
HealthCenter-गोवर्धन सीएचसी बना लापरवाही का धूनी राख़
जब HealthCenter बना “हॉरर हाउस”!डिप्टी सीएम के पहुंचते ही हड़कंप
लोकेशन-मथुरा। संवाददाता-अमित शर्मा
मथुरा के गोवर्धन में स्थित सरकारी HealthCenter में गुरुवार सुबह अचानक प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का तूफानी प्रवेश हुआ। लेकिन साहब जैसे ही अंदर घुसे, न अस्पताल दिखा, न अस्पताल वाले! 44 मेडिकल स्टाफ में से महज़ 10 हाजिर मिले। बाकियों की उपस्थिति अस्पताल के रजिस्टर में तो थी, लेकिन ज़मीन पर नहीं! यानी अस्पताल कम, भूत बंगला ज़्यादा लग रहा था।
HealthCenter में मिली गंदगी की “ओपनिंग सेरेमनी”!
HealthCenter का हाल देखकर डिप्टी सीएम के चेहरे पर हैरानी और गुस्से का कॉकटेल साफ़ झलकने लगा। गंदगी ऐसी कि कोई फिसल जाए तो अस्पताल की ज़रूरत वहीं पड़ जाए। डॉक्टरों के कमरे में फटे परदे, बिखरा कचरा और फाइलें ऐसी तितर-बितर जैसे सरकार की योजनाएं।
HealthCenter की Fire सेफ्टी, खुद खतरनाक निकली!
डिप्टी सीएम ने जब फायर सेफ्टी की जानकारी मांगी, तो स्टाफ ने गोलमोल जवाब देकर टहलाने की कोशिश की। पता चला कि 3 साल पहले लगी फायर सेफ्टी मशीन अब तक एक बार भी मॉक ड्रिल में इस्तेमाल नहीं हुई। “एनओसी नहीं है” – ये सुनकर ब्रजेश पाठक का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया।
HealthCenter में ताले जड़े, सीपीआर रूम बना प्राइवेट प्रॉपर्टी!
सबसे बड़ा झटका तब लगा जब डिप्टी सीएम सीपीआर रूम पहुंचे और वहां ताला लटका देखा। बोले – “यह कोई प्राइवेट प्रॉपर्टी है क्या?” ताला खुलवाया गया तो भीतर अव्यवस्था का आलम देखकर अफसरों के होश फाख्ता हो गए।
HealthCenter में रजिस्टर गायब, स्टाफ को याद नहीं ड्यूटी कब थी

डिप्टी सीएम ने जब इमरजेंसी रजिस्टर देखा, तो पता चला कि उसमें एंट्री ही नहीं थी। मेडिकल स्टाफ एक-दूसरे पर आरोप मढ़ते नज़र आए, जैसे नाटक के कलाकार स्क्रिप्ट भूल गए हों। HealthCenter में व्यवस्था का पोस्टमार्टम सामने था।
HealthCenter में गूंजा सस्पेंशन का डंका!
ब्रजेश पाठक ने सीएमओ को वहीं खड़े-खड़े आदेश दिया कि अनुपस्थित डॉक्टरों और स्टाफ को तत्काल सस्पेंड किया जाए। आदेश सुनते ही स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। यह छापा नहीं, बल्कि “सरकारी आरामगृह” पर बिजली गिरने जैसा था।
HealthCenter बना सवालों का मैदान – जनता पूछे जवाब
अब सवाल ये है कि क्या यह सिर्फ गोवर्धन के HealthCenter की कहानी है या पूरे प्रदेश में यही सिस्टम है? क्या कार्रवाई सिर्फ निलंबन तक सिमट जाएगी या जिम्मेदारों पर भी गिरेगी गाज? एक तरफ सरकार स्वास्थ्य सुधार की बात करती है, दूसरी तरफ ग्राउंड रियलिटी बदहाली से लथपथ।