 
                  Ghazipur News: अवैध बैनर, होर्डिंग्स पर कब होगा एक्शन ?
Ghazipur News : गाजीपुर जनपद में राजमार्गों और सार्वजनिक संपत्तियों पर अतिक्रमण और निजी प्रचार का मामला गंभीर होता जा रहा है. ताजा मामला गाजीपुर से आरकेबीके होकर महाराजगंज जाने वाले लोक निर्माण विभाग (PWD) के राजमार्ग का है. यहां मिश्र बाजार में नारायण दास ज्वेलरी ने कथित तौर पर बिना किसी विभागीय अनुमति के सड़क के दोनों किनारों पर खंभे गाड़कर बड़े-बड़े विज्ञापन बोर्ड लगा दिए हैं. ये न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि सरकारी संपत्ति पर कब्जे का खुला उदाहरण भी है.
अवैध बोर्ड दिखाई नहीं देता ?
सबसे हैरानी की बात ये है कि इनमें से एक बोर्ड क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) के ठीक सामने लगा है. सवाल ये उठता है कि क्या RTO के कर्मचारियों की नजर इस अवैध बोर्ड पर नहीं पड़ी? अगर पड़ी, तो उन्होंने इसकी सूचना PWD या अन्य संबंधित विभाग को क्यों नहीं दी? ये स्थिति ये सवाल खड़ा करती है कि क्या अब कोई भी व्यक्ति या संस्था सरकारी कार्यालयों और राजमार्गों के सामने बिना अनुमति के प्रचार बोर्ड लगा सकता है? ये न केवल प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि कानून के प्रति उदासीनता को भी उजागर करता है.
साहब को जानकारी नहीं है !
जब इस मामले में PWD के अधिशासी अभियंता से बात की गई, तो उन्होंने साफ कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है और न ही उन्होंने किसी बोर्ड लगाने की अनुमति दी. उन्होंने इसे विभाग की जानकारी से बाहर का मामला बताया. वहीं, जूनियर इंजीनियर आलोक यादव ने भी यही रुख दोहराया. उन्होंने कहा कि अगर कोई बिना अनुमति के राजमार्ग पर खंभे गाड़कर बोर्ड लगा रहा है, तो ये पूरी तरह गलत है और इस पर कार्रवाई की जाएगी. लेकिन सवाल ये है कि जब बोर्ड इतने प्रमुख स्थानों पर लगे हैं, तो विभाग को इसकी जानकारी अब तक क्यों नहीं हुई?

किस आधार पर लगा बोर्ड ?
नारायण दास ज्वेलरी के इस कदम पर भी सवाल उठ रहे हैं. आखिर किस आधार पर उन्होंने सरकारी संपत्ति पर अवैध बोर्ड लगवाए? क्या इसके पीछे किसी प्रशासनिक मिलीभगत का खेल है, या ये कानून की खुलेआम अनदेखी है? स्थानीय प्रशासन और RTO की चुप्पी इस मामले को और संदिग्ध बनाती है. आखिर जिम्मेदार अधिकारी अब तक क्यों खामोश हैं? क्या ये प्रशासन की मौन स्वीकृति का संकेत नहीं कि निजी व्यापारियों को सरकारी संपत्तियों पर प्रचार की खुली छूट मिल रही है?
ये तो अतिक्रमण है ?
ये मामला सिर्फ अवैध होर्डिंग्स का नहीं, बल्कि सार्वजनिक संसाधनों पर अतिक्रमण और प्रशासनिक निष्क्रियता का है. अगर समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो राजमार्गों की व्यवस्था चरमरा सकती है और नियम-कानून की धज्जियां उड़ती रहेंगी. प्रशासन को तुरंत जागना होगा और इस अतिक्रमण को हटाकर दोषियों पर कार्रवाई करनी होगी

 
         
         
        