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आत्महत्या या सिस्टम की सूली? – Firozabad Employee Suicide की कहानी
फिरोजाबाद के टूंडला नगरपालिका से शनिवार की सुबह आई एक खबर ने पूरे तंत्र की चुप्पी को चीर डाला। Firozabad Employee Suicide की यह घटना सिर्फ एक आत्महत्या नहीं थी—यह उस सरकारी अपमान की चादर थी जिसमें एक बाप, एक पति, और एक कर्मचारी ने खुद को लपेट लिया।
45 वर्षीय प्रकाश चंद्र शर्मा, जो नगर पालिका में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे, पत्नी की साड़ी से फंदा बनाकर अपने ही घर में झूल गए। तीन बच्चों का बाप, अब छत पर नहीं, श्मशान की राख में गिना जाएगा।
तीन बच्चों के पिता की चुप मौत – Firozabad Employee Suicide का पारिवारिक पक्ष
जब पत्नी और बच्चे ऊपर की मंज़िल पर थे, प्रकाश नीचे जिंदगी की ऊंचाई से लटक रहे थे। पत्नी रंजना की आंखें अब सूख चुकी हैं और बच्चे—22 साल का हर्ष, 17 साल की खुशी, 15 साल का अभी—उनके नाम पर अब सिर्फ शोक सभाएं सुनेंगे।
परिवार का कहना है, “सिर्फ निलंबन नहीं मारा, सम्मान की मौत ने मार डाला।” पीएफ निकालने की जिद, शराब का आरोप और EO की फटकार—इस त्रिशूल ने एक कर्मचारी की छाती भेद डाली।
EO का बचाव बनाम सुसाइड नोट का वार – Firozabad Employee Suicide में कौन दोषी?

EO आशुतोष त्रिपाठी का कहना है कि मृतक शराब पीकर उत्पात करता था, पीएफ में पैसे उड़ाता था, इसलिए सस्पेंड किया। मगर सवाल ये है, क्या चरित्र प्रमाणपत्र जारी करना EO का काम है या कानून का?
सुसाइड नोट अब पोस्टमार्टम से भी ज्यादा अहम सबूत बन चुका है। उसमें EO पर सीधे आरोप हैं – “मुझे जानबूझकर अपमानित किया गया, मुझे ज़लील किया गया, इसलिए मैं जा रहा हूं।”
प्रशासन की चुप्पी, सिस्टम की चिंगारी – Firozabad Employee Suicide में अब जांच या लीपापोती?
पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। मगर असल पोस्टमार्टम तो नगरपालिका के उस रवैये का होना चाहिए, जो एक ज़िंदा आदमी को अंदर से इतना खोखला कर दे कि वह मौत को गले लगाए।
अब देखना ये है कि ये घटना भी “डिप्रेशन” की फाइल में बंद होगी या “दबाव और अपमान” की असली रिपोर्ट सामने आएगी?
क्या अब कर्मचारी मरने से पहले ही इस्तीफा दें? – Firozabad Employee Suicide का सिस्टम पर तमाचा
ये मामला बताता है कि छोटे कर्मचारी हर गलती की कीमत जान से चुकाते हैं और अफसर फाइलों से धोते हैं अपने हाथ। अगर सस्पेंड करने का मतलब ही मानसिक हत्या है, तो फिर EO का पद एक हथियार है – जिसकी धार कर्मचारी की गरदन पर ही चलती है।
अब सवाल ये है – क्या EO त्रिपाठी पर भी होगी कार्रवाई? या फिर एक और शव के बाद बस दो मिनट की चुप्पी, और सिस्टम फिर मुस्कुराएगा?
irozabad Employee Suicide का अंत या नई शुरुआत?
Firozabad Employee Suicide अब एक केस नहीं, एक चेतावनी है। उस चेतावनी को पढ़ने वाले आंखें कब खोलेंगे? या इंतज़ार करेंगे अगली आत्महत्या का? सरकार, प्रशासन और समाज को तय करना है – अफसर की फटकार बड़ी है या इंसान की ज़िंदगी।

 
         
         
         
        