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Ghazipur Illegal Weapon Arrest: जब शराब न मिली तो तमंचा ही निकाल लिया…
Ghazipur Illegal Weapon update
गाजीपुर में भड़सर के शराब ठेके पर मंगलवार की शाम एक अनोखा ‘नशेबाज़’ देखा गया—शराब न मिली तो जेब से तमंचा निकाल लिया! अबे भइया, ये ठेका है या यूपी का बार्डर? सैनिक कैंटीन के पास बैठा युवक मानो देश के लिए युद्ध नहीं, खुद की भूख मिटाने का जुगाड़ करने निकला हो—और वो भी .315 बोर वाले देशी तमंचे से!
Ghazipur Illegal Weapon Arrest: मुखबिर का कान और पुलिस की चाल, दोनों निकले शातिर
जैसे ही सूचना मिली कि “भाई साहब ठेके के पास तमंचा ताने बैठे हैं,” उपनिरीक्षक संतोष कुमार और चौकी प्रभारी सुनील कुमार शुक्ला ने सोचा, चलो इस ‘लोकल रॉबिनहुड’ से मुलाक़ात करते हैं। सैनिक कैंटीन क्या थी, जैसे PUBG का ‘Red Zone’ बन चुका था। टीम ने घेराबंदी की और राजकुमार चौहान नाम के इस तमंचाधारी को धर दबोचा। जेब में था—.315 बोर का देशी तमंचा।
Ghazipur Illegal Weapon Arrest: सवाल ये नहीं कि तमंचा मिला… सवाल ये है कि शराब के लिए तमंचा कौन लिए फिरता है?
अब सवाल उठता है कि भइया, जब दिल में दर्द हो, तो लोग शायरी करते हैं… ये कौन है जो तमंचा लिए फिर रहा है? क्या अब ग़म गलत करने के लिए ‘मक्खन-मलाई’ नहीं, ‘माउज़र-मगज़ीन’ चाहिए? पुलिस ने IPC और आर्म्स एक्ट की धाराएं लगाकर सीधे जेल की पर्ची थमा दी है, लेकिन असल कहानी ये है कि अब गाजीपुर में ठेका, तफ़रीह और तमंचा—सब एक ही लाइन में खड़े हैं!
Ghazipur Illegal Weapon Arrest: न्याय का चीरहरण या ठेके का नया ‘डिफेंस ज़ोन’?
इस पूरे घटनाक्रम में असली सवाल ये है कि गाजीपुर में अब क्या हर ठेके के बाहर एके-47 लेकर गार्ड बैठेंगे? या अब नशे की तलब पूरी करने के लिए ‘लाइसेंस’ की जरूरत भी नहीं? पुलिस भले ही इसे सफलता माने, लेकिन असलियत ये है कि हथियार अब मोहब्बत और मयखाने—दोनों की लाइन में लग चुके हैं।
Ghazipur Illegal Weapon Arrest: पुलिस ने झंडा गाड़ा, मगर सिस्टम की नींव हिल गई
पुलिस ने तो युवक को पकड़ कर अपनी पीठ खुद ही थपथपा ली, लेकिन सोचिए अगर ये तमंचा किसी और के सीने में उतरता? क्या तब भी यही सिस्टम इतना चौकन्ना होता? गश्त पर निकली पुलिस और मुखबिर की जानकारी इस बार कारगर रही, लेकिन इससे ये भी साबित हुआ कि ‘गन कल्चर’ अब सिर्फ गैंगस्टरों की चौखट तक सीमित नहीं रहा।
Ghazipur Illegal Weapon Arrest: तमंचे के पीछे कौन, क्यों और कब?
अब पुलिस यह पता लगाने में जुट गई है कि युवक के पास तमंचा कहां से आया और उसका इरादा क्या था? क्या ये महज़ शौक था या किसी बड़ी वारदात की तैयारी? राजकुमार चौहान तो अब जेल की हवा खा रहा है, लेकिन जो हवा गाजीपुर की सड़कों पर तमंचे उड़ाकर बह रही है, वो कब थमेगी, इसका जवाब शायद किसी मुखबिर के पास भी न हो!

 
         
         
        