
Dowry Murder Case in Pilibhit
Dowry Murder Case in Pilibhit ने पूरे यूपी को हिला कर रख दिया
संवाददाता: करन देव शर्मा | पीलीभीत, यूपी
समाज की ये कैसी सोच है, जहां बेटी को बहू बना कर विदा तो किया जाता है लेकिन कुछ घर उसे विदा से पहले ही “विदा” कर देते हैं! Dowry Murder Case in Pilibhit की यह वारदात ठीक वैसी ही है, जैसे किसी ने अपनी हवस, लालच और हैवानियत का गठबंधन करके एक मासूम ज़िंदगी को निगल लिया हो। रजनी देवी अब हमारे बीच नहीं हैं, क्योंकि उसका कसूर सिर्फ इतना था — उसने बाइक और दो लाख की रिश्वत नहीं दी थी!
🧨 दहेज: ये सिर्फ मांग नहीं, अब मौत का फरमान है
Dowry Murder Case in Pilibhit ने उजागर किया ‘सुसंस्कृत दरिंदगी’ का चेहरा
रजनी देवी की शादी मई 2019 में सतीश कुमार से हुई। पिता लाल सिंह ने बेटी की शादी में न केवल ₹70,000 खर्च कर जन सेवा केंद्र खुलवाया, बल्कि उम्मीद भी लगाई थी कि अब बेटी ससुराल में चैन से रहेगी। मगर ये उम्मीद जल्द ही चिट्ठी की तरह फाड़ दी गई। दहेज में बाइक और दो लाख की डिमांड रोज़मर्रा का ज़हर बन गई। रजनी को प्रताड़ना की आग में झोंक दिया गया, और फिर… उसका शव 30 मई को हरदोई ब्रांच नहर से बरामद हुआ।
दहेज हत्या का ये केस केवल केस नहीं, समाज के मुंह पर जड़ा गया वो तमाचा है जिससे आज भी खून टपक रहा है।
☠️ नहर नहीं, ये दहेज के ज़हर की गहराई है!Dowry Murder Case in Pilibhit
पति बोला – “गांव में छोड़ दिया था”, लाश बोली – “मुझे मारा गया है!”
1 जून को पति सतीश ने गांव के प्रधान को फोन कर बताया – “मैंने तो रजनी को गांव में ही छोड़ा था!”
जैसे वो कोई फालतू सामान हो और नहर उसकी डस्टबिन! लेकिन हकीकत इससे कई गुना ज़हरीली थी —जांच में खुलासा हुआ कि ये एक ‘कूल माइंडेड मर्डर’ था। सोचिए, पहले पीटा, फिर मारा, फिर शव को ठिकाने लगाया और ऊपर से झूठ का चादर ओढ़ा दिया।
👨👩👧👦 पूरा ससुराल बना ‘संयुक्त हत्यारों का परिवार’
FIR में पति, भाई, सास, ससुर, ननद, नंदोई — सब शामिल!
इस हत्याकांड में सिर्फ पति ही नहीं, बल्कि ससुराल का हर कोना खूनी निकला।
FIR में नामजद आरोपी:
पति: सतीश कुमार
भाई: सुशील कुमार
सास: दुलारो देवी
ससुर: हेत्राम
ननद: राधा, माया, ममता
नंदोई: गुलाब सिंह
इन सब पर धारा 304B, 498A और 201 के तहत केस दर्ज हो चुका है। पूरा गांव दहल गया, और अब Dowry Murder Case in Pilibhit बन चुका है यूपी की सबसे बड़ी दहेज हत्याओं में से एक।
🔥 दहेज – ये अभी भी हमारे समाज का ज़िंदा अभिशाप है!
कब खत्म होगा यह घातक गठबंधन – लालच + रिश्ते + चुप्पी?
दहेज आज भी औरतों को निगल रहा है। ये कोई कानून की हार नहीं, ये हमारी सोच की हार है। बेटी को पढ़ा-लिखा कर विदा करो या बाइक के साथ सौंप दो — यही सवाल हर पिता से किया जा रहा है!
पीलीभीत में हुई दहेज हत्या जैसे केस हर बार हमें एक ही आईना दिखाते हैं —
हम भले चांद पर जा रहे हों, लेकिन घर में बेटी को दहेज का चांद नहीं लाओगे तो वो वापस लौटकर नहीं आएगी — उसकी लाश जरूर आएगी।