 
                  फिरोजाबाद में बंद हुए 12 Illegal schools, ताले पड़ गए मगर सवाल ज़िंदा हैं
1 जुलाई से 16 जुलाई तक चले बेसिक शिक्षा निदेशक के आदेशित अभियान में फिरोजाबाद के 12 Illegal Schools को ताले मार दिए गए। कहीं स्कूल का नाम अंग्रेज़ी में चमकता था तो कहीं यूनिफॉर्म बच्चों को आईआईटी का सपना दिखाती थी—मगर असलियत ये थी कि इन स्कूलों के पास मान्यता तक नहीं थी।
जिले के मदनपुर, अरांव, खैरगढ़, शिकोहाबाद और नगर क्षेत्र के इन स्कूलों में पढ़ रहे हजारों बच्चे और उनके अभिभावक अब ठगे से खड़े हैं। सवाल ये नहीं कि स्कूल बंद हुए, सवाल ये है कि इतने सालों से ये खुले कैसे रहे?
शिक्षा विभाग सोया रहा, प्रशासन ने आंखें मूंद लीं
इन स्कूलों को बंद तो अब किया गया, लेकिन क्या शिक्षा विभाग और प्रशासन की नींद सिर्फ मीडिया में खबर छपने के बाद ही खुलती है? आखिर इन स्कूलों को रजिस्ट्रेशन के बिना, बिना मान्यता के चलने की इजाज़त किसने दी? क्या हर ब्लॉक में तैनात खंड शिक्षा अधिकारी सिर्फ चाय और आराम के लिए हैं?
कागजों पर इंस्पेक्शन होता रहा, मगर फील्ड में बच्चों का भविष्य भटता रहा।Illegal Schools में न शिक्षक तय, न सिलेबस, न सुरक्षा मानक, और फिर भी शिक्षा का धंधा दिन-ब-दिन फलता-फूलता रहा। ये न सिर्फ बच्चों के साथ धोखा है, बल्कि पूरा सिस्टम सवालों के कटघरे में है।
चालू रहा फीस वसूली का धंधा, अब भुगतेंगे मासूम बच्चे
बड़े-बड़े बोर्ड, रंग-बिरंगे बैनर और “English Medium” का चश्मा लगाकर ये Illegal Schools हर महीने हज़ारों की फीस वसूलते रहे। अभिभावकों की जेबें कटती रहीं और शिक्षा विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा।
अब सवाल है—इन बच्चों का क्या होगा? उन्हें किस स्कूल में एडमिशन मिलेगा? जिन शिक्षकों की नौकरी गई, उन्हें कौन देखेगा? सबसे बड़ा सवाल ये कि इन स्कूलों को पनपने कौन दे रहा था?
Illegal schools:अब चेतावनी मिली है, पहले लापरवाही क्यों?
प्रशासन अब एक लाख रुपये का जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की धमकी दे रहा है। वाह! जैसे अपराध पहले नहीं हुआ हो! पहले स्कूल चलाओ, फिर सालों बाद पकड़ो, और आखिर में जुर्माना ठोंक कर अखबारों में फोटो छपवा लो।
यही अगर वक्त रहते रोका गया होता तो सैकड़ों बच्चों का भविष्य लटकता नहीं। अब जब पूरा जिला जाग गया है, तो सवाल ये है—क्या शिक्षा विभाग को फिर सोने दिया जाएगा?
Illegal schools:जिन्हें स्कूल समझ बैठे थे अभिभावक, वे तो निकले ‘फीस फांसीघर’
Firozabad illegal schools की लिस्ट में जो नाम सामने आए, वो आपको किसी अंग्रेजी कोचिंग ब्रांड जैसा लगेगा—MD पब्लिक, PD ग्लोबल, शिव ब्रिलियंट… मगर असल में ये सब बिना मान्यता के चल रहे ‘बिल्डिंग स्कूल’ थे।
मदनपुर में MD पब्लिक और JS अकैडमी पर ताले
अरांव में चमने आज़म मदरसा और HS पब्लिक सील
खैरगढ़, शिकोहाबाद, नगर क्षेत्र तक कुल 12 स्कूल धराशायी कर दिए गए।
Illegal schools📚 शिक्षा या व्यापार? पूछिए अपने आप से
शासन-प्रशासन का कहना है कि ये स्कूल बच्चों के भविष्य से खुला मज़ाक कर रहे थे। बिना किसी बोर्ड की मान्यता, बिना मानक के बिल्डिंग, बिना प्रशिक्षित शिक्षक, लेकिन फीस में चार्ज ऐसे जैसे बच्चे हार्वर्ड जा रहे हों।
Firozabad illegal schools की मनमानी यहीं खत्म नहीं होती—कुछ स्कूल सिर्फ कागज़ों पर थे, कुछ तो खुले में चल रहे थे। बच्चों को ज्ञान कम, ठगने की स्क्रिप्ट ज़्यादा मिल रही थी।
Illegal schools:अब नहीं सुधरे तो होगी ‘ज्ञान जेल यात्रा’
शिक्षा विभाग ने सख्त चेतावनी दी है—अगर कोई फिर से अमान्य स्कूल खोलता है या दोबारा ताले खुलते हैं, तो ₹1 लाख का जुर्माना तो होगा ही, साथ में एफआईआर और जेल यात्रा भी तय है। यानी अब स्कूल नहीं, सिस्टम चलेगा।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: मुकेश कुमार बघेल
📍 लोकेशन: फिरोजाबाद, यूपी
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