
Hata Encounter पुलिस ने सुनारों की रेकी करने वाले गैंग को धर लिया, दो की टांग में गोली!
कुशीनगर/जुगनू शर्मा: यूपी पुलिस इन दिनों एक्शन में कम, और फिल्मी स्क्रिप्ट में ज़्यादा लग रही है! और जब सामने वाले बदमाश भी खुद को ‘क्राइम यूनिवर्स का शाहरुख़ खान’ समझ लें, तो फिर तो क्लाइमैक्स खुद-ब-खुद मसालेदार हो जाता है। हाटा Encounter की ये कहानी किसी CID एपिसोड से कम नहीं—उड़ीसा से आए दो ‘प्रधान’ टाइप कलाकार, जो दिन में कैटलॉग दिखाते हैं और रात में तमंचा चमकाते हैं! लेकिन कहानी में असली ट्विस्ट तब आया जब यूपी पुलिस ने इन्हें ऐसा ‘सरप्राइज़ रिटर्न गिफ्ट’ दिया कि दोनों को गोली खाकर रैंप वॉक बंद करना पड़ा। जी हां, Hata Encounter कोई आम मुठभेड़ नहीं, ये तो एक चलती-फिरती कॉमेडी थ्रिलर है — जिसमें पुलिस भी स्टार है और क्रिमिनल भी जोकर।

कपड़े के कैटलॉग और तमंचे का ‘बिजनेस मॉडल’: कैसे हुआ Hata Encounter में पर्दाफाश
मिलिए ‘प्रधान डॉट कॉम’ से – जितू प्रधान और किशोर प्रधान! नाम में ही जब ‘प्रधान’ हो, तो जाहिर है बंदों की सोच भी ‘इंटरनेशनल स्कीम’ वाली होगी! उड़ीसा के जाजपुर से उठकर आए ये दो भाई साहब Hata Encounter के असली सुपरस्टार निकले। अब इनके धंधे का मॉडल सुनिए — MBA छोड़िए, IIM वाले भी पसीना-पसीना हो जाएं! बजाज पल्सर 220 सीसी बिना नंबर प्लेट पर चढ़कर निकलते थे ‘सुनारों की सेंध यात्रा’ पर। रैकी ऐसी करते कि गूगल मैप भी शर्मा जाए — कौन सुनार कब दुकान खोलता है, कब चाय पीने जाता है, और कब मोबाइल घूरते हुए गेट तक आता है, सब कुछ लाइव अपडेट में! लेकिन इनका मास्टरस्ट्रोक था — 8 कपड़े के कैटलॉग! जी हाँ, वही जो फुटपाथ पर बेचने वाले दिखाते हैं। पुलिस रोकती? तो झट से बैग खोलते और कैटलॉग थमाकर मासूम बनते: “साहब! हम तो बस कपड़े बेचते हैं, क्राइम हमारे बस का नहीं…”

लेकिन जनाब, यूपी पुलिस को आप हल्के में लोगे, और तमंचे साथ रखोगे? फिर तो बैग से कैटलॉग कम, और एविडेंस ज्यादा निकलता है!
पुलिस का ‘वेलकम’ और Hata Encounter का सिनेमा हॉल वाला क्लाइमेक्स!
सोमवार की शाम थी, लोकेशन था — हाटा क्षेत्र का किस्तूराजा स्कूल, देवरिया रोड। सीन सेट था: हाटा, पड़रौना और सर्विलांस सेल की पुलिस मिलकर वाहनों की चेकिंग कर रही थी। तभी एंट्री होती है हमारे ‘प्रधान ब्रदर्स’ की — बिना नंबर प्लेट वाली पल्सर पर सवार, हवा से बातें करती रफ्तार और बैग में कैटलॉग के बजाय 315 बोर का तमंचा छुपाए हुए!
पुलिस ने रुकने का इशारा किया… लेकिन हमारे ‘प्रधान व्यापारी’ समझ बैठे कि कोई डील कैंसिल हो रही है। फौरन बैग से निकला ‘ताकत का कैटलॉग’ — यानी तमंचा, और चल गईं गोलियाँ पुलिस की तरफ! लगा था कि रौब दिखाकर निकल लेंगे, जैसे किसी B-ग्रेड फिल्म में हीरो भागता है और पीछे पुलिस गाना गाती है।
लेकिन अफसोस, सीन रियल था और लोकेशन थी उत्तर प्रदेश — यहाँ बदमाशों को रसगुल्ले से नहीं, रिवॉल्वर से रिसेप्शन मिलता है!

