Golden Era With Raj Kapoor. क्यों हर बार अधूरा रह गया शादीशुदा राज कपूर का प्यार? कैसे एक Protocol ने ली थी उनकी जान? Pura Safarnama
Mumbai : तीन नेशनल अवॉर्ड्स, 11 फिल्म फेयर ट्रॉफी, पद्मभूषण और दादा साहब फालके अवॉर्ड… ये आंकड़े बताने के लिए काफी हैं कि आज हम फिल्म इंडस्ट्री के The Show Man Raj Kapoor साहब की बात करने वाले हैं. वो राज कपूर जो फिल्म इंडस्ट्री के पहले बेताज बादशाह थे. और आज के दौर में भी उनकी गिनती बॉलीवुड लीजेंड्स में होती है. क्या आप जानते हैं राज कपूर का असली नाम रणबीर कपूर था, जो आज उनके पोते और फेमस एक्टर Ranbir Kapoor का भी नाम है.
‘नीलकमल’ से मारी Hero वाली Entry

बॉलीवुड इंडस्ट्री के पहले शो मैन राज कपूर साहब का जन्म 14 दिसंबर 1924 को पेशावर में हुआ था जो अब Pakistan का हिस्सा है. साल 1935 में महज़ 11 साल की उम्र में राज कपूर ने फ़िल्म इंकलाब में अभिनय किया था. उस समय वे Bombay Talkies Studio में सहायक का काम करते थे. बाद में वो केदार शर्मा के साथ क्लैपर बॉय का काम करने लगे. कुछ लोगों का मानना है कि उनके पिता पृथ्वीराज कपूर को ये विश्वास ही नहीं था कि राज कपूर अपनी जिंदगी में कुछ खास काम कर पाएंगे. इसीलिये बड़े कपूर साहब ने राज को सहायक के तौर पर छोटे मोटे काम में लगवा दिया. लेकिन उस समय के प्रसिद्ध निर्देशक केदार शर्मा ने राज कपूर के अंदर छिपे एक्टर को पहचाना और 1947 में अपनी फ़िल्म ‘नीलकमल’ में उन्हे हीरो के रूप में बड़ा मौका दिया. इस तरह राज कपूर ने फिल्मी दुनिया में हीरो की तरह Entry मारी. उनकी पहली हीराइन थीं हिन्दी सिनेमा की वीनस मानी जाने वाली सुप्रसिद्ध अभिनेत्री मधुबाला.
नरगिस से… प्यार हुआ इकरार हुआ…

इसके बाद तो मानों कपूर साहब के सपनों को पंख ही लग गए थे… पहली फिल्म से शुरू हुआ सफलता का कारवां चलता गया, चलता ही गया. राज कपूर साहब की सफलता का कोई पैमाना नहीं था. उनकी सफलता को आकड़ों में बांधा नहीं जा सकता. और ना ही उन्हे याद करने के लिए किसी एक फिल्म का जिक्र नहीं किया जा सकता. उनकी हर फिल्म एक से बढ़कर एक ज़बरदस्त थी. राज का शानदार अभिनय और मुकेश की दर्दभरी आवाज़ में ऐसे-ऐसे गाने बने, जिन्हे आज तक कोई टक्कर नहीं दे पाया है. एक्टर के साथ ही राज साहब उतने ही शानदार डायरेक्टर भी थे क्योंकि वो फिल्म बनाते वक्त किसी तरह का समझौता नहीं करते थे. उनके बारे में कहा जाता है कि वो अपनी हर फिल्म में हीरोइन को एक बार सफेद साड़ी ज़रूर पहनाते थे. इसके पीछे की दिलचस्प कहानी हम आपको अपनी इस वीडियो में ज़रूर बताएंगे. साथ ही बताएंगे कि कैसे शादीशुदा होते हुए भी राज कपूर को उस वक्त हुस्न की मल्लिका नरगिस जी से प्यार हो गया था.
एक फिल्म में लुटाई सारी कमाई

