
Haryana Congress CLP Leader. नेता प्रतिपक्ष को लेकर सस्पेंस बरकरार. सरकार भेजेगी Time bound reminder
Chandigarh : Haryana Congress CLP Leader पर सस्पेंस बरकरार… जी हां… हरियाणा में नई सरकार का गठन हुए छह महीने पूर हो चुके हैं लेकिन नेता प्रतिपक्ष का अभी तक कुछ अता पता ही नहीं है. क्योंकि हरियाणा कांग्रेस की ओर से अभी तक नेता विपक्ष के नाम का खुलासा नहीं किया गया है जिससे माना ये जा रहा है कि कांग्रेस हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के नाम को लेकर गंभीर नहीं है. या फिर अब भी गुटबाज़ी इस कदर हावी है कि 6 महीने में शीर्ष नेतृत्व अब तक किसी नाम पर मुहर नहीं लगा पाया है. यही वजह है कि Nayab Singh Saini सरकार हरियाणा में अपनी विपक्षी पार्टी को घेरने का मन बना लिया है. दरअसल दो हफ्ते पहले सरकार की ओर से पत्र लिखकर नेता प्रतिपक्ष का नाम मांगे जाने के बाद भी कांग्रेस की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. अब चाहे कांग्रेस इस मामले को लेकर गंभीर हो या ना हो, हरियाणा सरकार ने इस मामले को काफी गंभीरता से लिया है. सैनी सरकार अब हरियाणा कांग्रेस को Time bound reminder भेजने की तैयारी कर रही है.

खबरों की मानें तो Chief Secretary अनुराग रस्तोगी ने सोमवार को Haryana Congress को रिमाइंडर भेजने के निर्देश दिए हैं. अधिकारियों का कहना है कि अगर इसके बाद भी कांग्रेस की तरफ से कोई जवाब नहीं आता, तो वो कानूनी सलाह लेकर उचित कार्रवाई करेंगे. अब आप सोच रहे होंगे कि इससे सरकार को क्या परेशानी है… तो समझिए…
- 1 मई को हरियाणा के Chief Secretary ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को पत्र लिखकर कहा था कि Information Commissioner और State Iinformation Commission के 7 पद खाली पड़े हैं… नेता प्रतिपक्ष नहीं होने की वजह से नियुक्तियां पेंडिंग पड़ी हैं.
- Chief Information Commissioner और State Iinformation Commission की भर्तियां ना होने के चलते मुख्यालय में RTI के जवाब नहीं दिए जा रहे हैं. इस वजह से करीब 10 हजार RTI के जवाब पेंडिंग पड़े हैं. इन नियुक्तियों के लिए सदन में नेता प्रतिपक्ष का होना बेहद ज़रूरी है.
- Chief Secretary की ओर से लेटर में सिलेक्शन प्रोसेस को पूरा करने के लिए Congress party के 37 विधायकों में से किसी एक का नाम सरकार को बताने के लिए आग्रह किया गया है. CM Office से मेल के जरिए और व्यक्तिगत रूप से भी ये जानकारी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को दी गई है.
- कानून के जानकार बताते हैं कि RTI Act-2005 की धारा 15 (3) में ये व्यवस्था की गई है कि राज्य के Chief Information Commissioner और Iinformation Commission की नियुक्ति मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बनी 3 सदस्यीय कमेटी ही कर सकती है. जिसमें CM, एक मंत्री के अलावा नेता प्रतिपक्ष का होना भी जरूरी है. ऐसा इसलिए ताकि संवैधानिक पदों पर नियुक्ति में विश्वसनीयता बनी रहे.
हरियाणा कांग्रेस में भी हावी गुटबाज़ी?

Haryana Congress में हमेशा से गुटबाज़ी चरम पर रही है. जिसका नुकसान हर बार पार्टी को चुनाव में उठाना पड़ता है. इस वक्त भी पार्टी में दो गुट हावी हैं. पहला गुट पूर्व सीएम Bhupinder Singh Hooda का है तो वहीं दूसरा गुट Kumari Selja और Randeep Surjewala का है. अब हुड्डा गुट के समर्थक और सभी विधायक उन्हे CLP Leader बनाने पर अड़े हैं तो वहीं सैलजा-सुरजेवाला गुट अपने समर्थक विधायकों को विधानसभा में ये जिम्मेदारी देना चाहते हैं. सूत्रों की मानें तो दोनों गुटों के नेता दिल्ली में टॉप लीडरशिप को अपना फीडबैक दे चुके हैं. लेकिन पार्टी के सीनियर नेता पार्टी के टुकड़े होने के डर से CLP लीडर के नाम का ऐलान करने में देरी कर रहे हैं.
10 साल से मज़बूत संगठन नहीं बना पाई कांग्रेस!

हरियाणा में पहली बार ऐसा हुआ है कि लगातार तीसरी बार किसी सरकार ने रिपीट किया हो… वहीं कांग्रेस का हाल ये है कि पार्टी पिछले दस साल में मज़बूत संगठन तक नहीं बना पाई है. पार्टी के तमाम सीनियर नेता इस बात को समझा चुके हैं लंबे समय तक संगठन ना होने की वजह से पार्टी को कितना नुकसान हो रहा है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव सभी ने इसका नमूना देखा भी है. लेकिन फिर भी हरियाणा कांग्रेस के नेताओं की “मैं” खत्म होने का नाम नहीं ले रही और खामियाज़ा पूरी पार्टी को उठाना पड़ रहा है.
बताया जा रहा है कि राज्य सूचना आयोग में नियुक्तियों को लेकर हाल ही में हुई screening committee meeting में नामों को स्कैन करके एक पोस्ट के लिए 3 गुना नामों को शॉर्टलिस्ट किया गया है. इन नामों को एक सीलबंद लिफाफे में रखा गया है. अब कांग्रेस की ओर से जब प्रतिनिधि का नाम सामने आएगा तब सर्च कमेटी आकर नियुक्तियों के नामों पर चर्चा करेगी और फिर मुहर लगाई जाएगी. आपको बता दें Haryana Information Commission में Chief Information Commissioner सहित 8 राज्य सूचना आयुक्त पदों के लिए करीब 350 आवेदन सरकार के पास आए थे. आवेदन करने वाले में सेवानिवृत्त IAS-IPS, HCS ही नहीं बल्कि सेवारत अधिकारी भी शामिल हैं. मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल कुल 3 सालों के लिए रहेगा जिसे बाद में और 3 सालों के लिए बढ़ाया भी जा सकता है. UPA सरकार जब सूचना का अधिकार अधिनियम लेकर आई थी उस समय ये कार्यकाल 5 साल के लिए होता था.