Firozabad Encounter-50 हजारी राजू 'कल्लू' ढेर
फिरोजाबाद:मुकेश कुमार बघेर।20 जून 2025। जब ‘पाप का घड़ा’ भरता है, तो वो फूटता नहीं, बल्कि उसे फोड़ दिया जाता है! फिरोजाबाद के शिकोहाबाद में UP पुलिस ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया। राजू खान उर्फ कल्लू — नाम सुनते ही Firozabad की गलियों में लहू की बू आती थी। दंपति की हत्या, बुज़ुर्ग महिला से लूट — ये उसके “हाथ की सफाई” थी। उस पर ₹50,000 का इनाम लगा था, यानी खुद सरकार भी मान चुकी थी कि ये चलती-फिरती मौत है। और मौत को मारने के लिए आखिरकार बंदूक उठानी पड़ी, वरना फाइलों में दर्ज जुर्म तो गिनती से बाहर हो चुके थे।50 हजार का इनामी, खूंखार बदमाश राजू खान उर्फ कल्लू, जो खुद को कानून से बड़ा समझने लगा था, उसे पुलिस ने एक मुठभेड़ में मार गिराया। यह सिर्फ एक एनकाउंटर नहीं, बल्कि एक सीधा और सपाट संदेश है कि योगी के राज में अपराधियों के लिए सिर्फ दो ही जगहें हैं- जेल या जहन्नुम। Firozabad Encounter ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जुर्म का रास्ता सिर्फ और सिर्फ मौत की अंधेरी गली में जाकर खत्म होता है।
दंपति की हत्या से लेकर बुजुर्ग से लूट तक: राजू ‘कल्लू’ के जुर्म की खौफनाक दास्तां
राजू ‘कल्लू’ कोई छोटा-मोटा चोर नहीं, बल्कि एक वहशी दरिंदा था। उसके जुर्म की फेहरिस्त लंबी और खौफनाक है। इसी साल 5 मार्च की रात, उसने शिकोहाबाद में एक दंपति की बेरहमी से हत्या कर घर में लूटपाट की थी। इस दोहरे हत्याकांड से पूरे फिरोजाबाद में दहशत फैल गई थी। लेकिन राजू का दुस्साहस यहीं नहीं रुका। अभी कुछ ही दिन पहले, 16 जून को, उसने एक बुजुर्ग महिला को अपना निशाना बनाया, उसके साथ लूटपाट की और उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया। आगरा के शाहगंज का रहने वाला यह शैतान, फिरोजाबाद के रामगढ़ में किराए का मकान लेकर अपनी जुर्म की सल्तनत चला रहा था, लेकिन उसे क्या पता था कि उसकी उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।
200 CCTV, 5 टीमें और एक गोली: Firozabad Encounter का क्लाइमेक्स
जैसे ही बुजुर्ग महिला से लूट की खबर एसएसपी सौरभ दीक्षित तक पहुँची, उन्होंने राजू ‘कल्लू’ के खात्मे की पटकथा लिख दी। इस शातिर अपराधी को पकड़ने के लिए 5 विशेष टीमों का गठन किया गया। पुलिस ने दिन को रात और रात को दिन बना दिया। 200 से ज्यादा CCTV कैमरों की फुटेज को खंगाला गया, हर सुराग को जोड़ा गया और आखिरकार पुलिस राजू तक पहुँच ही गई। जब पुलिस ने उसे घेरकर सरेंडर करने को कहा, तो उसने खाकी को चुनौती देते हुए फायरिंग शुरू कर दी। लेकिन वो शायद भूल गया था कि सामने UP पुलिस थी। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में गोली सीधे राजू के सीने में जा लगी। इस Encounter ने कुछ ही मिनटों में जुर्म के एक और अध्याय का अंत कर दिया। पुलिस उसे अस्पताल लेकर भागी, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
UP में ‘ऑपरेशन क्लीन’: आंकड़े क्या कहते हैं?
राजू खान का यह अंत यूपी में चल रहे ‘ऑपरेशन क्लीन’ का एक और उदाहरण मात्र है। अगर हम आंकड़ों पर नजर डालें, तो तस्वीर और भी साफ हो जाती है:
एनकाउंटर का ग्राफ: योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल (2017 से अब तक) में उत्तर प्रदेश पुलिस ने 14,000 से ज्यादा मुठभेड़ों को अंजाम दिया है। इन मुठभेड़ों में 230 से ज्यादा खूंखार अपराधी मारे गए हैं, जबकि 9,000 से ज्यादा घायल होकर गिरफ्तार हुए हैं। यह आंकड़े दिखाते हैं कि पुलिस को अपराधियों से निपटने के लिए खुली छूट दी गई है।
जुर्म का ग्राफ: NCRB (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) के अनुसार, हालांकि उत्तर प्रदेश जनसंख्या में सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन पुलिस की सख्त कार्रवाई के चलते कई संगीन अपराधों की दर में कमी दर्ज की गई है। हत्या, डकैती और लूट जैसे मामलों में पुलिस की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का असर दिख रहा है, और Firozabad Encounter जैसी कार्रवाइयां इसी नीति का हिस्सा हैं।
राजू ‘कल्लू’ की मौत उन सभी अपराधियों के लिए एक चेतावनी है जो कानून को अपनी जागीर समझते हैं। फिरोजाबाद पुलिस ने यह साबित कर दिया है कि इंसाफ की चक्की भले ही धीमी चले, लेकिन जब चलती है तो बहुत बारीक पीसती है। जुर्म की दुनिया का हर बादशाह एक दिन गुमनाम मौत ही मरता है, और राजू का अंत इसका जीता-जागता सबूत है।
सिस्टम का सवाल: क्या सिर्फ एक मुठभेड़ से डर पैदा होगा?
राजू खान मरा — बहुत अच्छा हुआ। लेकिन क्या बाकी के वो सौ “इनामी बगैर इनाम” वाले अपराधी अब डरेंगे? क्या हर थाने में यही सख्ती है? या फिर अगले राजू की बारी आने तक फिर से कैमरे घूमेंगे और जनता की लाशें गिनने वाले आंकड़े इकट्ठा किए जाएंगे? Firozabad Encounter अगर सिर्फ पुलिस की “PR फोटो” बनकर रह गया, तो समझ लीजिए अगला कातिल अपना काम और सफाई से करेगा। ये सिस्टम तभी काम करेगा जब हर सड़क पर डर अपराधी को लगे, ना कि आम आदमी को।