राज कपूर साहब न सिर्फ एक बेहतरीन एक्टर थे बल्कि उन्होने अपना नाम राइटर, प्रड्यूयर, डायरेक्टर और एक एडिटर के रूप में भी अव्वल दर्जे पर रखा था. 3 भाइयों में सबसे बड़े राज ने साल 1946 में अपने परिवार की मर्जी से कृष्णा मलहोत्रा से शादी की. जिनसे उनके तीन बेटे और दो बेटियां हुए. राज कपूर के फिल्मी करियर की शुरुआत हुई 24 साल में फिल्म आग के निर्देशन से… उस वक्त वो सबसे युवा फिल्म निर्देशक बनकर सामने आए. 1948 में उन्होने RK Films के नाम से फिल्म स्टूडियो बनाया जिसकी पहली फिल्म थी बरसात. फिल्म में उनका और नरगिस का एक सीन इतना ज़बरदस्त हिट हुआ कि बाद में वही RK Films का Logo भी बन गया. उस दौर में किसी के लिए भी फेमस होना आम बात नहीं थी. लेकिन राज उस वक्त पहले ऐसे इकलौते एक्टर थे जो देश ही नहीं दुनियाभर में मशहूर थे. राजकपूर की फिल्म Mera Naam Jokar इंडिया की पहली ऐसी फिल्म थी जिसमें दो इंटरवल थे. ये फिल्म पूरे 4.5 घंटे लंबी थी. जो आज भी हिंदी सिनेमा की सबसे लंबी और सबसे मशहूर फिल्म है. कहते हैं इस Mega Starrer Film को बनाने के लिए राज साहब ने अपनी जिंदगी की सारी पूंजी दांव पर लगा दी थी. और इसी फिल्म से उन्होने अपने बेटे श्रषि कपूर को भी लॉन्च कर दिया था.
9 साल का रिश्ता, फिर नरगिस ने बना ली दूरी

राज साहब शादीशुदा होने के बावजूद भी अक्सर अपनी फिल्म की हीरोइनों के साथ अफेयर की खबरों को लेकर चर्चाओं में रहते थे. बताया जाता है कि राजकपूर ने सबसे ज्यादा फिल्में नरगिस के साथ की थी. वो उनसे प्यार भी बहुत करते थे. हालांकि उन्होने नरगिस को लेकर अपने प्यार को कभी जगज़ाहिर तो नहीं किया था लेकिन कभी झुठलाया भी नहीं था. राजकपूर और नरगिस ने आवारा, श्री 420 और बरसात जैसी करीब 16 फिल्मों में एक साथ काम किया था. दावा किया जाता है कि नरगिस भी उन्हे चाहती थीं. राइटर Madhu Jain ने अपनी किताब ‘First Family of Indian Cinema – The Kapoor’s’ में लिखा है – “नरगिस ने अपना दिल, आत्मा और यहां तक की अपना पैसा भी राज कपूर की फिल्मों में लगाना शुरू कर दिया था. जब आरके स्टूडियोज़ के पास पैसे की कमी हुई तो नरगिस ने अपने सोने के कड़े तक बेच दिए थे. लेकिन राजकपूर के साथ 9 साल लंबा रिश्ता होने के बाद जब नरगिस को ये लगने लगा कि राज उनकी तरफ ध्यान नहीं दे रहे और दोनों के रिश्ते का कोई भविष्य नज़र नहीं आ रहा तो नरगिस ने उनके साथ दूरी बना ली. ये बात राज साहब को अंदर ही अंदर खाए जा रही थी”.
नरगिस की शादी के बाद टूटे राज

कहते हैं जब सुनील दत्त के साथ नरगिस की शादी की खबर राज कपूर तक पहुंची तो उन्होने अपने आपको सिगरेट बटों से जला लिया था. उनको ऐसा लग रहा था कि कहीं ये कोई बुरा सपना तो नहीं. नरगिस के ऊपर किताब लिखने वाले TJS GEORGE के मुताबिक नरगिस की शादी के बाद से ही राज साहब ने बेइंतेहा शराब पीनी शुरू कर दी थी. अपने फिल्मी सफर के दौरान नरगिस से अफेयर खत्म होने के बाद उनका झुकाव वैजयन्ती मालाकी तरफ बढ़ने लगा था. साठ का दशक आते-आते दोनों के अफेयर की चर्चाएं ज़ोर पकड़ने लगी थीं. साल आया 1964. फिल्म थी संगम. एक से बढ़कर एक बढ़कर सुपर डुपरहिट गाने और ऐसी ही मेगाब्लॉबस्टर फिल्म भी साबित हुई. फिल्म में लव ट्रायंगल दिखाया तो गया था लेकिन लव ट्रैक राज कपूर का ही चल रहा था. जुबली कुमार राजेंद्र कुमार तो साइड रोल में थे. राज साहब का प्यार एक बार फिर परवान चढ़ चुका था. बाकायदा उन्होने दुनियावालों के सामने वैजयन्ती माला से खुलेआम प्यार का इज़हार कर डाला था.
टूटते-टूटते बचा राज साहब का घर

