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EWS Certificate Bribery: मुरादाबाद के लेखपाल की जेब में छुपा था ‘नैतिकता का जनाज़ा’
जब सरकारी बाबू रिश्वत लेते हुए पकड़ा जाए, तो समझिए कि ‘न्याय’ छुट्टी पर और ‘बेईमानी’ फुल ड्यूटी में है। मुरादाबाद की बिलारी तहसील में तैनात लेखपाल दिनेश चौधरी ने एक गरीब छात्रा के EWS सर्टिफिकेट के लिए सिर्फ 5000 रुपये मांगे—क्योंकि आजकल नैतिकता भी डिस्काउंट पर मिल रही है।
EWS Certificate Bribery की इस क्लासिक केस में एंटी करप्शन ब्यूरो ने कैमरा ऑन किया, नकली नोट थमाया, और जैसे ही नोट लेखपाल की जेब में घुसा, कानून का डंडा भी उसी जेब में जा घुसा!
रिश्वतखोरी का पाठशाला मॉडल: EWS Certificate Bribery में मास्टरस्ट्रोक!
मेहरबान नामक व्यक्ति को उम्मीद थी कि सरकार बेटी पढ़ाओ में साथ देगी, लेकिन लेखपाल साहब ने सीधा “बेटी से रिश्वत दिलवाओ” स्कीम में एंट्री करा दी। बाबू बोले – “बिना नज़राना, रिपोर्ट नहीं लगाना!”
EWS Certificate Bribery की इस पटकथा में सस्पेंस कम, घिन ज्यादा थी। भ्रष्टाचार निवारण संगठन की टीम ने जैसे ही ऑपरेशन शुरू किया, वैसे ही सिस्टम का चीरहरण ऑन कैमरा शुरू हो गया। इंस्पेक्टर नवल मारवाह ने न केवल घूस पकड़ी, बल्कि पूरी ईमानदारी को जमीन में गाड़ दिया।
बेटी की पढ़ाई या बाबू की जेब? यही है EWS Certificate Bribery का असली सवाल
आजादी के 75 साल बाद भी अगर एक गरीब को बेटी के भविष्य के लिए रिश्वत देनी पड़े, तो ये देश नहीं, बाबुओं का बाजार है। EWS Certificate Bribery कोई पहला मामला नहीं, ये तो सिर्फ वो घटना है जो कैमरे में कैद हो गई।
दिनेश चौधरी जैसे लेखपाल संविधान की किताब नहीं, रेट लिस्ट लेकर फील्ड में उतरते हैं। और जब पकड़े जाते हैं, तो सिस्टम ऐसे चुप रहता है जैसे घड़ी की सुईं भ्रष्टाचार के समय पर ही फ्रीज़ हो गई हो।
सरकार: नींद में है या नोटों की नरमाई में?
अब सवाल ये है – एक लेखपाल की गिरफ्तारी से क्या पूरा सिस्टम सुधर जाएगा? या फिर कल कोई दूसरा दिनेश, नई रिश्वत स्कीम के साथ मैदान में उतरेगा?
EWS Certificate Bribery का ये मामला इस बात का आइना है कि डिजिटल इंडिया चाहे जितना आगे बढ़े, भ्रष्टाचार की फाइलें अब भी ऑफलाइन ही खुलती हैं – वो भी नोटों की गंध के साथ।
कलम की जगह अगर कैलकुलेटर चलने लगे, तो घूस ही ‘सिस्टम’ बन जाता है
लेखपाल साहब को शायद लग रहा था कि EWS Certificate Bribery भी कोई छोटी-मोटी डील है। मगर अब जब ये डील थाने की चारदीवारी में जा पहुँची है, तो उन्हें समझ आ रहा होगा कि घूस की गणित हमेशा उलटी ही पड़ती है।
अगर हर बाबू को ये भरोसा हो जाए कि अगली रिश्वत पर कैमरा चालू है, तो शायद ये मुल्क बिना रिश्वत के भी चल सकता है। लेकिन तब बाबू बिरादरी को सबसे बड़ा संकट यही होगा — नौकरी में अब ‘कमाई’ बचेगी क्या?
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: कुलदीप सिंह
📍 लोकेशन: मुरादाबाद, यूपी
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