
जननायक चौधरी देवी लाल
Haryana Ke Siyasi Kunbe – ताऊ देवीलाल ने पत्रकार से कहा – अपनों को नहीं तो क्या Pakistan से लाऊं? लेकिन अब उसी कुनबे में पड़ गई फूट
Chandigarh : 25 सितंबर 1914… हरियाणा का सिरसा जिला. तेजा खेड़ा गांव में एक बच्चे का जन्म हुआ था. बच्चे के पिता लेखराम सिहाग चौटाला गांव के जमींदार थे जिनके पास करीब 2750 बीघा जमीन थी… समृद्ध परिवार वाले ज़मींदार लेखराम ने बच्चा पैदा होने की खुशी में घर पर बड़ी पार्टी रखी और लड़के का नाम रखा देवीलाल. पूरा परिवार काफी खुश था. बच्चे का भविष्य जानने के लिए बड़े ज्योतिषी बुलाए गए. ज्योतिषी ने जो बताया उससे परिवार टेंशन में आ गया. ज्योतिषी ने कहा कि बच्चा अशुभ नक्षत्र में पैदा हुआ है… ये सुनते ही लेखराम सिहाग परेशान हो गए. उन्होंने ज्योतिषियों से पूछा कि भाई अब क्या करें… ज्योतिषी बोले आपको बड़ा दान करना होगा, जिससे अशुभ नक्षत्र में पैदा होने के बाद भी बच्चा बड़ा आदमी बनेगा. अब जैसा ज्योतिषी ने बताया परिवार ने वैसा ही किया… गरीब लोगों में 10-10 हजार रुपए नकद बांटे. जरूरतमंदों को 5-5 मन गेहूं और बाजरा भी दान किया गया. आगे चलकर वो कमाल हुआ जिसके लिए ज़मींदार के परिवार ने कड़े जतन किए थे.
दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री और दो बार देश के उप-प्रधानमंत्री बने

व्यक्ति विशेष में आज हम जिस खास शख्सियत की बात करने वाले हैं वो हैं हरियाणा के तीन सुप्रसिद्ध लालों में से एक देवीलाल. जिनका परिवार आज सौ साल बाद भी हरियाणा के सबसे ताकतवर कुनबों में से एक है. देश की सियासत में इस कुनबे की नींव रखी थी Tau Devilal ने. वे दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री और दो बार देश के उप-प्रधानमंत्री बने. जाट लैंड के सबसे बड़े नेता ताऊ देवीलाल चौटाला अपने शुरुआती दिनों से ही राजनीति में काफी एक्टिव थे. छोटी उम्र में ही आज़ादी के आंदोलन से जुड़ गए और इसी के चलते कई बार जेल भी गए. जब तक देश आज़ाद हुआ देवीलाल की पहचान एक बड़े किसान नेता के रूप में बन चुकी थी.
बंसीलाल से खटपट, छोड़ दी कांग्रेस
साल आया 1952… आज़ाद भारत में पहले आम चुनाव के बाद उन्होंने सिरसा से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और जीते. उस समय हरियाणा, पंजाब का ही हिस्सा हुआ करता था. 1 नवंबर 1966 को पंजाब से अलग होकर हरियाणा नया राज्य बना. जिसके लिए ताऊ देवीलाल ने लंबे समय तक आंदोलन और संघर्ष किया था. लेकिन 1968 में हुए हरियाणा के पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने देवीलाल को टिकट ही नहीं दिया. उन्हें चुनाव लड़वाने की जगह सलाहकार समिति में रखा गया. चुनाव हुए तो बंसीलाल को मुख्यमंत्री बनाया गया. कांग्रेस के इस फैसले से ताऊ देवीलाल काफी नाराज़ हुए. हालांकि वो बड़े आंदोलनकारी नेता थे, लिहाज़ा उन्हे खुश करने के लिए Bansilal ने उन्हें हरियाणा खादी बोर्ड का चेयरमैन बना दिया. लेकिन दोनों नेताओं के बीच खटपट चलती रही और कुछ समय बाद देवीलाल ने खादी बोर्ड के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद साल 1971 में उन्होने कांग्रेस भी छोड़ दी.
