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सेवा या सियासत? “Former Minister Begging Campaign” की गूंज
पीलीभीत के बीसलपुर विधानसभा से पूर्व विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके रामसरन वर्मा ने ऐलान किया है — अब वो गांव-गांव, शहर-शहर जाकर भिक्षा मांगेंगे। नाम रखा गया है Former Minister Begging Campaign। मकसद — बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित लोगों की मदद के लिए आटा, चावल और नकद इकट्ठा करना। लेकिन जनता पूछ रही है — “मंत्री जी, भिक्षा में वोट भी लेंगे या सिर्फ राशन?”
घर-घर दस्तक, “Former Minister Begging Campaign” का फॉर्मूला
रामसरन वर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि रोज पांच गांव जाएंगे। घर-घर कुंडी खटकाकर जो भी राशन या धन मिलेगा, वो संयुक्त खाते में जमा होगा। इस खाते का संचालन वो खुद और जिलाधिकारी मिलकर करेंगे। समिति बनेगी, जिसमें डीएम अध्यक्ष, एसपी और सीएमओ सदस्य होंगे। वर्मा संरक्षक बनेंगे — यानी ‘गाइड’ तो वो ही रहेंगे।
बीसलपुर से पूरे जिले में “Former Minister Begging Campaign” का विस्तार
अभियान की शुरुआत बीसलपुर विधानसभा से होगी, फिर पूरे जनपद में फैलाया जाएगा। वर्मा का दावा है कि यह राजनीति नहीं, सेवा है। “जब जनता परेशान हो, तो नेता को आगे बढ़कर मदद करनी चाहिए” — यही उनका तर्क है। लेकिन विपक्ष को यह तर्क ‘चुनावी टेस्ट पेपर’ जैसा लग रहा है, जिसमें जवाब पहले से तैयार हैं।
विपक्ष की तीखी टिप्पणी — “Former Minister Begging Campaign” में चुनावी सुगंध
विपक्ष कह रहा है — 2027 विधानसभा चुनाव पास आते ही पूर्व मंत्री एक्टिव हो गए हैं। घर-घर जाकर मिलने से ‘ग्राउंड कनेक्शन’ मजबूत होगा और वोट बैंक फिर से जुड़ जाएगा। विपक्ष का आरोप है — “यह सेवा का चोला पहनकर राजनीति का खेल है।”
समर्थकों का बचाव — “Former Minister Begging Campaign” है इंसानियत का काम
रामसरन वर्मा के समर्थक इसे सेवा भावना का प्रतीक बता रहे हैं। उनका कहना है कि वर्मा ने हमेशा जनता के हित में काम किया, और यह अभियान प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित लोगों को राहत देगा। समर्थकों के मुताबिक, “अगर नेता जनता से भिक्षा मांगकर मदद कर रहा है, तो इसमें राजनीति कहां से आ गई?”
जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया — “Former Minister Begging Campaign” पर सोशल मीडिया बहस
सोशल मीडिया पर मीम्स और पोस्ट की बाढ़ है। कुछ लोग इसे ‘लीडर इन एक्शन’ बता रहे हैं, तो कुछ इसे ‘चुनावी स्टंट’। एक यूजर ने लिखा — “नेता जी पहले पॉलिसी बदलवाकर किसानों को राहत दिलाते, फिर आटा-चावल मांगते।” तो दूसरे ने लिखा — “कम से कम भीख तो जनता के लिए है, अपने लिए नहीं।”
राजनीति का लंबा खेल — “Former Minister Begging Campaign” के पीछे का प्लान?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है — चाहे वर्मा का मकसद सेवा हो या सियासत, ये कदम उन्हें पब्लिक की नज़रों में फिर से ला खड़ा करेगा। पांच गांव रोज का दौरा, लोगों से डायरेक्ट बात — चुनावी रणनीति की किताब में यह ‘टॉपिक नंबर वन’ है। अब देखना होगा कि जनता इसे सेवा मानेगी या वोट मांगने की प्रैक्टिस।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: शकुश मिश्रा
📍 लोकेशन: पीलीभीत, यूपी

 
         
         
         
        