 
                  Haryana बिजली निगम के कच्चे कर्मचारियों को सबसे बड़ी राहत. HC ने कहा-6 हफ्तों में नियमित करें सरकार. आदेश नहीं माना तो होगी अवमानना की कार्यवाही
Chandigarh : Punjab & Haryana High Court ने हरियाणा के बिजली निगमों में 1995 से तदर्थ (अस्थायी) आधार पर कार्यरत कर्मचारियों को नियमित करने का महत्वपूर्ण आदेश दिया है… जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने 9 सितंबर 2025 को फैसले में राज्य सरकार को 6 हफ्तों के अंदर इन कर्मचारियों को पूर्ण लाभ, वरिष्ठता और बकाया राशि के साथ नियमित करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने चेतावनी दी कि आदेश न मानने पर अवमानना की कार्यवाही होगी. इस फैसले से करीब 3,500 कच्चे कर्मचारियों को राहत मिलने की उम्मीद है, जो दशकों से मुकदमेबाजी का शिकार रहे हैं.
कर्मचारियों का शोषण असंवैधानिक

Punjab & Haryana High Court ने कहा कि राज्य संवैधानिक नियोक्ता होने के नाते स्वीकृत पदों की कमी या शैक्षिक योग्यता की आड़ में अस्थायी कर्मचारियों का शोषण नहीं कर सकता… ये कर्मचारी 30 वर्षों से लगातार काम कर रहे हैं फिर भी 9 बार मुकदमे लड़ने पड़े. जस्टिस बराड़ ने राज्य के तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि प्रशासनिक बाधाओं का बहाना अब चलेगा नहीं. अगर 6 हफ्तों में आदेश जारी न हुआ तो याचिकाकर्ताओं को उनके सहकर्मी वीर बहादुर (जिन्हें 2024 में नियमित किया गया) के समान लाभ मिलेंगे.
सरकार के बहानों को अस्थायी बताया

याचिकाकर्ताओं ने 2005 के HC आदेश और मार्च 2025 के पुनर्विचार निर्देशों का हवाला दिया, लेकिन मई 2025 में पदों की कमी का बहाना बनाकर दावे खारिज कर दिए गए. कोर्ट ने इसे अस्थायी बताते हुए Supreme Court के फैसलों का उल्लेख किया जो सरकार को नियमितीकरण से रोकने वाली नीतियों पर रोक लगाते हैं. जस्टिस बराड़ ने Punjab-Haryana में तदर्थवाद की प्रवृत्ति की निंदा की और कहा कि नीतियां अक्सर अदालती आदेशों को दरकिनार करने के लिए बनाई जाती हैं.
राज्य का कर्तव्य: संवैधानिक नियोक्ता
Punjab & Haryana High Court ने जोर दिया कि राज्य केवल बाजार का भागीदार नहीं बल्कि संवैधानिक नियोक्ता है. दशकों तक अस्थायी कर्मचारियों से नियमित काम करवाना असंवैधानिक है और समानता व सम्मान के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है. जस्टिस बराड़ ने प्रशासनिक लापरवाही और देरी की निंदा की, जो जनता के न्याय में विश्वास को कमजोर करती है. राज्य को बुनियादी सार्वजनिक कार्यों के लिए इन कर्मचारियों पर निर्भर रहना पड़ता है, फिर भी उन्हें शोषित किया जाता है.
कर्मचारियों का संघर्ष: 1995 से मुकदमेबाजी

याचिकाकर्ता 1995 से तदर्थ आधार पर बिजली निगमों (UHBVN, DHBVN, HVPNL) में कार्यरत हैं… 2005 के HC फैसले के बावजूद नियमितीकरण न होने से वे 9 बार कोर्ट गए. कोर्ट ने कहा कि यह कर्मचारियों का शोषण है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता) और 21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन करता है.
बिजली निगमों में कच्चे कर्मचारियों की स्थिति
हरियाणा के बिजली निगमों में करीब 3,500 कच्चे कर्मचारी हैं, जो दैनिक वेतनभोगी या संविदा पर कार्यरत हैं. ये लाइनमैन, जूनियर इंजीनियर और अन्य तकनीकी पदों पर हैं. सरकार ने 2024 में कुछ नियमितीकरण की घोषणा की, लेकिन अधिकांश फंसे रहे. यह फैसला कर्मचारी यूनियनों की लंबी लड़ाई का परिणाम है.

 
         
         
         
        
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