
Sukhwinder Sukhu government is going to increase the minimum support price of Potatoes
Himachal Potato MSP: पहाड़ पर आलू उगाने वाले किसानों को सुक्खू सरकार ने राहत खुश कर दिया!
Himachal Potato MSP: हिमाचल के किसानों के लिए अच्छी खबर है. मक्की और गेहूं के बाद अब आलू की फसल का MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का सुखविंदर सुक्खू की सरकार ने एलान कर दिया है. सीएम सुखविंदर सुक्खू का कहना है कि इससे किसानों को आर्थिक मजबूत मिलेगी. आलू की फसल से पहले सुक्खू सरकार ने प्राकृतिक तकनीक से तैयार मक्की का समर्थन मूल्य 40 रुपए और गेहूं की फसल का समर्थन मूल्य बढ़ाकर 60 रुपए किलो करने का एलान किया था.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि हमारी सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए लगातार काम कर रही है. ऊना जिले में करीब 20 करोड़ रुपए की लागत से आलू प्रोसेसिंग प्लांट लगाया जाएगा. आलू का समर्थन मूल्य घोषित होने से किसानों की आय बढ़ेगी. कृषि अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा.
MSP का दायरा और बढ़ाने की तैयारी
Himachal Potato MSP: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू शिमला में हिमाचल प्रदेश रिवाइटलाइजिंग रेनफेड एग्रीकल्चर नेटवर्क की तरफ से आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने पहुंचे थे. इसी कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सीएम सुक्खू ने कहा कि उनकी सरकार ग्रीन एनर्जी और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है. प्राकृतिक खेती की फसलों के लिए MSP पहले ही तय कर दिए गए हैं. अब स्थायी कृषि करने वाले किसानों को समर्थन देने के लिए इसे और बढ़ाने की तैयारी है. सुक्खू ने प्राकृतिक और जलवायु-अनुकूल खेती के महत्व पर भी जोर दिया. साथ ही कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और बढ़ावा देने के लिए आने वाले सालों में कई नई योजनाएं शुरू की जाएंगी.

80 फीसदी आबादी खेती पर निर्भर
Himachal Potato MSP: हिमाचल प्रदेश की करीब 80 फीसदी आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर करती है. कृषि हिमाचल की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. कृषि का प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में करीब 14 फीसदी योगदान है. अगर सिर्फ आलू के उत्पादन की बात करें तो हिमाचल के कुल सब्जी उत्पादन में आलू का योगदान लगभग 20 फीसदी है. प्रदेश में 16,960 हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 2,38,317 मीट्रिक टन आलू की खेती होती है. ऐसे में आलू प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित होने और आलू का MSP बढ़ने से किसानों को उत्पाद के बेहतर दाम मिलेंगे. उद्योग और कृषि क्षेत्र दोनों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा भी मिलेगा.
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