Tau Devilal का हाथ पकड़ राजनीति में आए जगदीप धनखड़… आज भी परिवार से बेहद करीबी रिश्ते. अभय चौटाला ने रहने को दिया बंगला. कहा “ये आपका ही घर है”.
Chandigarh : पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का चौटाला परिवार से गहरा पारिवारिक और राजनीतिक संबंध रहा है जो 38 साल पुराना है… देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल ने उन्हें राजनीति में ब्रेक दिया था और अब उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद वे चौटाला परिवार के फार्महाउस में रहने पहुंचे हैं. आगे बढ़ने से पहले आइये जानते हैं पूर्व उपराष्ट्रपति के बारे में वो खास बातें जिनसे शायद आप आज तक अंजान रहे हों…
जन्म और शुरुआती सफर

Jagdeep Dhankhar का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझनू में हुआ था. उनकी माता का नाम केसरी देवी और पिता का नाम गोकलचंद था. शुरुआती शिक्षा स्थानीय स्कूलों से करने बाद जगदीप Dhankhar ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से B.Sc और LLB की थी. उनकी पत्नी का नाम सुदेश धनखड़ और बेटी कामना धनखड़ है. 1990 में धनखड़ ने राजस्थान हाईकोर्ट से वकालत शुरू की और साल 2019 तक वे Supreme Court और HC में वकालत करते रहे.
जगदीप धनखड़ का सियासी सफर
1989 – झुंझनू से जनता दल के लोकसभा सांसद चुने गए.
1990-1991 – केंद्र में चंद्रशेखर सरकार में राज्य मंत्री रहे.
1991 – कांग्रेस से जुड़े और अजमेर से लोकसभा चुनाव हार गए.
1993-1998 – राजस्थान के किशनगढ़ से विधायक रहे.
2003 – में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए.
2008 – विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा के प्रचार समिति के सदस्य रहे.
2016 – भाजपा के विधि एवं कानूनी मामलों के विभाग संभाले.
2019 – पश्चिम बंगाल के राज्यपाल नियुक्त किए गए.
2022 – भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली.
2025 – उपराष्ट्रपति समेत तमाम पदों से इस्तीफा दे दिया.
धनखड़ जी परिवार के सदस्य- अभय

उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद 1 सितंबर 2025 को Jagdeep Dhankhar ने दिल्ली के वाइस प्रेसिडेंट एनक्लेव से सरकारी आवास खाली किया और दक्षिण दिल्ली के छतरपुर इलाके में INLD Chief Abhay Singh Chautala के फार्महाउस में शिफ्ट हो गए. अभय चौटाला ने कहा, “धनखड़ जी परिवार के सदस्य जैसे हैं… यह उनका अपना घर है, जब तक चाहें रह सकते हैं”. यह व्यवस्था तब तक है जब तक उन्हें टाइप-8 सरकारी बंगला आवंटित नहीं होता. दरअसल पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ का संबंध न सिर्फ Tau Devilal बल्कि OP चौटाला और उनके बेटों से भी मजबूत रहा है. मार्च 2025 में सिरसा में ओ.पी. चौटाला संग्रहालय का शिलान्यास धनखड़ ने ही किया था. वहीं जब Dhankhar ने इस्तीफा दिया तो इनेलो नेता Abhay Chautala ने इसे साजिश करार दिया क्योंकि वे हमेशा से किसान-समर्थक थे.
इस्तीफा और शुरू हुआ विवाद
आपको याद होगा Monsoon Session 2025 शुरू होते ही पूर्व उपराष्ट्रपति Jagdeep Dhankhar ने अपने तमाम पदों से 21 जुलाई 2025 को इस्तीफा दे दिया था. हालांकि उनका कार्यकाल 2027 तक का था. इस्तीफे के पीछे उन्होने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया था जिसे तुरंत स्वीकार भी कर लिया गया. लेकिन विपक्ष के गले ये बात नहीं उतर रही थी… विपक्षी दलों का कहना था कि ज़रूर दाल में कुछ काला है. और इसी बात को लेकर विपक्षी दल लंबे समय तक संसद परिसर में हंगामा करते रहे लेकिन Dhankhar की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया.
ताऊ देवीलाल ने किया राजनीति में लॉन्च

