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8 साल का निर्भय झुलस गया, सिस्टम ‘निर्भय’ ही बना रहा! High Tension Line Accident
मिश्रानगर कॉलोनी, पीलीभीत – 15 जुलाई। जब देश के बच्चे चंद्रयान के सपने देख रहे थे, उस वक़्त 8 साल का निर्भय गंगवार अपने घर की छत पर क्रिकेट खेलते हुए सरकारी सुस्ती का शिकार बन गया। गेंद छत पर गई और निर्भय गया उसे लेने। ऊपर 33,000 केवीए की बिजली लाइन लटक रही थी(High Tension Line Accident )— और ‘सिस्टम’ का जिम्मा वहीं नीचे धूप सेंक रहा था।
Child Burned by Power Line: 75% झुलसी बचपन की मुस्कान
बच्चा अस्पताल पहुंचा, अफसर अभी ‘संज्ञान’ में हैं!
निर्भय का शरीर 75 प्रतिशत जल चुका है। पहले जिला अस्पताल, फिर हालत गंभीर देख बरेली रेफर। लेकिन बिजली विभाग के कानों पर अभी भी “तार” नहीं रेंगा। माँ बाजार में थी, पिता भोपाल में तैनात – और अफसर ज़िम्मेदारी के शहर से “ट्रांसफर” पर।
Power Department Negligence: 10 साल की चेतावनी, अफसरों की चुप्पी। High Tension Line Accident
“हटा दो ये तार, किसी दिन जान ले लेंगे…” लेकिन सुनता कौन है?
निर्भय के पिता अशोक गंगवार 10 साल से चिल्ला रहे हैं कि घर के ऊपर से जा रही हाईटेंशन लाइन को हटवाया जाए। जनप्रतिनिधियों से लेकर जेई और एक्सईएन तक सबको लिखा। पर शायद उन अफसरों की रेटिंग लाइन से ऊपर नहीं गई। उल्टा, विभाग ने नई लाइनें और जोड़ दीं — मानो मौत की डिलीवरी तेज़ करने की तैयारी हो।
Pilibhit Electricity Department की बेशर्मी। High Tension Line Accident
बिजली के तार नहीं हटे, इंसानियत के तार जरूर कट गए
अब पिता शिकायत करेंगे उच्चाधिकारियों से — सवाल यह है: क्या उनके पत्र किसी झुलसे हुए निर्भय की चीख से ज्यादा असर करेंगे? या फिर एक और फाइल ‘अवगत होकर’ डस्टबिन में आराम फरमाएगी?
अब भी नहीं जगे तो कौन होगा अगला? High Tension Line Accident
यह खबर सिर्फ पीलीभीत की नहीं, पूरे सिस्टम की है। जिन बच्चों के सिर पर छत होनी चाहिए, वहां मौत झूल रही है। सवाल ये नहीं कि निर्भय कैसे झुलसा… सवाल ये है कि अफसर अब भी कैसे बचे हुए हैं?
मासूम के बदन से उठता धुआं, और अफसरों की ज़ुबान पर सन्नाटा
निर्भय के शरीर की चमड़ी जलकर छील गई, लेकिन विद्युत विभाग के अफसरों की संवेदनाएं अब भी मोटी चमड़ी के अंदर दबी पड़ी हैं। जिस सिस्टम की जिम्मेदारी थी तार हटाने की, उसने दस साल से शिकायतों को नोटिस बनाकर नोटपैड में दफन कर दिया। किसी ने ये नहीं सोचा कि जिस छत पर बच्चा खेलता है, उसके ऊपर 33 हज़ार वोल्ट की मौत झूल रही है।
बिजली विभाग की फाइलें चलती हैं, जिंदगी नहीं। High Tension Line Accident
अब जब निर्भय बरेली के ICU में मौत से जूझ रहा है, तो विभाग की वही पुरानी स्क्रिप्ट शुरू हो चुकी है—”जांच की जाएगी”, “जिम्मेदारी तय होगी”, “कार्रवाई की जाएगी”। जैसे हर बार होती है। पर क्या किसी अफसर पर एफआईआर होगी? क्या JE और SDO से जवाब मांगा जाएगा? क्या मंत्रीजी ट्वीट से आगे कुछ करेंगे? या निर्भय सिर्फ आंकड़ा बनकर सरकारी रिपोर्ट में जलेगा?
आज निर्भय था, कल कोई और होगा
इस देश में मासूमों की जान लेने से पहले तारों की मरम्मत नहीं होती। पहले कोई झुलसता है, तब जाकर कागज़ जलते हैं। लेकिन खबरीलाल पूछता है—क्यों? कब तक? निर्भय की आँखों में जो आग जल रही है, वो सवाल बनकर हर अधिकारी की कुर्सी के नीचे रखी होनी चाहिए। वरना ये सिस्टम खुद कभी न कभी करंट खाकर ढह जाएगा – और फिर कोई भी इंसुलेशन उसे नहीं बचा पाएगा।

 
         
         
         
        