मुख्यमंत्री बने तो बंसीलाल को गिरफ्तार करवाया!

अगले ही साल 1972 में हरियाणा में फिर विधानसभा चुनाव हुए… जिसमें देवीलाल ने कांग्रेस के दो दिग्गज नेता बंसीलाल और भजनलाल के खिलाफ दो सीटों पर एक साथ ताल ठोक दी. लेकिन बदकिस्मती से दोनों जगह से वो चुनाव हार गए. लेकिन उनके हौंसलों में ज़रा भी कमी नहीं आई. वो संघर्ष करते रहे और इमरजेंसी के बाद Janta Party में शामिल हो गए. इमरजेंसी के बाद चुनाव हुए और लंबे समय तक देश में राज करने वाली कांग्रेस पहली बार सत्ता से बेदखल हो गई. वैसा ही कुछ हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी हुआ. जनता पार्टी ने 90 में से 75 सीटों पर जीत दर्ज की और देवीलाल को हरियाणा की कमान सौंपी. इस तरह देवीलाल पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने. कुछ दिनों बाद हरियाणा युवा कांग्रेस के फंड में गड़बड़ी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल को गिरफ्तार किया गया… बताया जाता है कि उस वक्त Haryana Police बंसीलाल को हथकड़ी लगाकर भिवानी की सड़कों पर खुली जीप में बैठाकर कोर्ट ले गई थी.
प्रधानमंत्री रहे मोरारजी देसाई को दी धमकी
खैर वक्त आगे बढ़ा और हरियाणा के तीनों लालों में सियासी खींचतान जारी रही… देवीलाल को सीएम बने अभी दो साल भी पूरे नहीं हुए थे कि पार्टी में उनके खिलाफ बगावत की चिंगारी सुलगने लगी. जिसे तीसरे लाल यानी भजनलाल हवा दे रहे थे. उस वक्त जनता पार्टी दो गुटों में बंट चुकी थी. एक चौधरी चरण सिंह का गुट था जिसमें देवीलाल थे. और दूसरा मोरारजी देसाई का गुट था जिसमें भजनलाल थे. राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि उस वक्त प्रधानमंत्री रहे मोरारजी देसाई के घर एक मीटिंग हुई थी जिसमें देवीलाल को हटाकर भजनलाल को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया गया था. ताऊ देवीवाल को जैसे ही इस बात की भनक लगी वो दमदमाते हुए सीधे मोरारजी देसाई के पास पहुंचे और बोले -तुमने मेरी झोपड़ी में आग लगाई है, मैं तुझे भी महल में नहीं रहने दूंगा. और बस फिर ताऊ देवीलाल लग गए काम पर और महीनेभर के अंदर मोरारजी के खिलाफ खेमेबंदी शुरू कर दी. देवीलाल का साथ चौधरी चरण सिंह ने दिया. 28 जुलाई 1979 का वो दिन था जब इन दोनों की जुगलबंदी काम कर गई और मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा. चौधरी चरण सिंह देश के पांचवे प्रधानमंत्री बने. उसी साल सितंबर में चौधरी चरण सिंह ने लोकदल की नींव रखी. ताऊ देवीलाल को इसमें शामिल किया.
