 
                  असम के दरांग में PM Modi की जनसभा, पंडित नेहरू के बयान पर कांग्रेस को घेरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने रविवार को असम के दरांग जिले (Darrang) में एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने हाल ही में संपन्न ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का श्रेय मां कामाख्या के आशीर्वाद को दिया और कहा कि नॉर्थ ईस्ट का विकास उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
PM Modi की शिवभक्ति और कांग्रेस पर प्रहार
अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा,
“आमतौर पर मुझे कितनी भी गालियां दी जाएं, मैं भगवान शिव का भक्त हूं, सारा जहर निगल जाता हूं। लेकिन जब किसी और का अपमान होता है, तो मैं चुप नहीं रह सकता।”
उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए याद दिलाया कि जब भारत सरकार ने असम के सुप्रसिद्ध गायक और संस्कृति दूत भूपेन हजारिका को भारत रत्न से सम्मानित किया था, तब कांग्रेस अध्यक्ष ने यह कहकर उनका अपमान किया कि मोदी “नाचने-गाने वालों” को भारत रत्न दे रहे हैं। मोदी ने इसे असम और नॉर्थ ईस्ट के योगदान का भी अपमान बताया।
भूपेन हजारिका और असम की विरासत
प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल ही में भूपेन हजारिका की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होना उनके लिए गर्व की बात रही। उन्होंने कहा कि असम के महान संतानों और पूर्वजों के सपनों को पूरा करने के लिए केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है।

1962 के चीन युद्ध का जिक्र
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में 1962 के भारत-चीन युद्ध का भी उल्लेख किया। उन्होंने आरोप लगाया कि उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के बयान ने नॉर्थ ईस्ट की जनता को गहरा आघात पहुंचाया था, जिसका दर्द आज तक बाकी है। मोदी ने कहा कि कांग्रेस की मौजूदा पीढ़ी भी उसी घाव पर “नमक छिड़कने” का काम कर रही है।
असम को 18,530 करोड़ की सौगात
प्रधानमंत्री ने असम को 18,530 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का उपहार दिया।
- दर्रांग मेडिकल कॉलेज, एक नर्सिंग कॉलेज और जीएनएम स्कूल की आधारशिला रखी गई।
- इन स्वास्थ्य परियोजनाओं पर लगभग 570 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
- साथ ही, गोलाघाट और दरांग जिलों में कई इंफ्रास्ट्रक्चर और सामाजिक योजनाओं का शुभारंभ किया गया।
असम की रैली में पीएम मोदी ने जहां अपने शिवभक्ति भाव के जरिए राजनीतिक कटाक्षों का जवाब दिया, वहीं राज्य और नॉर्थ ईस्ट के विकास के प्रति अपनी सरकार की प्राथमिकताओं को भी दोहराया। उनके संदेश का केंद्र यह रहा कि असम की संस्कृति और सम्मान पर किसी भी तरह का आघात बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और विकास की नई सौगातों के साथ असम आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ेगा।

 
         
         
        