India US Trade Deal
2025 की दूसरी छमाही में India US Trade Deal को लेकर हलचल तेज़ है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने इसे ‘बिग ब्यूटीफुल’ करार दिया है, वहीं चीन को इस सौदे से भयंकर जलन हो रही है। भारत को इससे एक
“ट्रम्प बोले—‘बिग ब्यूटीफुल’, चीन बोले—‘कड़वा कड़वा थू’”
ट्रेड वॉर में छाती ठोंक रहे अमेरिका ने अब भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। ट्रम्प साहब ने व्हाइट हाउस में ‘बिग ब्यूटीफुल बिल’ के मंच से ऐलान ठोक दिया कि भारत संग बड़ी डील बस आने ही वाली है। अब ये डील चीन को मिर्ची लगा रही है, क्योंकि हाल ही में अमेरिका ने चीन से भी एक समझौता किया, लेकिन अब भारत संग हुआ मेल चीन की बेलगाम अर्थनीति पर सवाल खड़े कर रहा है। भारत को 26% टैरिफ की तलवार दिखाकर अमेरिका ने मजबूरी में हां करवाई, लेकिन क्या इस हां से भारत को वाकई फायदा मिलेगा या ‘बड़ी डील’ का मतलब बड़ी डील की डकार भर होगी?
“भारत को क्या मिलेगा? टैक्स में छूट या ट्रम्प की टपोरी शर्तें?”India US Trade Deal
India US Trade Deal के पहले चरण में जुलाई 2025 तक कई अहम प्रस्ताव पूरे होने की उम्मीद है। भारत को इसमें कुछ कृषि उत्पादों पर रियायत, टेक सेक्टर को टैक्स छूट और मेड-इन-इंडिया सामान को अमेरिकी मार्केट में एंट्री मिल सकती है। लेकिन सवाल ये भी है कि क्या इसके बदले ट्रम्प भारत से कुछ ऐसा न मांग लें जो लोकल इंडस्ट्री की कमर ही तोड़ दे? उदाहरण के लिए, दवाओं में पेटेंट नियमों को कड़ा करना या ई-कॉमर्स में विदेशी कंपनियों को ढील देना भारत के घरेलू खिलाड़ियों के लिए घाटे का सौदा बन सकता है।
“चीन की नींद क्यों उड़ गई? क्योंकि ये डील सिर्फ व्यापार नहीं, रणनीति है!”
चीन को इस डील से सबसे ज्यादा दर्द इसलिए हो रहा है क्योंकि ये केवल व्यापार नहीं, बल्कि एक भूराजनैतिक गठजोड़ का संकेत है। अमेरिका अगर भारत को अपना रणनीतिक व्यापारिक पार्टनर मान रहा है, तो इसका मतलब इंडो-पैसिफिक में चीन का एकाधिकार टूट सकता है। इसके अलावा, भारत की टेक्नोलॉजी और फार्मा सेक्टर को मिलने वाली अमेरिकी पहुंच चीन की बाजार हिस्सेदारी में सीधा सेंध लगाएगी। चीन को लगता है भारत ‘सॉफ्ट पावर’ के दम पर उसकी ‘हैंड पावर’ को फोल्ड कर रहा है।
“भारत के फायदे भी हैं, पर आत्मनिर्भरता की कसौटी भी यहीं तय होगी”। India US Trade Deal
India US Trade Deal भारत को नई संभावनाएं दे सकता है। खासकर MSME सेक्टर को अगर सही मार्गदर्शन और सब्सिडी मिली, तो ये डील उनके लिए वरदान बन सकती है। टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और रिसर्च सहयोग भी भारत को ‘डिजिटल वर्ल्ड’ में मजबूत कर सकता है। लेकिन साथ ही साथ, ये भी देखना होगा कि आत्मनिर्भर भारत का नारा इस डील में कहीं बिक तो नहीं जाएगा। अगर अमेरिकी कंपनियां भारतीय बाजार पर कब्जा जमाने लगें तो यह ‘डील’ जल्द ही ‘डील-मा-मार’ साबित हो सकती है।
“डील पर सवाल: क्या भारत अब भी सौदेबाज़ी की मुद्रा में है?”
एक तरफ ट्रम्प हमें 90 दिन की मोहलत देते हैं, दूसरी तरफ 26% टैरिफ की तलवार लटकाते हैं। ये डील किस हद तक बराबरी की है, इसका फैसला अब भारत के वार्ताकारों पर निर्भर है। क्या हम अमेरिका से केवल आयात नहीं, बल्कि समानता की साझेदारी भी सुनिश्चित करवा पाएंगे? या फिर ये डील भी उन कई समझौतों की तरह साबित होगी जिसमें भारत को ‘हां’ कहकर ही ‘ना’ का एहसास होता है?
“India US Trade Deal पर जनता का संदेश: मुनाफा चाहिए, मोल नहीं”
युवा, व्यापारी और उद्यमी वर्ग की निगाहें इस डील पर टिकी हैं। सब चाहते हैं कि भारत को इससे सस्ता सामान नहीं, बल्कि स्थायी मुनाफा मिले। डील ऐसी हो जो केवल ट्रम्प की वाहवाही का जरिया न बने बल्कि भारत की व्यापारिक अस्मिता का प्रमाण भी हो। इस डील में जितनी संभावना है, उससे कहीं ज्यादा परख की जरूरत है—क्योंकि जो डील आज गुलाब लगती है, कल कांटे भी दे सकती है।

Nice article.
Nice article 👍