हरियाणा का गौरवशाली इतिहास (PART-1)
Haryana : 1 नवंबर 1966. ये वो सुनहरी तारीख थी जब आज़ाद भारत को एक नया राज्य मिला था. नाम था हरियाणा. वैसे तो इस नाम के पीछे भी एक अलग रोचक कहानी है. कहा जाता है इस धरती पर हरि यानि भगवान विष्णु के आने की वजह से इसका नाम हरियाणा रखा गया था. जी हां… ये राज्य भले ही लंबे समय तक पंजाब का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन करीब 60 साल पहले इसने अपनी Language और Culture के नाम पर अलग होकर अपनी अलग और विकसित पहचान बनाई है. हरियाणा हमारे देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जिसने देश को सबसे ज्यादा खिलाड़ी दिए हैं और दुनिया भर में बड़ी संख्या में खेले जाने वाले International Sports में देश अनगिनत Medals दिलवाकर भारत की ख्याति में चार चांद लगाए हैं. हरियाणा ही इकलौता ऐसा राज्य है जो महाभारत काल से लेकर आधुनिक काल तक कई जंगों का सितम अपने सीने पर सहा है, जिसकी गवाह आज भी कुरुक्षेत्र की वो लाल मिट्टी है जहां धर्म और अधर्म की लड़ाई में हज़ारों लाखों योद्धाओं ने अपना खून बहाया है. इसीलिए आज के नौजवानों को विकसित हरियाणा के बारे में जानने से पहले जानना चाहिए हरियाणा का वो गौरवशाली इतिहास जो युगों-युगों से दुनिया को धर्म की रक्षा करना सिखाता आया है.
दरअसल इस राज्य का इतिहास बेहद पुराना है. ये मान्यता है कि हमारे देश के सबसे पुराने वेद और वैदिक धर्म की सबसे प्राचीन पांडुलिपियां हरियाणा से ही निकली हैं. हाथ से लिखे गए ये संस्कृत दस्तावेज़ आज भी देश के प्राचीन संग्रहालयों में मौजूद हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि हरियाणा राज्य को ही हिंदु धर्म का जन्म स्थान भी माना जाता है. क्योंकि वेद पुराणों में इस बात का स्पष्ट वर्णन है कि अधर्म पर धर्म की विजय पाने के लिए महाराभारत का युद्ध इसी धरती पर लड़ा गया था. उस ज़माने में हुए कौरव और पांडवों के विध्वंसक युद्ध की वजह से आज भी हरियाणा के कुरुक्षेत्र की मिट्टी का रंग लाल बताया जाता है. इसी मिट्टी पर महाभारत काल में श्रीकृष्ण ने वीर अर्जुन को गीता का पाठ पढ़ाया था और ये सिखाया था कि धर्म से बढ़कर कोई रिश्ता नहीं होता. आपको बता दें कि आज भी हरियाणा राज्य में खुदाई के दौरान कई प्राचीन धरोहरें और हज़ारों सबूत ऐसे पाए जाते हैं तो सिंधु घाटी सभ्यता और मोहनजोदड़ो संस्कृती से हमारी पहचान करवाते हैं. मान्यता है कि सैकड़ों साल पहले इन दोनों सभ्यताओं का विकास हरियाणा की ही धरती पर ही हुआ था. इसी के साथ हरियाणा राज्य भारत की आज़ादी से पहले कई ऐतिहासिक लड़ाइयों का भी गवाह रहा है. जिनमें से एक पानीपत की खूनी जंग थी. 1526 में हुए उस खूनी संघर्ष में मुगल सम्राट बाबर ने इब्राहिम लोधी को हराकर देश में मुगल शासन की नींव रखी थी. इसके तुरंत बाद 1556 में अकबर और अफगान सेना के बीच का भीषण युद्ध हरियाणा में लड़ा गया तो इसके करीब 200 साल बाद अहमद शाह अब्दाली और मराठों की लड़ाई भी इसी मिट्टी पर लड़ी गई थी. हरियाणा के इसी रोचक इतिहास के बारे में जानें तो पता चलता है कि राज्य को सन 1803 में Britain से आई East India Company को सौंपा गया था. इसके करीब 30 साल बाद अंग्रेजों ने हरियाणा को उस समय के ब्रिटिश भारत के उत्तर पश्चिमी राज्यों ट्रांस्फर कर दिया था. अंग्रेज़ी दस्तावेज़ों के अनुसार 1858 में उत्तर पश्चिमी राज्य को पंजाब का हिस्सा मान लिया गया. लेकिन ज़मीनी तौर पर इसे काफी अटपटा फैसला माना गया. क्योंकि इन दोनों ही राज्यों के पहनावे, बोली, खानपान और संस्कृति में हमेशा से ही बड़ा अंतर था. पंजाब के पंजाबी भाषी लोगों ने हमेशा से हिंदी बोलने वाले लोगों को खुली बाहों से हरियाणा को स्वीकार नहीं किया. हिंदी भाषी लोगों से हमेशा से ही धार्मिक और भाषाई मतभेद बने रहे. यही वजह थी कि 20वीं शताबदी की शुरुआत से ही हरियाणा को एक अलग राज्य बनाने की मांग ज़ोर पकड़ती रही. साल 1947 में धर्म के नाम पर देश का बंटवारा हुआ और दुनिया के नक्शे पर एक नए देश Pakistan का जन्म हुआ. वहीं दूसरी तरफ भारत में भाषा और संस्कृती के आधार पर राज्यों के गठन की मांग उठती रही लेकिन हरियाणा और पंजाब को लेकर किसी ने कोई सुनवाई नहीं की. उस समय के Prime Minister Jawahar Lal Nehru ने भाषाई आधार पर राज्यों के गठन की मांग को सिरे से खारिज कर दिया. उसी दौरान एक Social Activist पोट्टी स्रीरामुलु ने Andhra Pradesh को अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे थे. लेकिन करीब दो महीने तक आमरण अनशन से उनकी मौत हो गई और भाषा के आधार पर राज्यों के गठन की चिंगारी ने शोलों का रूप ले लिया. दक्षिण भारत के साथ ही उत्तर भारत में भी ये शोले तेज़ी भड़कने लगे. आखिरकार साल 1966 में पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के पास होने और राज्य की पिछली सिफारिशों के चलते 1 नवंबर को हिंदी भाषा के आधार पर हरियाणा, पंजाबी भाषी राज्य Punjab से अलग होकर भारत का 17वां राज्य बन गया. आज के समय में हरियाणा में कुल 22 ज़िले हैं और इसकी राजधानी Chandigarh है. म्हारा हरियाणा, रोचक हरियाणा के अगले भाग में बात करेंगे कैसे कभी पंजाब का हिस्सा रहा हरियाणा आज कैसे पंजाब को पीछे छोड़ कर बन गया है Number-1 Haryana.?
