 
                  Firozabad Water Crises : स्मार्ट रोड का स्मार्ट ढोंग, 18 करोड़ की रोड या कीचड़?
फिरोजाबाद के लोग इन दिनों अपना सिर पीट रहे हैं – कहां सरकार से स्मार्ट सिटी की उम्मीदें लगाए बैठे थे और अब कहां पीने के पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। प्यासे लोग कह रहे हैं- स्मार्ट सिटी दो ना दो, पीने का पर्याप्त पानी तो दो- और जिन ठेकेदारों को शहर चमकाने का काम सौंपा है- उनकी सही से निगरानी करो- क्योंकि वही हैं जिन्होंने सरकार के सपनों वाली स्मार्ट सिटी परियोजना का मजाक बना दिया है। अब जानिए मामला क्या है – सीएम ग्रिड योजना के तहत 18 करोड़ की भारी-भरकम राशि से फिरोजाबाद में स्मार्ट रोड बनाने का प्लान तैयार हुआ। काम शुरू भी हुआ लेकिन अब फिरोजाबाद के लिए स्मार्ट रोड स्मार्ट कम और सिरदर्द ज्यादा साबित हो रही है। ठेकेदार की लापरवाही ने न सिर्फ सड़क निर्माण को मजाक बना दिया – बल्कि 25 हजार लोगों को पेयजल संकट में धकेल दिया।
Firozabad Water Crises है क्योंकि ठेकेदार को बस माल कमाना है!
स्मार्ट रोड के काम के लिए खुदाई के दौरान ठेकेदार ने पानी की पाइप लाइन को इस कदर तोड़ा कि 2 दिन से हजारों लोग पानी को तरस रहे हैं। स्थानीय लोगों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि यहां पानी की पाइपलाइन है – लेकिन आरोप है कि जेसीबी के जोश में ठेकेदार को शायद कुछ सुनाई नहीं दिया। अब लोग पानी खरीदने को मजबूर हैं। सवाल उठता है, क्या ठेकेदार को सिर्फ मिट्टी खोदने की तनख्वाह मिल रही है या जिम्मेदारी भी?
Firozabad Water Crises और कीचड़ में जनता, मजे में ठेकेदार: सुरक्षा उपायों का टोटा!
बरसात में सड़क खोदकर ठेकेदार ने मिट्टी भर दी और चैन की बंसी बजाने निकल गया। नतीजा? एक युवक कीचड़ में फंस गया – जिसे स्थानीय लोगों ने बचाया। सड़क पर जलभराव और हादसों का खतरा बढ़ गया है। क्या नगर निगम के अधिकारी सो रहे हैं, या उनकी आंखों पर ठेकेदार की मिट्टी चढ़ गई है?
Firozabad Water Crises : एक साल से अधूरी सड़क, डेडलाइन है कि नहीं?
थाना रसूलपुर से नालबंद तक स्मार्ट रोड का निर्माण पिछले एक साल से चल रहा है – लेकिन प्रगति का नामोनिशान नहीं। ठेकेदार की मनमानी और धीमी गति ने स्थानीय लोगों का जीना मुहाल कर दिया। सवाल ये है कि क्या स्मार्ट रोड सिर्फ कागजों पर स्मार्ट है या कभी जमीन पर भी दिखेगी?
Firozabad Water Crises : नगर निगम खामोश है – प्यासी पब्लिक चीख रही
स्थानीय लोग चीख-चीखकर अपनी परेशानी बता रहे हैं, लेकिन नगर निगम के कानों पर जूं नहीं रेंग रही। बार-बार पाइप लाइन टूटने और सड़क निर्माण की अव्यवस्था पर कोई जवाबदेही नहीं। क्या अधिकारियों को सिर्फ कुर्सी गर्म करने की सैलरी मिलती है या जनता की समस्याओं का हल निकालने की भी? सवाल तो बहुत सारे हैं – लेकिन जवाब कोई भी नहीं- क्योंकि जनता की दिक्कतों पर अफसरों ने आंखें मूंद रखी हैं और सरकार तक प्यासे लोगों की परेशानियां पहुंच नहीं रही हैं। अब खबरलाल.डिजिटल के रिपोर्टर की ये रिपोर्ट शायद सरकार तक पहुंचे और फिरोजाबाद के लोगों की परेशानियों का कुछ हल निकले।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤संवाददाता: मुकेश कुमार बघेल
📍लोकेशन: फिरोजाबाद, यूपी
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