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जहां पेशाब की रिपोर्ट बननी थी, वहां निकले FakeCurrency के नोट!
लोकेशन: अमरोहा
🎤 संवाददाता:जयदेव सिंह
FakeCurrency:कहते हैं “कला कहीं भी पनप सकती है”, लेकिन यह ‘काला’ कुछ ज्यादा ही पनप गया। आमतौर पर पैथोलॉजिस्ट शरीर के वायरस ढूंढते हैं, मगर यहां तो वो खुद ही देश की करेंसी को बीमार कर बैठे! पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करके न केवल नकली नोटों को पकड़ा, बल्कि ‘पैथोलॉजी-जालसाजी गठबंधन’ का पहला चैप्टर भी उजागर किया।
कभी खून की रिपोर्ट छापने वाली लैब अब ₹50 के नोट छापने में व्यस्त थी!
अमरोहा जिले की आदमपुर पुलिस ने एक ऐसी FakeCurrency फैक्ट्री पकड़ी है जो न दिल्ली में है, न कानपुर में – बल्कि आपकी मोहल्ले वाली पैथोलॉजी लैब में ही छिपी थी। लैब संचालक अनुज, जो पहले CBC और KFT टेस्ट करता था, अब RBI को भी ‘रैपिड टेस्ट’ में पछाड़ने की तैयारी में था!
अनुज के साथ पकड़े गए दो अन्य कलाकार – अजय और पवन – मिलकर ऐसा ‘प्रिंटिंग चमत्कार’ कर रहे थे कि नोट को देखकर नकली असली खुद कन्फ्यूज़ हो जाए! प्रिंटर, स्केल, सेलोटेप, ब्लेड और मोटरसाइकिल के साथ साथ उन्होंने ‘हैंडमेड करेंसी किट’ भी बनाई थी। ₹50 के अधबने नोट जब पुलिस ने देखे तो सब इंस्पेक्टर तक बोले – “इतनी सफाई से तो सरकारी नोट भी नहीं छपते!”
FakeCurrency में ‘हेल्थ सेक्टर’ का इन्वेस्टमेंट! लैब रिपोर्ट में छिपे थे नोट के नमूने
पुलिस अधीक्षक अमित कुमार आनंद ने बताया कि आरोपी अनुज की लैब, सम्भल जिले के दो और लड़कों की क्रिएटिविटी का जुगाड़ थी। ये ‘क्राइम इनोवेटर्स’ पहले पैथोलॉजी लैब में काम करते थे, फिर लगा कि ब्लड रिपोर्ट से ज़्यादा मुनाफा तो नोट छापकर ही मिलेगा। उन्होंने एक प्रिंटर खरीदा, यूट्यूब स्किल्स झोंकी और FakeCurrency प्रिंटिंग का नया “स्टार्टअप” खोल दिया।
जगह चुनी मार्केट के बीचोंबीच – ताकि रिपोर्ट के साथ नकली नोट भी सीधे कस्टमर को दिया जा सके। और ये सिलसिला तब तक चलता रहता, अगर मोहल्ले के किसी ‘सतर्क रोगी’ को शक न हो जाता कि रिपोर्ट से ज़्यादा “रसीद” चमचमा रही है।
अब जब अगली बार आप लैब रिपोर्ट लेने जाएं तो डॉक्टर से पूछिए – “B.P कितना है, और नोट कितने छपे आज?” क्योंकि अब लैब सिर्फ बीमारी नहीं, FakeCurrency भी पकड़ने की जगह बन चुकी है।
भारत में क्रिएटिविटी की कोई कमी नहीं – कोई प्रिंटर मेडिकल रिपोर्ट के लिए खरीदता है, कोई प्रधानमंत्री की डिग्री निकालने के लिए, और कोई ‘₹50 का अपना ब्रांड’ बनाने के लिए!
तो अगली बार लैब रिपोर्ट लेने जाएं, तो ये पूछना न भूलिए – “भाईसाहब, रिपोर्ट के साथ ₹50 का बोनस तो नहीं मिलेगा ना?” वरना कहीं X-ray की जगह Xerox में ही ‘नोटों’ का स्कैन न करवा बैठें!
कहां सरकार सोच रही थी कि केवल हॉस्पिटल्स में नीम-हकीम बैठे हैं, अब तो लैब टेक्नीशियन भी ‘मुद्रण विशेषज्ञ’ बन बैठे हैं। शायद इसलिए कहा गया है,भारत में टैलेंट की कमी नहीं है.

 
         
         
         
        