जनता दोबारा भरोसा करेगी। क्या उसे फिर सत्ता के सिंहासन पर बैठाएगी। फिलहाल तो ऐसा होता दिखाई नहीं पड़ रहा है। विधानसभा चुनाव से पहले और बाद में जिस तरह से पार्टी के लोग उसे छोड़कर जा रहे हैं ,ये केजरीवाल के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। लिहाजा उन्हें इस बात पर मंथन करना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा कुछ धरातल पर होता हुआ दिखाई नहीं पड़ रहा है। संगठन को मजबूत करने के साथ ही जनता के बीच पैठ बनाने के लिए आप किसी ठोस रणनीति पर काम करती दिखाई नहीं पड़ रही है।

पार्टी के नेता अभी भी AC गाड़ियों और केबिन से निकलकर जनता के बीच नहीं जा रहे हैं। खुद केजरीवाल की जिंदगी आम आदमी से खास आदमी की हो गई है। शायद केजरीवाल एंड पार्टी को किसी चुनाव के आने का इंतजार होगा, जिसके बाद उनकी गाड़ी रफ्तार पकड़ पाएगी। लेकिन जिस तरह चार दिन में पढ़कर आप टॉपर नहीं बन सकते। ठीक उसी तरह चुनाव के दौरान संगठन पर काम करके आप चुनाव नहीं जीत सकते हैं। ये बात केजरीवाल एंड पार्टी को जितनी जल्दी समझ में आ जाए उतना अच्छा है।