
drugs-फिरोजाबाद में 51 किलो गांजे के साथ चार तस्कर गिरफ्तार, कार में छिपाकर ले जा रहे थे
“डिग्गी में ‘drugs’ का डांस: उड़ीसा से राजस्थान तक, फिरोजाबाद में अर्टिगा गैंग की अतरंगी तस्करी का भंडाफोड़!”
संवाददाता-मुकेश कुमार बघेल
🚔 नींबू-मिर्च लटकाई होती तो शायद बच जाते!
फिरोजाबाद: यूपी पुलिस ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भले ही अपराधी कितने भी चालाक क्यों न हों, म्यूजिक सिस्टम में drugs छिपाकर भी निकलें, लेकिन पुलिस की नज़र से नहीं बच सकते। जी हां! मंगलवार को पचोखरा पुलिस और एंटी नारकोटिक्स सेल ने अर्टिगा’ में लहराते हुए आए चार ‘तस्करी के तारणहारों’ को धर दबोचा — और साथ में मिला 51 किलो गांजा। अब भले ही कार में डीजे न हो, लेकिन गांजे के डिब्बे से पूरी कचहरी में सुगंध फैल गई है।
🎧 जब म्यूजिक सिस्टम बना ‘drugs बॉक्स’
जांच के दौरान जब पुलिस ने अर्टिगा कार खोली तो उन्हें उम्मीद थी कि JBL या Sony की बीट्स बजेंगी, लेकिन निकला कुछ और — गांजा! डिग्गी और म्यूजिक सिस्टम के बॉक्स में गांजे के ‘सुनियोजित पैकेट्स’ ठूंसे हुए थे। कुल 51 किलो ‘हरियाली’ बरामद हुई, जिसकी मार्केट वैल्यू करीब 40 लाख रुपये बताई जा रही है।
मतलब ‘drugs’ ने इस बार संगीत से नहीं, सीधे गिरफ्तारी से तालमेल बिठाया।
गांजा एक्सप्रेस: उड़ीसा से कोठपुतली, फिर जेल यात्रा
गिरफ्तार हुए चारों ‘हरियाली प्रेमी’ – प्रहलाद (हरियाणा), रामबाबू, रवि यादव और ईश्वर दयाल (राजस्थान) – ने पुलिस के सामने कबूल किया कि वे उड़ीसा से सस्ते में गांजा खरीदते हैं और राजस्थान के कोठपुतली में ऊंचे दाम पर बेचते हैं। इस धंधे को चारों आरोपी बड़े गर्व से “Business Expansion via Highway” बता रहे हैं।
जैसे ही कार को पकड़ा गया, ड्राइवर बोला – “हम तो Spotify पर गाना सुन रहे थे साहब, गांजा कहां से उड़कर आ गया मालूम नहीं। पुलिस ने भी मासूमियत के साथ ही जवाब दिया, एड़ा समझा है क्या, अब जेल में चलकर बताना कि, मधुर संगीत के साथ गांजे का तड़का कैसे और कहां से आया
WhatsApp यूनिवर्सिटी का syllabus भी पीछे रह गया
तस्करों ने तस्करी को ‘अंतरराज्यीय उद्यम’ बना डाला है। पूछताछ में खुलासा हुआ कि यह गिरोह उड़ीसा के गांजा उत्पादकों से सीधे लिंक में है। कीमतें कम हैं, माल ज्यादा — और बेचने की प्लानिंग ऐसी कि MBA कॉलेज के छात्र भी शरमा जाएं।
लेकिन अफसोस! फिरोजाबाद की पुलिस ने उनका पूरा ‘Business Model’ फेल कर दिया। अब ‘drugs’ की सप्लाई के बजाए, कोर्ट में पेशी का टाइम टेबल बनेगा।
drugs’ मामले में अब क्या होगा?
अब इन तस्करों की अगली डेस्टिनेशन ‘जेल नंबर 7’ है। जहां हर सुबह नाश्ते में परोसा जाएगा चाय और तन्हाई, और शाम को पुलिस की लगेगी क्लास – “तस्करी कैसे न करें, वॉल्यूम-1″।
“Highway पे नहीं, अब हवालात में होगी अगली मीटिंग!”
गौर करने वाली बात ये है कि जब सिस्टम पर सवाल उठते हैं, तो पुलिस ऐसे ऑपरेशन से जवाब देती है — एकदम सरप्राइज टेस्ट की तरह। अब सवाल ये है कि ऐसे drugs डीलर कहां-कहां छुपे हैं, और अगली खेप कौन सी गाड़ी में आ रही है? लेकिन तस्करों को भी समझना चाहिए कि हर बार किस्मत ‘ग्रीन सिग्नल’ नहीं देती। एक न एक दिन ‘लाल बत्ती’ का सामना करना ही पड़ता है — वो भी थाने की! अब अर्टिगा गैंग के लिए अगली प्ले-लिस्ट में सिर्फ दो ट्रैक बचेंगे: “चलो जेल चले हम” और “तस्करी छोड़ो, जीवन सुधारो!”
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