दोनों की शादी की खबरें भी उड़ने लगीं. हालांकि राज की हीरोइन ने इन साब बातों को कोरी अफवाह करार दिया. वहीं फिल्म संगम के दौरान उनकी राज साहब की वैजयंती के साथ बढ़ती नज़दीकियां उनकी पत्नी को इतनी खटकी कि वो घर छोड़ कर चली गईं. करीब साढ़े चार महीने वो अपने बच्चों के साथ मुंबई के नटराज होटल में रहीं. बाद में किसी तरह समझा बुझा कर राज उन्हे घर वापस ले आए. लेकिन कृष्णा कपूर ने घर वापसी की एक शर्त रखी थी, कि राज कपूर फिर कभी वैजयन्ती माला के साथ काम नहीं करेंगे. बस तो फिर क्या था. कपूर साहब को Home Minister की बात माननी पड़ी और इस तरह उनकी दूसरी लव स्टोरी का भी The End हो गया. वक्त आगे बढ़ा… अब बारी थी उनकी तीसरी Love Story की. कहा जाता है कि वैजयन्ती से अलग होने के बाद राज अभिनेत्री पदमिनी को भी डेट किया था. इस बात का खुलासा राज के बेटे Rishi Kapoor ने साल 2017 में किया था.
हर हीरोइन को पहनाई सफेद साड़ी

राज कपूर के बारे में एक ये किस्सा बड़ा मशहूर है कि वो अपनी हर फिल्म की हीरोइन को सफेद साड़ी ज़रूर पहनाते थे. बताया जाता है कि शादी के बाद एक बार उन्होने अपनी पत्नी को सफेद साड़ी तोहफे में दी थी. ये साड़ी उन्हे इतनी पसंद आई कि उसके बाद उन्होने अपनी हर फिल्म में हीरोइन को सफेद साड़ी पहनाई. उनसे जुड़ा एक किस्सा ये भी है कि RK Studios में उनका अपना एक पर्सनल मेकअप रूप था. जिसे इस्तेमाल करने की इजाज़त उनके अलावा सिर्फ उनके खास दोस्त Dev Anand को थी जो कि कपूर साहब के सबसे खास दोस्तों में से एक थे.
कैसे एक प्रोटोकॉल ने ली राज की जान?

दरअसल जिंदगी के साठ बरस देख लेने के बाद उनकी तबीयत काफी खराब रहने लगी थी. उसी समय दादा साहेब फालके अवॉर्ड के लिए उन्हे दिल्ली आने का न्योता मिला तो वो मना नहीं कर सके. ये अवॉर्ड सेरेमनी दिल्ली के Siri Fort Auditorium में थी. सुरक्षा कारणों के चलते इस ईवेंट में राज साहब को ऑक्सीजन सिलेंडर साथ में ले जाने की इजाज़त नहीं मिली. ऐसे में जैसे ही उनके नाम की घोषणा हुई तभी उनके सीने में तेज़ दर्द उठा. ये देख कर तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन प्रोटोकॉल तोड़ कर स्टेज से नीचे आए और कपूर साहब तो तुरंत AIIMS अस्पताल भेजा गया. एक महीने तक चले लंबे इलाज के बाद आखिरकार The Show Man की जिंदगी का Show खत्म हो गया. वो अपने आखिरी समय में फिल्म हिना की शूटिंग से जुड़े थे. जिसे उनकी मौत के बाद उनके दोनो बेटे रणधीर और श्रषि कपूर ने पूरा किया. फिल्म तीन साल बाद 1991 में रिलीज़ हुई और बंपर हिट गई. चलते-चलते उन्ही के अंदाज़ में उनका एक मशहूर गाना आपके लिए पेश किए चलते हैं…
कल खेल में हम हो ना हों, गर्दिश में तारे रहेंगे सदा.
भूलोगे तुम भूलेंगे वो, पर हम तुम्हारे रहेंगे सदा.
रहेंगे यहीं अपने निशां, इसके सिवा जाना कहां...
जीना यहां मरना यहां, इसके सिवा जाना कहां…
