E Rickshaw Vrindavan Traffic Jam
E Rickshaw Vrindavan Traffic Jam : श्रद्धालु परेशान, अफसरान बेखबर!
ब्रज की पावन धरती वृंदावन में एक तरफ श्रद्धालुओं की जय-जयकार है, तो दूसरी तरफ E Rickshaw ने हर गली, हर सड़क को जकड़ लिया है। श्रद्धालु हों या स्थानीय लोग, सबको लगता है जैसे भगवान के भरोसे ही निकलना पड़ेगा, क्योंकि प्रशासन साहबान तो बांसुरी बजा रहे हैं — वो भी मीटिंग में आश्वासन की धुन पर!
Vrindavan E Rickshaw Problem : चारों तरफ जाम ही जाम
कहने को तो वृंदावन में ट्रैफिक पुलिस तैनात है, लेकिन सच्चाई ये है कि ट्रैफिक नाम की चीज अब यहां सिर्फ सरकारी फाइलों में है। E Rickshaw की वजह से हाल ये है कि अगर कोई बीमार हो गया तो एंबुलेंस भी जाम में फंस कर पहले मोक्ष प्राप्त कर लेगी, मरीज बाद में पहुंचेगा। हर गली-मोहल्ला, हर बाजार में ई-रिक्शा का हुजूम ऐसा कि आदमी पैदल भी चले तो टायर से कुचल जाने का डर।
E Rickshaw Vrindavan Traffic : कोरिडोर की बुनियाद, बुनियादी समस्या खतम!
मजेदार बात ये है कि अधिकारी और माननीय सांसद महोदया ब्रज कॉरिडोर के सपने दिखा रहे हैं। श्रद्धालुओं को लगे कि बहुत विकास हो रहा है, लेकिन Vrindavan Rickshaw Problem की जड़ काटने वाला कोई नहीं। सैकड़ों ई-रिक्शा रोज नए सिरे से सड़कों पर उतरते हैं। किसका पेट भर रहा है ये सबको पता है, लेकिन किसी की जबान नहीं खुलती।
E Rickshaw Problem Vrindavan : लाइसेंस किसके नाम?
सबसे बड़ा सवाल — ये ई-रिक्शा चल किसके आदेश से रहे हैं? लाइसेंस किसके पास है? क्यों नहीं होता इन पर बैन? सालों से सुन रहे हैं कि प्रशासन इनकी संख्या घटाएगा, लेकिन घटता सिर्फ जनता का धैर्य है। जो ट्रैफिक पुलिस जाम सुलझाने निकले वो खुद जाम में फंस जाए, इससे बड़ा मजाक और क्या होगा?
Vrindavan Corridor Vs Vrindavan Jam : किसका विकास?
कॉरिडोर बनाने के नाम पर बजट खाया जा रहा है, फोटो खिंचवाए जा रहे हैं। लेकिन स्थानीय व्यापारी हों या घर-घर के लोग — सबका दम निकला पड़ा है। श्रद्धालु आते हैं, दर्शन से ज्यादा ई-रिक्शा जाम का चक्कर काटते हैं। क्या यही विकास है? क्या यही ब्रज की भक्ति यात्रा है?
Vrindavan Police : क्या पुलिस भी बंधक?
E Rickshaw को हटाने के नाम पर पुलिस साल में दो बार नोटिस निकालती है। चालान होते नहीं, बस बयान होते हैं। सवाल ये है कि आखिर इन ई-रिक्शाओं से होने वाली मोटी कमाई किस जेब में जा रही है? कौन नेता, कौन अफसर इस मकड़जाल का मालिक है? कोई बताने को तैयार नहीं।
Vrindavan Traffic : कब खुलेगी आंख?
बैठक पर बैठक होती है, प्रेस नोट पर प्रेस नोट निकलता है। फिर वही जाम, वही जाम का मकड़जाल! सवाल वही — कब तक? कब तक ब्रजवासियों को इस E Rickshaw की यातना झेलनी पड़ेगी? क्या जिला प्रशासन की जिम्मेदारी बस VIP मूवमेंट तक सीमित है?
Vrindavan Traffic Jam हटेगा या श्रद्धा ऐसे ही फंसी रहेगी?
श्रद्धा रखने वालों की आस्था कब तक प्रशासन की लापरवाही की भेंट चढ़ेगी? जवाब कोई नहीं। अफसर मस्त, नेता मस्त — और श्रद्धालु, व्यापारी और स्थानीय लोग त्रस्त! जय श्री राधे, बाक़ी भरोसा भगवान के भरोसे।