राज्यपाल की गर्दन पकड़ कर जड़ा जोरदार तमाचा

ये बात मई 1982 की है. उस साल लोकदल और बीजेपी ने साथ मिलकर हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ा था. 90 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस 36 सीटें लेकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी… जबकि लोकदल और बीजेपी ने मिलकर 37 सीटें हासिल की थीं. बहुमत के लिए 46 का आंकड़ा चाहिए था. अब 16 निर्दलीय विधायक किंग मेकर की भूमिका में आ चुके थे. तब अटल बिहारी वाजपेयी ने मांग रखी कि सबसे बड़े गठबंधन को सरकार बनाने का प्रस्ताव मिलना चाहिए. उस वक्त केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और Indira Gandhi देश की प्रधानमंत्री थीं. 22 मई 1982 – वो शनिवार का दिन था जब राज्यपाल जीडी तपासे ने देवीलाल को बहुमत साबित करने के लिए बुलावा भेजा था. देवीलाल इसके लिए तैयार थे. उन्होने गठबंधन दल के 37 विधायकों के अलावा 8 निर्दलीय विधायकों का समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंपा. राज्यपाल ने कहा कि सोमवार को विधायकों की परेड के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी. लिहाज़ा जोड़तोड़ की राजनीति से बचने के लिए देवीलाल सभी विधायकों को लेकर हिमाचल चले गए. अगले दिन दिल्ली में खेल हो गया… राज्यपाल ने दिल्ली के हरियाणा भवन में कांग्रेस नेता भजनलाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवा दी. जैसे ही देवीलाल को इस बारे में पता चलातो गुस्से में आगबबूला हो गए. अगले दिन सीधे राजभवन पहुंचे और भजनलाल सरकार को बर्खास्त करने की मांग पर अड़ गए. राज्यपाल तपासे से उनकी बहस भी हो गई. जो इतनी बढ़ गई कि गुस्साए देवीलाल ने तपासे को जोरदार तमाचा जड़ दिया. देवीलाल की इस हरकत के बाद देशभर में उनकी काफी आलोचना हुई. लेकिन उन पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई.
पहले PM की रेस छोड़ी फिर Deputy PM बनने पर अड़े
Tau Devilal (File)
वक्त आगे बढ़ा… बोफोर्स घोटाले में नाम आने के बाद राजीव गांधी सरकार की खूब किरकिरी हुई. वीपी सिंह की बगावत के बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली. Janta Dal ने BJP – Left के समर्थन से सरकार बनाई. देवीलाल प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में सबसे आगे थे, लेकिन ऐन वक्त पर उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया और PM पद के लिए VP Singh का नाम आगे कर दिया. देवीलाल हरियाणा की राजनीति से काफी ऊब चुके थे. वो दिल्ली जाना चाहते थे लेकिन चिंता ये थी कि उनके बाद हरियाणा की कमान कौन संभालेगा. फिर उन्होने फैसला लिया कि अपने बड़े बेटे ओम प्रकाश चौटाला को हरियाणा की कमान सौंपेंगे और खुद दिल्ली जाएंगे. जानकार बताते हैं कि एक रात करीब 11 बजे उन्होने वीपी सिंह को फोन किया और कहा कि मैं भी आपके साथ Deputy PM की शपथ लूंगा और फोन काट दिया. अगले दिन दिल्ली में लोकदल के विधायकों को बुलाया गया और देवीलाल ने ऐलान कर दिया कि मेरी जगह अब ओम लेगा और हरियाणा का मुख्यमंत्री बनेगा. उस समय ओमप्रकाश चौटाला राज्यसभा सांसद थे.
चंद्रशेखर सरकार में दूसरी बार बने Deputy PM

उसी दौरान राम मंदिर का मुद्दा गर्माया… हिंदुत्व का झंडा लेकर रथ यात्रा निकाल रहे लालकृष्ण आडवाणी बिहार में गिरफ्तार हो गए. इसके विरोध में BJP ने वीपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया और उनकी सरकार गिर गई. VP Singh को इस्तीफा देना पड़ा और चंद्रशेखर देश के 8वें प्रधानमंत्री बन गए. देवीलाल के चंद्रशेखर से संबंध काफी बेहतर थे लिहाज़ा उन्हे दूसरी बार डिप्टी प्राइम मिनिस्टर बनाया गया. पॉवर में आते ही देवीलाल ने हरियाणा के मुख्यमंत्री हुकुम सिंह को हटाकर अपने बेटे ओमप्रकाश चौटाला को मुख्यमंत्री बनवा दिया. उनके इस फैसले से पार्टी के कई विधायक नाराज हो गए. कुछ ने तो पार्टी भी छोड़ दी. जिसके बाद राज्यपाल धानिक लाल मंडल ने भी चौटाला की सरकार बर्खास्त कर दी.
