Electric Shock Death
सड़क किनारे करंट ने निगल ली ज़िंदगी, अफसर धोते रहे अपने गुनाह
टनकपुर हाईवे पर Electric Shock से एक बूढ़ी दिव्यांग औरत तड़प-तड़प कर मर गई — उसकी चीखें सड़क किनारे के खंभों से टकराईं, लेकिन सत्ता के खंभों ने कान बंद कर लिए। राज्यमंत्री के दफ्तर के बाहर बैठी इस बेचारी ने कभी सोचा भी न होगा कि जिस ट्रांसफार्मर की लापरवाही से वो रोज़ गुजरती है, एक दिन वही उसकी रोटी भी निगलेगा और उसकी सांस भी। ऊपर से मजाक ये कि मौत के बाद फाइलों में सच का पोस्टमार्टम शुरू हुआ — और अफसरों ने अपनी गलती पर सफेदी पोत दी!
Electric Shock Death: करंट कहां से आया, किसने छोड़ा — कोई नहीं बताएगा!
जिस ट्रांसफार्मर ने करंट उगला, उसी ने मौत की स्क्रिप्ट लिखी — लेकिन बिजली विभाग के अफसर फौरन नगर पालिका पर ठीकरा फोड़कर अपनी चमड़ी बचाने में लग गए। कहा गया कि Electric Shock स्ट्रीट लाइट के तार से हुई — मगर सिटी मजिस्ट्रेट विजय वर्धन तोमर की जांच में पोल-पट्टी खुल गई। मौके पर कोई पोल था ही नहीं, कोई तार लटका ही नहीं — फिर कौन चुपचाप मौत की बिजली बहा रहा था? न ट्रांसफार्मर को कोई काट पाया, न तार को कोई छू पाया — मगर शांति देवी को छू गया करंट!
Electric Shock Death: सियासत ने भी राखी को भुना लिया!

ये वही शांति देवी थी, जिसने राखी के दिन राज्यमंत्री को राखी बांधी थी। उसी हाथ से जो अब ठंडे बक्से में पड़ा है। फोटो वायरल हो गया, सियासतदानों ने आंसू बहा दिए — किसी ने एफआईआर मांगी, किसी ने राजनीति में नमक-मिर्च छिड़क दी। समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष जगदेव सिंह जग्गा ने फ़ौरन कहा — जिम्मेदारों पर मुकदमा हो! लेकिन Electric Shock Death पर मुकदमा कौन करेगा — वो जिम्मेदार तो खुद जांच करने वाले हैं!
Electric Shock Death: मौत तो हो गई, अब किसे जिम्मेदार ठहराएंगे?
नगर पालिका ने पहले ही हाथ खड़े कर दिए — कह दिया कि उनका कोई पोल, कोई वायरिंग वहां नहीं थी। बिजली विभाग अब दबी ज़ुबान से मान रहा है कि ट्रांसफार्मर से करंट निकला होगा — मगर गलती किसी कागज पर दर्ज नहीं होगी! मरने वाली थी एक गरीब दिव्यांग, जिसकी ट्राईसाइकिल ही उसका घर थी। अब Electric Shock Death सिर्फ सोशल मीडिया पोस्टों में जिंदा है — बाकी सिस्टम ने तो उसे दफना दिया।
Electric Shock Death: जान गई, जांच आई — नतीजा? ढाक के तीन पात!
जनता कहती रही कि पावर कॉरपोरेशन ने नंगा तार छोड़ रखा था — मगर अफसरों ने अपनी कुर्सी बचा ली। नगर पालिका ने तो पहले ही खुद को दूध से धुला बता दिया। सिटी मजिस्ट्रेट ने भी मौके पर हाथ झाड़ दिए कि ‘ई कोई नगरपालिका का पोल नाहीं!’
तो अब Electric Shock Death का गुनहगार कौन? ये सवाल सड़क पर पड़ा रहेगा — जवाब कोई नहीं देगा।
Electric Shock Death: मंत्री के जनसहयोग कार्यालय के बाहर मौत… और सन्नाटा क्यों है महाराज?
अब असली सवाल यही है — Electric Shock Death minister के जन सहयोग कार्यालय के बाहर हुई, यानी सियासत के सबसे सुरक्षित आंगन में। फिर इतनी बड़ी लापरवाही कैसे पलती रही? करंट वहां से क्यों निकला, जहां ‘जनसहयोग’ लिखा था? और सबसे बड़ी बात — मंत्री जी ने राखी बंधवाई, फोटो खिंचवाई, मगर अब जब बहन की लाश करंट से सुलग गई तो जुबान सिल क्यों गई? कोई मुआवजा? कोई सख्त जांच? कोई कार्रवाई? कुछ भी नहीं! ये चुप्पी किसकी रखवाली कर रही है — सिस्टम की, वोट बैंक की या खुद मंत्री जी की साख की?
अभी तो बस सवाल हवा में तैर रहा है — जवाब मिलेगा भी या सब कुछ तारों में बह जाएगा… ये देखने के लिए जनता को फिर अगले करंट का इंतज़ार करना पड़ेगा!
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: शकुश मिश्रा
📍 लोकेशन: पीलीभीत , यूपी
#ElectricShockDeath #Tanakpur #करंटसेमौत #BJP #नगरपालिका #PowerCorporation #सिटीमजिस्ट्रेट #TricycleVendorDeath #KhabrilalDigital
