India Pakistan Ceasefire – Donald Trump की बात मोदी ने क्यों मानी? विपक्ष ने किए सवाल, सोशल मीडिया पर भी Troll

Mumbai : दुनियाभर की नज़र इस वक्त India-Pakistan Ceasefire पर है… लेकिन दोनों देशों की जंग के बीच कोई सबसे बड़ा विलेन बनकर उभरा है तो वो हैं American President Donald Trump. जी हां, अगर इस वक्त पाकिस्तान में किसी चीज़ का गुणगान हो रहा है तो वो हैं ट्रंप. क्योंकि ट्रंप ने पाकिस्तान को नेस्तोनाबूत होने से बचा लिए. वहीं अगर भारत में किसी शख्स का सबसे ज़्यादा विरोध हो रहा है या गालियां दी जा रही हैं तो वो भी डोनाल्ड ट्रंप ही हैं. माना जा रहा है कि अपने सियासी फायदे के लिए और खुद की सुपरपॉवर की गद्दी बचाए रखने के लिए ट्रंप साहब ने पाकिस्तान को दुनिया के नक्शे से मिटने से बचा लिया है.
ट्रंप की गलती मोदी को पड़ी भारी
दरअसल अमेरिकी मीडिया में ऑप्टिक्स यानी दिखावेबाजी की राजनीति ज़्यादा चलती है. इसी के तहत ट्रंप ने अपनी राजनीति चमकाने और खुद को वैश्विक शांतिदूत दिखाने की हड़बड़ी में सीजफायर का ट्वीट कर दिया. हालांकि खबरी गलियारे में इस बात के भी चर्चे हैं कि पाकिस्तान के संदेश पर भारत पहले से ही सीज़फायर पर विचार कर रहा था. लेकिन बड़बोले ट्रंप को कुछ ज्यादा दी जल्दी थी. और उनकी इस जल्दबाज़ी की कीमत उनके दोस्त मोदी को चुकानी पड़ रही है. कल शाम तक देश विदेश में हर कोई मोदी के एक्शन की सराहना कर रहा था. देश के विपक्षी दल भी पीएम से साथ खड़े थे. लेकिन अब वो भी छलांग लगा कर दूसरे पाले में पहुंच गए हैं और मोदी की ओर से सीज़फायर का ऐलान ना करने की आलोचना कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ये भी नहीं देखा कि भारत सरकार की आगे की क्या प्लानिंग है. मोदी सरकार किन शर्तों पर पाकिस्तान को बख्शना चाहती है. ट्रंप को जल्दी थी सिर्फ क्रेडिट लेने की, और बस इसी जल्दबाज़ी में ट्वीट ठोक डाला.
एस जयशंकर ने अमेरिका को धो डाला

देखा जाए तो ट्रंप की इस हरकत ने भारत की संप्रभुता का उल्लंघन किया है जिसे भारत ने बर्दाश्त नहीं किया और बड़ी ही शांति से सभी पक्षों को संभालते हुए इसका जवाब दिया. भारत सरकार ने सीधे तौर पर ट्रंप को कोई जवाब नहीं दिया. और ना ही पाकिस्तान की तरह कोई पब्लिक ड्रामा किया. सीधा विदेश मंत्री S Jaishankar मीडिया के सामने आए और बिना नाम लिए अमेरिका को धो डाला… जयशंकर ने कहा कि “भारत की विदेश नीति देश की ज़रूरतों पर आधारित होती है, ट्विटर पर नहीं”. साथ ही जयशंकर ने पर्दे के पीछे कूटनीति भी जारी रखी और अमेरिका से राजनयिक स्तर पर बात करके ये साफ कर दिया कि “इस तरह की घोषणाएं एकतरफा न हों. हम अपना पक्ष पूरी मज़बूती से रखना जानते हैं और इसके लिए हमें किसी तीसरे देश की मध्यस्थता की ज़रूरत नहीं”. खैर… बड़बोले ट्रंप ने जो करना था कर दिया. लेकिन नापाक पाकिस्तान कहां अपनी शरारतों से बाज़ आने वाला था. भई पाकिस्तान दुनिया का ऐसा इकलौता मुल्क है जिसकी खुद की आवाम अपनी सरकार और फौज पर भरोसा नहीं करती. तो भला हम कैसे कर लेते. लिहाज़ा सीज़फायर का ऐलान होने की बाद भारत की ओर से फिर से साफ किया गया कि अब भी किसी भी तरह का आतंकवाद हमारे लिए जंग के जैसा ही रहेगा. जहां भी वार करोगे, पाकिस्तानियों वहीं पे पिटोगे. लिहाज़ा LOC पर भारत ने अपनी स्थिति को मजबूत बनाए रखा. मोदी सरकार ने ये साफ कर दिया कि शांति की इच्छा भारत की भी है लेकिन ये किसी की ‘अनाउंसमेंट’ से नहीं, बल्कि ज़मीनी सच्चाई से तय होगी. इसी वजह से भारत ने बिना वक्त गंवाए ये ऐलान कर दिया कि भारत की सरजमीं पर दोबारा कोई आतंकी हमला होगा है तो इसे ‘Act of war’ ही समझा जाएगा. और इसी ऐलान के साथ भारत ने ट्रंप के ट्वीट की छुट्टी कर दी और फिर से पॉवर अपने हाथों में ले ली.
दो घंटे भी अपनी बात पर नहीं टिका बदमाश पाकिस्तान

