 
                                                      
                                                "Fake Journalist Case: पंचायत में ‘ATM’ बना माइक!"
Fake Journalist Case: लोगों का कहना है — पत्रकार नहीं ‘एटीएम ऑपरेटर’!
गाजीपुर के करंडा ब्लॉक में Fake Journalist Case ने पत्रकारिता को ‘ATM सर्विस सेंटर’ बना दिया — ऐसा लोगों का कहना है!
तथाकथित पत्रकार कोई मामूली शख्स नहीं; यह उस परिवार का हिस्सा है, जिसका नाम गाजीपुर में लेने से पहले लोग सोचते हैं। लोगों के मुताबिक, तथाकथित पत्रकार, उसका भाई, और यहां तक कि पिता भी हत्या जैसे संगीन मामलों में जेल की सैर कर चुके हैं। हाल ही में जमानत पर छूटा यह तथाकथित पत्रकार कथित तौर पर जेल की सलाखों को छोड़ प्रेस कार्ड थामने लगा, लेकिन खबरें लिखने के लिए नहीं—बल्कि रंगदारी के लिए! 
काग़ज़ पर प्रेस कार्ड, दिल में डर कार्ड — पंचायत भवन में घुसकर बोले: “प्रधान जी, गाड़ी खरीदनी है — 20 हज़ार तुरंत दीजिए!”
लोगों का कहना है कि पत्रकार साहब को चार पहिया चाहिए, गांव की सड़क हो न हो — गाड़ी चमचमाती होनी चाहिए!
Fake Journalist Case: लोगों का कहना है — CCTV में कैद ‘सहयोग योजना’!
किसी को शक हो तो पंचायत भवन के CCTV देख लो — Fake Journalist Case का सारा ड्रामा HD क्वालिटी में मिल जाएगा।
25 जून — तथाकथित पत्रकार आ धमके, बोले: “मैं बड़े चैनल से हूँ, पैसा निकालो!”
प्रधान प्रतिनिधि प्रकाश सोनकर ने कहा — “भाई, ये कौन सी पत्रकारिता है?”
लोगों का कहना है — पत्रकार साहब मुंह फुलाकर निकल गए, पर ‘मन मुराद’ अधूरा था!
Fake Journalist Case: लोगों का कहना है — दूसरी किस्त में ‘बिना ब्याज का दबाव’!
अब Fake Journalist Case में Twist! 27 जून — तथाकथित पत्रकार फिर हाज़िर — “प्रधान जी, कुछ तो कर दीजिए, मार्केटिंग करनी है!”
लोगों का कहना है कि प्रधान प्रतिनिधि ने अपनी जेब टटोली — खाली! उधार लेकर हज़ार रुपये पकड़ा दिए — ताकि साहब की SUV योजना चालू रहे!
CCTV फिर चालू — पूरा फुटेज, पूरा रिकॉर्ड!
Fake Journalist Case: तीसरी बार धमकी — ‘नहीं दिया पैसा, तो खबर चलेगी!’
लोगों का कहना है कि 29 जून को Fake Journalist Case अपने पूरे स्वर्ण काल में पहुंचा। तथाकथित पत्रकार बोले — “19 हज़ार बचा है, नहीं दोगे तो मनरेगा पेमेंट रुकवा दूंगा, खबर चला दूंगा!”
प्रधान ने कहा — “भाई, हमने बालू-ईंट सब ठीक लगाया, चला दो खबर!”
लोगों का कहना है कि अब साहब ने सोशल मीडिया पर घटिया बालू, घटिया ईंट का ज्ञान उड़ेल दिया।
गांव वालों का जवाब — “लाल बालू आया था, सफेद बालू सजावट में गया — अब गाड़ी में क्या भर दें?”
Fake Journalist Case: लोगों का कहना है — हत्या के आरोपी परिवार की पत्रकारिता क्लास!
लोग कहते हैं — ये कोई नया तमाशा नहीं! तथाकथित पत्रकार का खानदान ही कुख्यात — भाई पहले हत्या में अंदर, खुद हत्या में अंदर — अब बाहर आकर प्रेस कार्ड से धौंस!
गांव में हंसी उड़ रही — “पत्रकारिता है या रंगदारी सेल?”
लोगों का कहना है — Fake Journalist Case में प्रेस कार्ड से ‘वसूली कार्ड’ ज्यादा चलता है!
Fake Journalist Case: FIR हुई, अब देखिए प्रशासन क्या करता है!

लोगों का कहना है कि ग्राम प्रधान प्रतिनिधि प्रकाश सोनकर ने करंडा थाने में FIR लिखवाई है — IPC धारा 308/5, 351/3 — CCTV सबूत सब जमा!
अब गांव देख रहा — प्रशासन तथाकथित पत्रकार की गाड़ी योजना को कब कबाड़ में भेजता है!
गांव के लोग कहते हैं — Fake Journalist Case में एक मिसाल बने, ताकि कल कोई और भी ‘माइक लेकर माफिया’ न बन जाए!
khabarilal.digital Desk
🎤 रिपोर्ट: गाजीपुर संवाददाता
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