
शोभायात्रा
गांधी पार्क से शुरू होकर दखल स्थित प्रतिमा स्थल तक निकली शोभायात्रा, ऊंट-सवारी, झांकियां और मातृशक्ति बनीं आकर्षण का केंद्र
संवाददाता: मुकेश कुमार बघेल
फिरोजाबाद।शहर में रविवार को लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती के अवसर पर एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसने पूरे नगर को आस्था, संस्कृति और उत्सव के रंगों से भर दिया। यह ऐतिहासिक शोभायात्रा गांधी पार्क से प्रारंभ होकर शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई दखल स्थित अहिल्याबाई की प्रतिमा स्थल पर पहुंचकर संपन्न हुई। केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने इस शोभायात्रा को हरी झंडी दिखाकर शुभारंभ किया और लोकमाता अहिल्याबाई के जीवन मूल्यों को नमन किया।
इस शोभायात्रा ने बाग छिंगामल, सिनेमा चौराहा, जलेसर रोड, रामलीला चौराहा होते हुए दखल स्थित अहिल्याबाई की प्रतिमा स्थल तक पहुंचकर समापन लिया। जगह-जगह श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया और जयकारों से माहौल को भक्तिमय बना दिया।
झांकियों, ऊंट-सवारी और मातृशक्ति ने किया शोभायात्रा को भव्य
भगवान गणेश की डोला के साथ प्रारंभ हुई इस शोभायात्रा में एक दर्जन से अधिक आकर्षक झांकियों ने हिस्सा लिया, जिनमें लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के जीवन, सेवा और त्याग को भव्य रूप में दर्शाया गया। ऊंट, घोड़े और काली अखाड़ों की मौजूदगी ने माहौल को और भी आकर्षक बना दिया।
मातृशक्ति की भागीदारी विशेष रही, जहां पारंपरिक वस्त्रों में सजी महिलाओं ने नारी सशक्तिकरण और सांस्कृतिक समर्पण का परिचय दिया। स्थानीय नागरिकों की भारी भागीदारी ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया।
संघर्ष से प्रेरणा देती है अहिल्याबाई की गाथा
केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने शोभायात्रा का शुभारंभ करते हुए लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई का जीवन भारतीय संस्कृति, सेवा और समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने जीवनपर्यंत धर्म, समाज और मानवता के लिए काम किया।
बघेल ने बताया कि अहिल्याबाई ने न केवल मंदिर, मठ और बावड़ियों का निर्माण कराया, बल्कि कठिन परिस्थितियों में भी शासन व्यवस्था को धर्म के मूल्यों पर टिकाए रखा। उनका जीवन आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत है।
फिरोजाबाद की धरती बनी संस्कृति का संगम
इस भव्य शोभायात्रा के माध्यम से फिरोजाबाद ने यह साबित कर दिया कि यहां की मिट्टी न केवल कांच की चूड़ियों के लिए जानी जाती है, बल्कि गहन सांस्कृतिक चेतना की भी वाहक है।
अहिल्याबाई होल्कर का जीवन समाज सेवा, जनकल्याण और राष्ट्र धर्म का प्रतीक रहा है। इस शोभायात्रा ने उनके जीवन आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाया और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा दी।
संस्कृति और श्रद्धा का जीवंत संगम बनी फिरोजाबाद की धरती
लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर निकली यह शोभायात्रा सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि समाज के लिए एक सशक्त संदेश थी—कि हम अपने इतिहास, संस्कृति और उन महान आत्माओं को न भूलें जिन्होंने समाज के लिए जीवन समर्पित किया। फिरोजाबाद की गलियों में निकली इस शोभायात्रा ने यह साबित कर दिया कि जब समाज संगठित होकर अपनी जड़ों से जुड़ता है, तो वह अपने भविष्य को और भी उज्जवल बनाता है। यह आयोजन न केवल भक्ति और आस्था का प्रतीक बना, बल्कि सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक चेतना का जीवंत उदाहरण भी।