 
                  कौन है हर्षवर्धन जैन जो Ghaziabad में चला रहा था फर्जी दूतावास ?
Ghaziabad News Update
Ghaziabad News: गाजियाबाद के कविनगर में एक ऐसी सनसनीखेज घटना सामने आई है, जिसने सबको हैरान कर दिया. उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने एक फर्जी दूतावास का पर्दाफाश किया है, जो एक आलीशान किराए की कोठी में चल रहा था. इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड है हर्षवर्धन जैन, जो खुद को वेस्ट आर्कटिका, सबोरगा, पोलविया और लोडोनिया जैसे काल्पनिक देशों का राजदूत बताता था. सुनकर हैरानी हो रही है ना? ये देश तो दुनिया के नक्शे में हैं ही नहीं!
क्या था हर्षवर्धन का खेल?
हर्षवर्धन जैन ने गाजियाबाद के कविनगर में एक दो मंजिला कोठी किराए पर ली और वहां वेस्ट आर्कटिका के नाम से फर्जी दूतावास खोल लिया. कोठी के बाहर भारत और वेस्ट आर्कटिका के झंडे लगे थे. उसने अपनी गाड़ियों पर डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट्स लगाईं, जिसमें रेंज रोवर, टोयोटा फॉर्च्यूनर और स्कोडा जैसी लग्जरी गाड़ियां शामिल थीं. इतना ही नहीं, उसने विदेशी नेताओं और भारत के प्रधानमंत्री के साथ अपनी फोटोशॉप्ड तस्वीरें बनाकर लोगों को ठगने का जाल बिछाया.
कैसे करता था ठगी?
हर्षवर्धन लोगों को विदेश में नौकरी दिलाने का झांसा देता था. इसके लिए वह फर्जी पासपोर्ट, विदेश मंत्रालय के जाली दस्तावेज और प्रेस कार्ड्स का इस्तेमाल करता था. उसने 12 काल्पनिक देशों के पासपोर्ट, 34 देशों और कंपनियों की मुहरें, और दो जाली पैन कार्ड बनवाए थे. यही नहीं, उसकी कोठी से 44.7 लाख रुपये नकद, कई देशों की विदेशी मुद्रा और लग्जरी घड़ियों का कलेक्शन भी बरामद हुआ है. पुलिस का कहना है कि वह हवाला के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग के रैकेट में भी शामिल था.
Ghaziabad के शातिर ठग हर्षवर्धन को जानिए
56 साल का हर्षवर्धन जैन कोई छोटा-मोटा जालसाज नहीं है. उसने लंदन के ‘कॉलेज ऑफ अप्लाइड साइंस’ और गाजियाबाद के ITS कॉलेज से MBA की डिग्री ली है. उसका पारिवारिक बैकग्राउंड भी काफी मजबूत रहा है. उसके पिता राजस्थान में मार्बल माइंस के मालिक और बड़े उद्योगपति थे. हर्षवर्धन का इंटरनेशनल आर्म्स डीलर्स से भी संपर्क था और 2011 में उससे अवैध सैटेलाइट फोन बरामद होने के बाद उसकी गिरफ्तारी भी हो चुकी है.

पुलिस की कार्रवाई
22 जुलाई 2025 को नोएडा STF ने टिप-ऑफ के आधार पर कविनगर की कोठी नंबर KB-35 पर छापा मारा. वहां से भारी मात्रा में जाली दस्तावेज, चार डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट वाली गाड़ियां, 18 अतिरिक्त नंबर प्लेट्स और अन्य सामग्री बरामद की गई. हर्षवर्धन को गिरफ्तार कर लिया गया और कविनगर थाने में उसके खिलाफ FIR दर्ज की गई. पुलिस अब उसके नेटवर्क और हवाला रैकेट की गहराई से जांच कर रही है.
क्या है वेस्ट आर्कटिका?
वेस्ट आर्कटिका एक माइक्रोनेशन है, जिसे एक अमेरिकी नौसेना अधिकारी ने अंटार्कटिका में बनाया था. लेकिन ये कोई मान्यता प्राप्त देश नहीं है. हर्षवर्धन ने इसका इस्तेमाल अपनी ठगी को असली दिखाने के लिए किया. उसने लोगों को झांसे में लिया और फर्जी दूतावास के जरिए करोड़ों की ठगी की.
क्या कहती है पुलिस?
STF के SSP सुशील घुले के मुताबिक, हर्षवर्धन ने एक परफेक्ट जालसाजी का जाल बिछाया था. वो डिजिटल युग में लोगों की भोली-भाली सोच का फायदा उठाता था. पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उसने कितने लोगों को ठगा और उसका नेटवर्क कितना बड़ा है.
क्या है सबक?
ये मामला हमें सिखाता है कि चमक-दमक और बड़े-बड़े दावों पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए. हर्षवर्धन जैसे लोग अपनी पढ़ाई-लिखाई और पैसे का इस्तेमाल लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए करते हैं. अगर कोई विदेश में नौकरी या बड़े मौके का वादा करे, तो पहले अच्छे से जांच-पड़ताल जरूर करें.

 
         
         
        