शाम होते होते वही हुआ जिसका पूरे 140 करोड़ हिंदुस्तानियों को पूरा भरोसा था… दुनिया के नक्शे पर पनप रहा नापाक आतंकी मुल्क पाकिस्तान दो घंटे भी अपनी बात पर नहीं टिक पाया. इस आतंकिस्तान की कायराना हरकतें फिर से शुरू हो गईं और उसन ceasefire का उल्लंघन करते हुए जम्मू-कश्मीर से लेकर गुजरात तक गोले बरसाने शुरू कर दिए. बचाव में भारतीय सेना ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया और पाकिस्तानियों के दर्जनों ड्रोन मार गिराए. रात के अंधेरे में करीब तीन घंटे तक सरहदी इलाकों में दिवाली जैसा नज़ारा दिखता रहा. India-Pakistan के बीच हुए सीज़फायर के उल्लंघन को लेकर विदेश सचिव Vikram Misri ने शनिवार ने फिर से प्रेस ब्रीफिंग दी और बताया कि “सरकार ने सेना को सख्त कदम उठाने के आदेश दिए हैं. भारत और पाकिस्तान के DGMO के बीच सैन्य कार्रवाई रोकने को लेकर शनिवार शाम हुए समझौते का पाकिस्तान ने कुछ ही घंटों में घोर उल्लंघन किया है. जिसका भारतीय सेना पूरी दृढ़ता से जवाबी दे रही है और सीमा पर हो रहे अतिक्रमण को रोकने में जुटी है. पाकिस्तान की ओर से ये कार्रवाई बेहद निंदनीय है और इसकी पूरी जिम्मेदारी पाकिस्तान पर है”.
विपक्षी दलों ने मोदी सरकार को घेरा
ये तो हुई भारत पाक पर हुए सीज़फायर उल्लंघन की बात… अब बताते हैं कि देश में उसके बाद क्या हुआ. सबसे पहले तो सीज़फायर की शर्त मान लेने पर भारत सरकार और PM Modi की पूरे देश में जमकर आलोचना की गई. क्योंकि पिछले तीन दिनों में देश की तीनों सेनाओं का पराक्रम दुनिया ने देख लिया था. पाकिस्तान के परमाणु शक्ति होने के बाद भी भारत ने बिल्कुल परवाह किए बिना, ना सिर्फ आतंकवाद बल्कि नापाक पाकिस्तान की नापाक सेना पर भी बम बरसाते हुए उसे नानी याद दिला दी. पाव आधा पाव के न्यूक्लियर बम की बातें करने वाले बंकरों में जा छिपे और पाकिस्तानी Prime Minister Shehbaz Sharif के तो गले में मानो सांस ही अटक गई थी. हर हिंदुस्तानी को लगा था कि इस बार तो पाकिस्तान दुनिया के नक्शे से मिट कर ही रहेगा. और वो ना भी हुआ तो कम से कम हम पाकिस्तान के कब्ज़ाए कश्मीर को तो वापस लेकर ही रहेंगे. लेकिन 140 करोड़ आवाम के सपनों पर पानी फेरते हुए मोदी सरकार ने सीज़फायर की बात मानी जिससे हर देशवासी को गुस्सा आ गया. यहां तक कि विपक्षी दल वाले भी छाती पीटते हुए कहने लगे कि ये सरासर गलत है. मोदी सरकार को पाकिस्तान की बात बिल्कुल नहीं माननी चाहिए और सीज़फायर की परमिशन उन परिवारों से लेनी चाहिए जिन्होने अपने परिजनों को पहलगाम हमले में खोया है. विपक्षी दलों ने तो इस मामले में मोदी सरकार से जल्द से जल्द सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग भी की है. हालांकि Donald Trump का India-Pakistan के मामले में कूद कर आना और शांति की अपील करना एक बड़ी कूटनीतिक ‘मूव’ ज़रूर था.. लेकिन ट्रंप के इस मूव ने उनके दोस्त मोदी को ज़रूर मुश्किल में डाल दिया है. ये कहना भी ठीक है कि मोदी सरकार ने ना तो अमेरिका की अवमानना करके ना तो उससे टकराव मोल लिया और ना ही देश की प्रतिष्ठा से समझौता किया. भारत सरकार ने ट्रंप की शांति की अपील भी मान ली और शाम होने तक धोखेबाज़ पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए Indian Army को खुली छूट भी दे दी. लेकिन देश को अभी भी PM Modi से यही उम्मीद है कि अबकि बार पाकिस्तान को ऐसा करारा सबक सिखाए कि वो आतंकवाद का नाम भी लेना भूल जाए. स्टोरी. ✍ सुकृति शर्मा