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Himachal Paternity Leave: पैटरनिटी लीव ले पाएंगे अनुबंध पर काम करने वाले पुरुष, सरकार 2 महीने में बनाएगी नियम
Himachal Paternity Leave: हिमाचल हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। राज्य में कॉन्ट्रैक्ट यानी अनुबंध पर काम कर रहे पुरुष कर्मचारियों को भी अब महिलाओं की मैटरनिटी लीव यानी मातृत्व अवकाश की तरह पैटरनिटी लीव (पितृत्व अवकाश) मिल पाएगी।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
Himachal Paternity Leave: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वो अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) आधार पर काम कर रहे पुरुष कर्मचारियों के लिए भी पितृत्व अवकाश (Paternity Leave) का प्रावधान करे। अदालत ने मुख्य सचिव को 2 महीने के भीतर इस संबंध में नियमों में संशोधन कर सुविधा लागू करने का आदेश दिया है, ताकि भविष्य में इस मुद्दे पर लगातार हो रहे कानूनी विवादों पर रोक लग सके।
किसने लगाई याचिका…मामला क्या?
Himachal Paternity Leave: यह फैसला मुनीष पटियाल की ओर से दाखिल की गई याचिका पर आया। याचिकाकर्ता मुनीष पटियाल ने आरोप लगाया था कि उनकी पितृत्व अवकाश (Paternity Leave) की अर्जी तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक और औद्योगिक प्रशिक्षण निदेशालय द्वारा यह कहकर खारिज कर दी गई कि वो उस समय नियमित कर्मचारी नहीं थे।

हाईकोर्ट: चाइल्ड केयर लीव मूलभूत अधिकार
न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक और औद्योगिक प्रशिक्षण निदेशालय के इस फैसले को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि जब मुनीष पटियाल ने 27 जुलाई 2024 को पितृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया था, उस समय तक वह असिस्टेंट प्रोफेसर (ECL) के रूप में नियमित कर्मचारी बन चुके थे। भले ही उनके बच्चे का जन्म उस समय हुआ जब वह कॉन्ट्रैक्ट पर थे… लेकिन अवकाश के आवेदन के समय तक वह नियमित हो चुके थे। ऐसे में उन्हें अवकाश देने से इनकार करना उचित नहीं था।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि चाहे कोई पुरुष हो या महिला, नियमित हो या कॉन्ट्रैक्ट, एडहॉक, अस्थायी या टेन्योर आधार पर नियुक्त, सभी को मातृत्व अवकाश, पितृत्व अवकाश और चाइल्ड केयर लीव जैसे अवकाश मिलना उनका मूलभूत अधिकार है, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 42 के तहत संरक्षित है।
महिलाओं की तरह पुरुषों को भी छुट्टी का हक
Himachal Paternity Leave: हिमाचल हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि जब राज्य सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाली महिला कर्मचारियों के लिए मातृत्व अवकाश का प्रावधान अधिसूचना के माध्यम से पहले ही कर दिया है, तो पुरुष कर्मचारियों के लिए भी यह सुविधा नियमों में जोड़ी जानी चाहिए।
अदालत ने राज्य सरकार से कहा है कि वह इस आदेश के पूर्ण पालन की रिपोर्ट दो महीने के भीतर न्यायालय में पेश करे। यह फैसला राज्य के हज़ारों कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत बनकर सामने आया है। आपका हाईकोर्ट के इस फैसले को लेकर क्या कहना है? कमेंट कर हमें जरूर बताइएगा।
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