 
                  PM Gramin Sadak Yojana: सड़क बनी थी राहत के लिए, अब बनी है मौत का ओवरब्रिज!
सपने में भी नहीं सोचा होगा कि गाजीपुर की जयरामपुर-हंसराजपुर PM Gramin Sadak Yojana , जो गांवों को शहर से जोड़ने का वादा थी, ओवरलोड ट्रकों का अड्डा बन जाएगी। यह सड़क, जो साइकिलों और हल्के वाहनों के लिए बनी थी, अब टोल टैक्स बचाने वाले ओवरलोड ट्रकों की रेसिंग ट्रैक बन चुकी है। सुबह से शाम तक धूल, धुआं, और डर का आलम है। ग्रामीणों की सांसें अटकी हैं, बच्चे स्कूल जाने से डरते हैं, और हर कदम पर हादसे का साया मंडराता है।
ओवरलोड ट्रक और PM Gramin Sadak Yojana का मजाक

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) का मकसद था गांवों को तरजुमा देना, लेकिन गाजीपुर के बिरनो में यह सड़क ओवरलोड ट्रकों की मनमानी का शिकार बन गई। 10-11 फीट की तंग सड़क पर ये भारी-भरकम ट्रक ऐसे दौड़ते हैं मानो कोई राष्ट्रीय राजमार्ग हो। सड़क की सतह उखड़ रही है, गड्ढे बढ़ रहे हैं, और ग्रामीणों का जीना मुहाल हो गया। ओवरलोड ट्रक जब सामने आते हैं, तो पैदल चलने वालों को खेतों में कूदना पड़ता है। यह सड़क सुविधा नहीं, सजा बन चुकी है।
PM Gramin Sadak Yojana:जर्जर पुलिया और ओवरलोड ट्रकों का कहर
इस सड़क पर बनी छोटी-छोटी पुलिया तो जैसे हर पल हादसे को दावत दे रही हैं। ये जर्जर पुलिया पहले ही अपनी उम्र पूरी कर चुकी हैं, और अब ओवरलोड ट्रकों का बोझ सह रही हैं। हर गुजरता ट्रक इन पुलियों को और कमजोर करता है। ग्रामीण डर के मारे रात को सो नहीं पाते, कि कहीं कोई पुलिया ढह न जाए। जांच में साफ हो चुका है कि यह सड़क और इसकी पुलिया भारी वाहनों के लिए नहीं बनी। फिर भी, ओवरलोड ट्रक बेरोकटोक दौड़ रहे हैं। एक हादसा, और जनहानि का आंकड़ा भयावह हो सकता है।
टूटे बैरियर, ओवरलोड ट्रकों की जीत

कभी प्रशासन ने ग्रामीणों की शिकायत पर कदम उठाया था। लो-हाइट गेज बैरियर लगाए गए, जिससे ओवरलोड ट्रकों की घुसपैठ रुकी। लेकिन यह राहत बस एक झटके की तरह थी। रातोंरात बैरियर गायब! और फिर वही पुराना तमाशा—ओवरलोड ट्रकों की धमक, धूल का गुबार, और ग्रामीणों की जान पर बनी तलवार। तंग सड़क पर जब ये ट्रक आते हैं, तो राहगीरों को जान बचाने के लिए खेतों में छलांग लगानी पड़ती है। यह सड़क अब गांव का रास्ता नहीं, बल्कि मौत का हाइवे बन चुकी है।
ओवरलोड ट्रकों के सामने प्रशासन की चुप्पी
गाजीपुर प्रशासन की खामोशी किसी गुनाह से कम नहीं। न कोई निरीक्षण, न पुलियों की मरम्मत, न ही नए बैरियर की कोई बात। ओवरलोड ट्रक बेलगाम दौड़ रहे हैं, और अधिकारी कुंभकर्णी नींद में। ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। वे धरना-प्रदर्शन की चेतावनी दे रहे हैं। और क्यों न दें? उनके बच्चों की जान दांव पर है, उनकी सड़कें टूट रही हैं, और उनकी आवाज अनसुनी की जा रही है। पीएमजीएसवाई सड़क, जो प्रगति का प्रतीक थी, अब लापरवाही और खतरे की मिसाल बन चुकी है।
ओवरलोड ट्रकों को रोकने की पुकार

यह सड़क सिर्फ मिट्टी-सीमेंट का ढांचा नहीं, हजारों ग्रामीणों की जिंदगी का आधार है। मगर ओवरलोड ट्रक इसे कब्रगाह बनाने पर तुले हैं। हल आसान है—बैरियर दोबारा लगाओ, वजन सीमा लागू करो, और जर्जर पुलियों को ठीक करो। लेकिन क्या प्रशासन तब तक जागेगा, जब तक कोई बड़ा हादसा न हो? या फिर खबरों में लाशों की गिनती के बाद ही हरकत में आएंगे? गाजीपुर के लोग इस मौत की दौड़ से तंग आ चुके हैं। अब वक्त है कि ओवरलोड ट्रकों को रोककर पीएमजीएसवाई सड़क को फिर से ग्रामीणों की जान का सहारा बनाया जाए।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता:सुनील गुप्ता
📍 लोकेशन: गाजीपुर, यूपी
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