हरियाणा के प्रमुख राजनीतिक विश्लेषक सतीश त्यागी के अनुसार Jagdeep Dhankhar और Chautala Family का रिश्ता करीब 38 साल पुराना है जो साल 1987 से शुरू हुआ था. धनखड़ Tau Devilal से खासे प्रभावित थे क्योंकि वो अक्सर किसानों और कामकाजी वर्ग के लिए काम करते थे. वहीं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के उपप्रधानमंत्री रहे हैं Devilal के बारे में कहा जाता है कि उन्होने ही Dhankhar को राजनीति में लॉन्च किया था.
दाऊ देवीलाल ने दी शाबाशी

दरअसल Dhankhar एक किसान पृष्ठभूमि से आते हैं जो उस वक्त राजस्थान हाईकोर्ट (जयपुर) में प्रैक्टिस कर रहे थे. 1987 में जब Rajiv Gandhi PM थे तभी देवीलाल ने दिल्ली के बोट क्लब पर विपक्षी दलों की ‘विजय रैली’ का आह्वान किया. धनखड़ ने झुंझुनू से 500 जीपें लेकर लोगों को रैली में पहुंचाया. इससे देवीलाल की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने Dhankhar को बुलाकर उनकी पीठ थपथपाई और शाबाशी दी. यहीं से धनखड़ का राजनीतिक सफर शुरू हुआ.
जनता दल के टिकट पर जीते चुनाव
दो साल बाद 1989 के लोकसभा चुनाव में देवीलाल ने Dhankhar को झुंझुनू सीट से जनता दल का टिकट दिलवाया… Tau Devilal ने हरियाणा से कैंपेन किया और धनखड़ जीत गए. वे 1989-1991 तक नौवीं लोकसभा में सांसद रहे. VP Singh सरकार में देवीलाल उपप्रधानमंत्री बने तो Dhankhar राज्य मंत्री बने. 1990 में VP Singh ने देवीलाल को बर्खास्त किया तो धनखड़ ने भी यूनियन कैबिनेट से इस्तीफा दिया और Devilal के साथ चल दिए. धनखड़ के इस कदम ने ताऊ देवीलाल को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने धनखड़ को ‘कमिटमेंट वाला व्यक्ति’ कहा. बाद में चंद्रशेखर सरकार में देवीलाल फिर उपप्रधानमंत्री बने तो धनखड़ भी मंत्री बने. 1993-1998 तक Dhankhar राजस्थान विधानसभा में किशनगढ़ से विधायक रहे… बाद में वे कांग्रेस में शामिल हुए लेकिन कुछ ही वक्त बाद भाजपा में आ गए.
ओपी चौटाला के निधन पर हुए भावुक

21 दिसंबर 2024 को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के निधन पर Dhankhar सिरसा के तेजाखेड़ा गांव पहुंचे और अंतिम दर्शन के दौरान भावुक हो गए. उन्होंने कहा, “आज जो मैं हूं, उसका निर्णय चौधरी साहब (ताऊ देवीलाल) ने किया था. दो बड़े महानुभावों को मैंने मना कर दिया था. मैं वकालत करना चाहता था, लेकिन चौधरी साहब बोले कि मैंने निर्णय ले लिया है. चौधरी साहब का लगाया वह बीज आपके समक्ष उपस्थित है”. धनखड़ ने बताया, “चौधरी साहब ने मेरी यात्रा शुरू करवाई… मेरा हाथ पकड़ा, अर्थ बल दिया, दर्शन दिए और मुझे नौवीं लोकसभा में निर्वाचित करवाया. मंत्री पद दिया, मैं कभी नहीं भूल सकता”.
हमेशा मेरी चिंता करते थे चौटाला साहब

Dhankhar ने चौटाला परिवार के साथ पुराने नाते का भी जिक्र किया और कहा “मेरे इकलौते बेटे की मौत हो गई तो पूरा चौटाला परिवार Jaipur आया था… चौटाला साहब ने कहा कि महाभारत के अर्जुन भी अपने बेटे को बचा नहीं पाए, तुम आगे बढ़ते रहो”. भावुक होते हुए धनखड़ ने कहा, “ऐसा कोई मौका नहीं आया, जब चौधरी साहब ने मेरी चिंता नहीं की”. एक और किस्से के बारे में बात करते हुए धनखड़ ने कहा “जब राज्यपाल बनने के बाद मैंने उनसे आशीर्वाद लिया तो गले में खराश थी. तब चौधरी साहब ने विशेष प्रकार का लड्डू खाने को दिया और कर्मचारियों से पैक करने को कहा. नीचे उतरा तो पूरी टोकरी गाड़ी में रखी हुई थी”.
