
Firozabad goat theft बना क्राइम की नई नस्ल का पोस्टर ब्वॉय!
🐐 Firozabad goat theft बना अब ‘गोली और गुटखा गैंग’ का ब्रांड एंबेसडर!
लोकेशन-फिरोजाबाद
संवाददाता-मुकेश कुमार बघेल
Firozabad goat theft -फिरोजाबाद — जहां पहले इत्र की खुशबू बिखरती थी, अब वहां goat theft की बारूद वाली महक फैली हुई है। जी हां, आपने सही पढ़ा — इस बार गोली बकरी के लिए चली है! एक तरफ पुलिस, दूसरी तरफ बदमाश, और बीच में मिमियाती बकरियां! अब सोचिए, क्या सोच रही होंगी वो बेचैन बकरियां — “हमें चारा नहीं चाहिए, बस शांति चाहिए!”
जिनके लिए संसद में बिल पास नहीं होते, उनके लिए Firozabad में गाड़ियां, गोली और गदर तक हो गया। सिकंदर बघेल बेचारे बकरियां चरा रहे थे, लेकिन किस्मत ने उन्हें बॉलीवुड का एक्स्टर बना दिया — क्योंकि अचानक आई एक कार, कुछ लफंगे, और उनका ‘बकरी अपहरण’ शुरू। बंधक बनाकर ले जाई गईं छह बकरियां, जिन्हें शायद खुद भी समझ नहीं आया कि उनका क्राइम रेट कितना हाई है।
🚓 Firozabad goat theft ने दिलाई ‘दबंग’ वाली फीलिंग, गोली चली तो बकरी चिल्लाई
और फिर आया वो दृश्य, जो रोहित शेट्टी भी सोच न पाए — goat theft की लोकेशन बना छीछामई पुल, जहां पुलिस ने चोरों को पकड़ने के लिए घेराबंदी की। लेकिन बदमाश पुलिस के आगे सरेंडर करने के बजाए बंदूक दिखाने लगे। जिसके बाद शुरू हुआ ठांय-ठांय वाला खेल। नतीजा बदमाशों में एक को मिली गोली और तीन को मिले हथकड़ी के कंगन।
अब नाम पढ़िए — दानिश उर्फ गौतम, फरमान उर्फ गूंगा, और सादिक उर्फ पप्पू! मतलब पूरा गैंग ऐसा कि लगता है जैसे किसी शादियों वाले डीजे ग्रुप से निकले हों। और खास बात — दो सगे भाई, जिनकी पारिवारिक एकता देखकर संयुक्त राष्ट्र भी अवार्ड दे दे।
पुलिस, बकरी और तमंचा: फिरोजाबाद की पवित्र त्रिमूर्ति
पुलिस के हाथ लगीं छह बकरियां, एक तमंचा, कुछ कारतूस और एक ऐसी कार जिसमें शायद किसी दिन दुल्हन की जगह बकरी बैठाई जाएगी। घायल बदमाश अब अस्पताल में है, लेकिन सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है — “गोली खाई बकरी के लिए, ये है असली मर्दानगी!”
जरा सोचिए, कल को कोई बच्चा पूछेगा — “पापा, आपने आज क्या बचाया?” जवाब होगा — “बेटा, आज छह बकरियां छुड़ाईं, !”
सवाल उठता है — क्या अब बकरी भी Z+ सिक्योरिटी मांगेगी?
देश जहां बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार से लड़ रहा है, वहीं Firozabad में goat theft जैसे केस पुलिस को असली एक्शन हीरो बना रहे हैं। अगली बार कोई बोले कि “बकरी क्या चीज है?” तो बस ये खबर दिखा दीजिए — और कहिए, “भाई, ये गोली चलवा सकती है!”
बकरियां अब सिर्फ कुर्बानी के लिए नहीं, एनकाउंटर के लिए भी जानी जाएंगी। अगली फिल्म का नाम भी तय हो गया — “बकरियां भी कभी गोली खाती थीं”।
तो जनता जनार्दन, संभल जाइए, आपकी बकरियां भी अब ‘हाई रिस्क एसेट’ हैं। कहीं ऐसा न हो कि अगली बार बकरी को खूँटे से बांधते वक्त एक सीआरपीएफ जवान तैनात करना पड़े!