Greater Noida Toilet Blast
Greater Noida Toilet Blast: सोचिए अगर आप अपने घर के टॉयलेट में फ्रेश होने के लिए जाएं और झुलस जाएं तो क्या होगा? ग्रेटर नोएडा से एक ऐसी ही ख़बर सामने आई है जिसने सभी के होश उड़ा दिए हैं. और लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर क्या वो अपने घर में भी सुरक्षित है? क्योंकि ग्रेटर नोएडा में टॉयलेट में ब्लास्ट हो गया है.

धमाके में 16 साल का लड़का झुलसा
ग्रेटर नोएडा के सेक्टर-36 में हुए इस धमाके ने सबको हैरान कर दिया है.दरअसल ग्रेटर नोएडा के सेक्टर-36 में मौजूद एक घर में एक 16 साल का लड़का फ्रेश होने के लिए गया था तभी टॉयलेट का दरवाजा खोलते ही तेज आवाज के साथ धमाका हो गया.धमाका इतना जोरदार था कि वो लड़का गिर पड़ा और बुरी तरह झुलस गया.पीड़ित को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

टॉयलेट सीट हुई चकनाचूर !
टॉयलेट में हुए धमाके से मौके पर मौजूद टॉयलेट सीट भी टूट गई और पूरे घर में हड़कंप मच गया.धमाके की आवाज सुनकर मौके पर पहुंचे लोगों के घटनास्थल को देखकर होश उड़ गए.लोगों को टॉयलेट का हाल देखकर यकीन ही नहीं हो रहा था कि ऐसा भी हो सकता है.लोग सोचने पर मजबूर थे कि क्या टॉयलेट में धमाका हो सकता है? वो भी इतना जोरदार कि टॉयलेट सीट भी टूट जाए और एक व्यक्ति भी इस धमाके में घायल हो जाए.

जानिए क्यों हुआ टॉयलेट ब्लास्ट !
टॉयलेट में हुए धमाके को लेकर स्थानीय लोगों ने अपना पक्ष रखा है.कहा जा रहा है कि टॉयलेट में एक अत्यधिक मीथेन गैस के एकत्र होने के कारण ये धमाका हुआ है.लोगों का कहना है कि टॉयलेट सीट में सीवर के कारण मीथेन गैस जमा हुई होगी जिससे ये धमाका हो गया.
कैसे जमा हुई मीथेन गैस?
स्थानीय लोगों का कहना है कि ग्रेटर नोएडा में सीवर सिस्टम फेल हो चुका है.सीवर में जमा होने वाली गैस की निकासी का कोई रास्ता नहीं है पहले वेंट पाइप लगते थे जिससे गैस निकल जाती थी लेकिन अब ऐसा नहीं है,जिसके कारण गैस ज्यादा जमा होने लगी है. शायद इसी कारण ही लड़के ने जैसे ही टॉयलेट का दरवाजा खोला,तो धमाका हो गया होगा.स्थानीय लोगों का आरोप है इलाके में करीब डेढ़ साल से सीवर लाइन टूटी हुई है जिसको लेकर कई बार संबंधित विभाग में शिकायत भी की गई लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है.स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर वक्त रहते कदम उठाए जाते तो शायद ऐसी घटना को रोका जा सकता था.संबंधित विभाग को सीवर सिस्टम को दुरुस्त करना चाहिए ताकि मीथेन गैस हद से ज्यादा जमा ना हो और ऐसे हादसे नहीं हो सके.