जवाबी ‘अतिथि सत्कार’ में पुलिस ने भी चलाई गोलियाँ — और फिर जो हुआ, वो किसी मसाला मूवी के क्लाइमेक्स से कम नहीं था। तड़तड़ाहट की गूंज में ‘प्रधानगिरी’ का पूरा घमंड पैरों से निकल गया। गोलियाँ दोनों के पैरों में लगीं, और अगले ही पल पल्सर की जगह ज़मीन पर पड़े दोनों ‘व्यापारी’ चीखते हुए बोले — “हमें माफ कर दो सरकार!”
और यहीं पूरा हुआ Hata Encounter का वो धमाकेदार क्लाइमेक्स — जिसमें तमंचा भी था, कैटलॉग भी, पुलिस का एक्शन भी, और अपराध की दुर्गति का प्रैक्टिकल सबक भी।
दोनों को गिरफ्तार कर अस्पताल पहुंचा दिया गया है — अब इलाज होगा, फिर हिसाब-किताब भी।
बिजनेस बैग से निकला ‘गोल्डन गुड्स’ और फरेब का कैटलॉग
जब पुलिस ने दोनों ‘प्रधान ब्रदर्स’ के बिजनेस बैग की तलाशी ली, तो उसमें से ऐसा माल निकला, जिसे देखकर कोई भी बोले — “क्या क्रिएटिविटी है भाई!”
2 अवैध तमंचे और 4 जिंदा कारतूस — ये शायद इनके ‘डेमो प्रोडक्ट्स’ थे, ताकि कहीं डील बिगड़े तो तुरन्त ‘डिस्काउंटेड’ गोली ऑफर कर सकें!
सोने और चाँदी के भारी-भरकम आभूषण — साफ है, इन ‘व्यापारियों’ का टारगेट मार्केट सीधे सुनारों की दुकान से उठाया हुआ था।
2 मोबाइल फोन — सिर्फ कॉल के लिए नहीं, बल्कि रेकी की रील बनाने के लिए!
बिना नंबर प्लेट वाली बजाज पल्सर 220 सीसी — यानी अपराध की फर्राटा फ्रेंचाइज़ी!
₹15,000 नगद — अपराध का कैशबैक, शायद अगली मुठभेड़ के खर्च के लिए जमा कर रखा था।
और अब ज़रा रुको… सबसे महत्त्वपूर्ण चीज़!
8 कपड़े के कैटलॉग! — ताकि पूछताछ में कहा जा सके: “साहब! हम तो बस कुरते-पाजामे बेचने निकले थे, चोरी-चकारी तो हमें छू तक नहीं गई!”
लेकिन यूपी पुलिस ने इन दोनों ‘फील्ड मार्केटिंग एक्सपर्ट्स’ की पिच को वही पर ढेर कर दिया।
पुलिस के अनुसार, ये दोनों ‘कलाकार’ पहले से ही कई राज्यों में वॉन्टेड थे — यानि ‘क्राइम का ओपनिंग बैट्समैन’ पहले से ही बन चुके थे।
फिलहाल, हाटा पुलिस ने इनके ‘बिजनेस ऑपरेशन’ को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया है और आगे की कानूनी कार्रवाई अब कोर्टरूम में होगी — जहाँ ये कैटलॉग नहीं, चार्जशीट में छपेंगे।