अपनों को ना बनाऊं तो क्या पाकिस्तान से लाऊं – ताऊ
आपको बताएं कि जब चौधरी देवीलाल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे, उसके कुछ ही दिनों बाद उन्होने बड़े बेटे OP Chautala को लोकदल का प्रदेश अध्यक्ष बनाया और फिर राज्यसभा भेज दिया… दूसरे बेटे रणजीत सिंह को मंत्री और तीसरे बेटे प्रताप सिंह को हरियाणा की सहकारी संस्था कॉन्फेड का चेयरमैन बना दिया. इसके अलावा भतीजे KV Singh को OSD रख लिया. इस बारे में जब एक पत्रकार ने देवीलाल से पूछा कि आपने सरकार में परिवार को ही क्यों तरजीह दी है? इस पर देवीलाल ने तपाक से जवाब दिया “अपनों को ना बनाऊं तो क्या पाकिस्तान से लाऊं”?. इस तरह से पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के पांच बच्चों में से तीन राजनीति में उतरे. आगे चलकर सबसे बड़े बेटे ओपी चौटाला पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने… दो पोते अजय चौटाला और अभय चौटाला सांसद बने और पड़पोते दुष्यंत हरियाणा के डिप्टी सीएम बने. देवीलाल के बच्चों ने अपने पैतृक गांव के नाम पर सरनेम चौटाला लगाना शुरू कर दिया. और इस तरह से आज ताऊ देवीलाल की चौथी पीढ़ी राजनीति में है लेकिन पूरा कुनबा तीन पार्टियों में बंट चुका है.
तीन सियासी धड़ों में बंट गया ताऊ देवीलाल का परिवार

दरअसल जनवरी 2013 में दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने 14 साल पुराने टीचर भर्ती घोटाले में ओपी चौटाला और उनके बड़े बेटे अजय चौटाला को 10-10 साल की सजा सुनाई थी… इनके जेल जाने के बाद देवीलाल की विरासत संभालने की जिम्मेदारी उनके छोटे पोते Abhay Chautala के कंधों पर आ गई. ऐसा देख अजय चौटाला ने विदेश में पढ़ रहे अपने दोनों बेटे दुष्यंत और दिग्विजय को वापस बुला लिया. लेकिन दोनों के हरियाणा वापस आते ही चाचा अभय चौटाला से उनकी तनातनी शुरू हो गई. पार्टी दो खेमों में बंट गई… एक पक्ष पहले से ही ओपी चौटाला और अभय चौटाला के साथ था तो वहीं दूसरा पक्ष खुलेआम दुष्यंत चौटाला को दूसरा देवीलाल बताने लगा और मुख्यमंत्री पद के लिए नाम उछालने लगा. ये बात ना तो ओपी चौटाला को रास आई और ना ही उनके छोटे बेटे अभय चौटाला को. इसी वजह से एक दिन ओमप्रकाश चौटाला ने भरे मंच से अपने पोतों को पार्टी से बाहर करने का फरमान सुना दिया. पारिवारिक पार्टी से निकाले जाने के बाद साल 2018 में दुष्यंत और दिग्विजय ने जननायक जनता पार्टी की नींव रखी और अपने पिता अजय चौटाला को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया. इस तरह से ताऊ देवीलाल की INLD अब दो टुकड़ों में बंट चुकी थी. वहीं उनके दूसरे बेटे रणजीत सिंह चौटाला पिछले कुछ सालों से भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा हैं. लेकिन 2024 के विधानसभा चुनाव में पार्टी से टिकट ना मिलने के बाद उन्होने बीजेपी छोड़ी दी और अपने पोतों की पार्टी जेजेपी का समर्थन करने की बात कही. हालांकि देवीलाल परिवार के 13 सदस्य अब तक चुनाव लड़ चुके हैं… राज्य में सबसे ज्यादा पार्टियां भी इसी परिवार से बनी हैं मगर अफसोस इस बात का है कि आज हरियाणा का ये ताकतवर कुनबा अलग-अलग धड़ों में बंट चुका है. अगर ताऊ देवीलाल ज़िंदा होते तो ऐसा कभी होने नहीं देते. इस खबर के बारे में क्या है आपकी राय, हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं.
Very informative…