Durga Ashtmi Special : दुर्गा अष्टमी पर कैसे करें देवियों का पूजन? क्या है परंपरा और विधि.?
Navratri 2025 Durga Ashtami : शारदीय नवरात्र की छटा से Haryana समेत पूरा देश आस्था और भक्ति में सराबोर है। देवी के मंदिरों में सुबह-शाम दुर्गा सप्तशती के पाठ, शंख-घंटों की गूंज और भजन-कीर्तन से वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर रहा है। हर स्थआन पर देवी के भजनों के साथ ही मोहल्लों में देवी की प्रतिमा भी स्थापित की गई हैं। इन दिनों पूरा देश मां की भक्ति में डूबा हुआ है। शारदीय नवरात्रि का उत्सव नौ दिनों तक मनाया जाता है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर 2025 से हुई है। आम जनता के साथ माता के भक्तों में भी अष्टमी और नवमीं के दिन कन्या पूजन के समय को लेकर संशय बना हुआ है। ऐसे में हम आपकों बताते हैं कि कि किस समय पर अष्टमी और नवमी में कन्या पूजन किया जाना चाहिए ?
मां की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन

Shardiya Navratri के नौ दिन मां दुर्गा की विशेष पूजा-आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ और उत्तम दिन माने जाते हैं। नवरात्रि पर मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा उपासना का खास महत्व होता है, लेकिन नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि सबसे महत्पूर्ण तिथि होती है। अष्टमी और नवमी तिथि पर मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना के साथ कन्या पूजन, उनको भोजन और उपहार देकर शारदीय नवरात्रि व्रत का पारण किया जाता है। धार्मिक मान्याओं के अनुसार मां दुर्गा का स्वरूप मानी जाने वाली कन्याओं की माता के रूप में पूजा करते हुए अष्टमी और नवमी तिथि पर उनकी विदाई की जाती है।
हर तिथि का अपना महत्व
नवरात्रि या फिर कहें कि दुर्गा पूजा में हर तिथि का अपना विशेष महत्व होता है, लेकिन अष्टमी और नवमी तिथि विशेष मानी जाती है। अष्टमी को महा अष्टमी या दुर्गा अष्टमी भी कहते हैं। इस दिन मां महागौरी की पूजा होती है। वहीं महा नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। साथ ही अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन और हवन भी किए जाते हैं।
अष्टमी-नवमी के महत्व

नवरात्रि या दुर्गा पूजा में अष्टमी और नवमी तिथि का खास महत्व है। इन तिथियों में कन्या पूजन और हवन होते हैं। इस बार भक्तों में अष्टमी तिथि को लेकर संशय का माहौल था, लेकिन हम आपकों बता दें कि अष्टमी तिथि आज यानि सोमवार, 29 सितंबर शाम 04:31 से शुरू हो चुकी है। एक अक्टूबर को नवमी तिथि रहेगी। वहीं, दो अक्टूबर को दशमी यानि दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।
9 की बजाए 10 दिन की नवरात्रि
शारदीय नवरात्रि इस साल 9 नहीं बल्कि 10 दिनों की है, जिस कारण तिथि को लेकर भ्रम उत्पन्न हुआ है। दुर्गा अष्टमी की बात करें तो, मंगलवार यानि 30 सितंबर 2025 को नवरात्रि की अष्टमी तिथि रहेगी। इस दिन आप दुर्गा अष्टमी की पूजा कर सकते हैं। जो लोग अष्टमी पर कन्या पूजन करते हैं, वे इसी दिन कन्या पूजा भी करेंगे। पंचाग के अनुसार अष्टमी तिथि की आज यानि 29 सितंबर 2025 की शाम 04:31 से शुरुआत हो चुकी है, जोकि 30 सितंबर को शाम 06:06 पर समाप्त होगी। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 30 सितंबर को ही अष्टमी पूजन किया जाएगा और एक अक्टूबर को नवमी पूजन होगा।
दुर्गा अष्टमी पर करें मां महागौरी की पूजा

शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा होती है। इन्हें पवित्रता, सुंदरता, शुद्धता, शांति, उज्ज्वलता और दया की देवी कहा जाता है। इनकी उपासना से भक्तों को मानसिक शांति प्राप्त होती है और जीवन की समस्त समस्याओं से मुक्ति मिलती है। मां को सफेद या हल्के रंग के वस्त्र अर्पित करें। पूजा में सफेद रंग के पुष्प, विशेषकर मोगरा या चमेली के फूल, चढ़ाएं। माता को नारियल, पूरी और हलवे का भोग लगाएं।
दुर्गा अष्टमी पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 4:37 से 5:25 बजे
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:47 से 12:35 बजे
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त: प्रातः 10:40 से 12:10 बजे
नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री की पूजा
अष्टमी के बाद शारदीय नवरात्रि अंतिम दिन यानी महा नवमी पर मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी। नाम के समान ही इन मां की पूजा करने से भक्तों को समस्त सिद्धियों की प्राप्ति होती है और मनोकामना पूरी होती है।
महानवमी पर कन्या पूजन मुहूर्त
इस वर्ष शारदीय नवरात्र की महानवमी एक अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन हवन और कन्या पूजन किया जाएगा। कन्या पूजन के लिए एक अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 01 मिनट से सुबह 6 बजकर 14 मिनट तक मुहूर्त रहेगा। दूसरा मुहूर्त- दोपहर 2 बजकर 09 मिनट से लेकर 2 बजकर 57 मिनट तक रहेगा।
होगी सुख-समृद्धि की प्राप्ति

नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी उपासना और साधना का विशेष महत्व होता है और अष्टमी-नवमी तिथि पर कन्या पूजन को बहुत ही शुभ और पुण्यदायी माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विशेष रूप से अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्त उपवास, पूजा और अनुष्ठान करते हैं, जिससे जीवन के भय, विघ्न और शत्रुओं का नाश होकर सुख-समृद्धि की प्राप्त होती है। अष्टमी तिथि पर हवन, जप और दान और कन्या पूजन से देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं।
कन्या पूजन और हवन
कन्या पूजन : अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन करना अनिवार्य माना जाता है। नौ कन्याओं और एक बालक (भैरव के रूप में) को भोजन कराएं। उन्हें सम्मानपूर्वक आसन दें, पैर धोएं, भोजन कराएं और दक्षिणा व उपहार देकर विदा करें।
हवन : अष्टमी के दिन हवन करने का विशेष विधान है। शुभ मुहूर्त में हवनकुंड स्थापित करें और मां दुर्गा के मंत्रों के साथ आहुति दें । हवन सामग्री में कमल गट्टा अवश्य डालें, इसे शुभ माना जाता है।.
मंत्र जाप और आरती
पूजा के दौरान ‘या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। पूजन के बाद मां दुर्गा की आरती करें और उनसे अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की प्रार्थना करें।

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