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Flood Alert in Mathura: अफसर पहुंचे चौकी, गांव वाले पहुंचे उम्मीद लेकर
सोमवार को बाढ़ की आशंका (Flood Alert in Mathura) के बीच जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह और एसएसपी श्लोक कुमार ने तहसील मांट के ग्राम डांगौली की बाढ़ चौकी पर दस्तक दी। अफसरों का पूरा लाव-लश्कर चौकी का मुआयना करता रहा और गांव वाले उम्मीद की नजरों से ताकते रहे। चौकी में पड़ी नाव, रस्सियां और राहत सामग्री को देखकर अफसरों ने चैन की सांस ली, मानो बाढ़ पीड़ितों की समस्या यही देखकर हल हो जाएगी।
Flood Alert in Mathura : निरीक्षण में निकला सिर्फ जायजा

अधिकारियों का यह Flood Post Inspection किसी मेले जैसा लग रहा था। डीएम साहब ने बचाव उपकरणों को ऐसे परखा जैसे नया मोबाइल खरीदा हो। एसएसपी ने गश्त के निर्देश दिए और एसडीएम को आदेश सुना दिए। पर असली सवाल यह कि खेतों में खड़ी फसल का सर्वे करने वाला कौन? पानी में डूबे घरों का मुआवजा कब मिलेगा? इस पर कोई ठोस जवाब नहीं मिला।
Flood Alert in Mathura: आदेशों का पुलिंदा
डीएम ने उपजिलाधिकारी को आदेश दिया कि लेखपाल और ग्राम सचिव ड्यूटी पर रहें, पुलिस गश्त करे, मकानों का सर्वे हो, और प्रभावितों को मुआवजा दिया जाए। सुनने में यह सब बहुत सटीक लगता है, लेकिन गांव वालों का तंज है – “साहब, आदेश कागज पर होते हैं, मुआवजा हमारी जेब में कब आएगा?”
SSP Shlok Kumar on Flood Situation: गश्त का भरोसा, राहत का इंतजार

एसएसपी ने पुलिस गश्त को बढ़ाने की बात कही। लेकिन हकीकत यह है कि पुलिस की गाड़ी गांव के किनारे से गुजर भी जाए तो बड़ी राहत समझी जाती है। गांव के लोग कहते हैं कि “बाढ़ से ज्यादा डर इस बात का है कि राहत सिर्फ फोटो में मिलेगी।”
Flood Relief in Mathura: सर्वे की जुगाली, मदद की देरी
बाढ़ की आशंका और उससे प्रभावित हो सकने वाले गांवों में Flood Relief अभी भी ‘सर्वे’ के भरोसे लटका है। लेखपाल और सचिव गांव में सर्वे करने आते हैं, लोगों के नाम लिखते हैं, और जाते-जाते यह कहकर दिलासा देते हैं कि “फाइल ऊपर जाएगी, पैसा आएगा।” लेकिन गांव वालों का कटाक्ष है – “बाढ़ का पानी उतर जाएगा, तब तक राहत की फाइल भी सूख जाएगी।
Flood Alert in Mathura
इस पूरे मामले में सबसे दिलचस्प बात यह रही कि निरीक्षण के दौरान अफसरों की बॉडी लैंग्वेज ऐसी थी जैसे बाढ़ कोई पिकनिक स्पॉट हो। अफसरों ने फोटो खिंचवाई, उपकरण गिनवाए और निकल लिए। लेकिन डूबे खेत, टूटी झोपड़ियां और डरे-सहमे परिवार अब भी वहीं हैं, जहां कल थे।

 
         
         
         
         
         
        