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Dharamsala Manuni Flash Flood: धर्मशाला फ्लैशफ्लड में श्रमिकों की मौत का कसूरवार कौन – मई में किया था आगाह…क्यों सरकार ने नहीं दिया ध्यान? मनुनी-2 हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट
रिपोर्टर: आदित्य श्रीवास्तव – हिमाचल ब्यूरो
Dharamsala Manuni Flash Flood: धर्मशाला, 28 जून 2025 — हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्माणाधीन मनुनी-2 हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट हाल ही में आए फ्लैशफ्लड के बाद चर्चा में है…लेकिन यह परियोजना पहले से ही विवादों के घेरे में थी। मई 2025 में हुई एक सरकारी जांच में इस परियोजना से जुड़े पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन और स्थानीय बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाने के कई गंभीर मामले सामने आए थे।
मई 2025 में शुरू हुई जांच..क्या पता चला? – Dharamshala Hydro Project Khulasa
30 मई को धर्मशाला के एसडीएम मोहित रत्तन ने अपनी जांच रिपोर्ट में मनुनी-2 पावर प्रोजेक्ट के अनधिकृत कार्यों और पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी का खुलासा किया था। इस जांच का आधार सौकणी दा कोट पंचायत की शिकायत थी… जिसमें अवैध खनन और जल ढांचे के क्षरण का मुद्दा उठाया गया था।
SDM की जांच रिपोर्ट में पाया गया कि परियोजना के तहत अत्यधिक खनन और स्टोन क्रशिंग गतिविधियों ने मनुनी खड्ड को प्रदूषित किया। इसी का नतीजा है कि हाल की बाढ़ ने और अधिक तबाही मचाई। इन गतिविधियों ने न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया। बल्कि स्थानीय समुदाय के लिए भी गंभीर समस्याएं खड़ी कीं।
पर्यावरण और जनस्वास्थ्य पर प्रभाव – Dharamshala Hydro Project Khulasa
जांच में सामने आया कि परियोजना की गतिविधियों ने सौकणी दा कोट और आसपास के गांवों जैसे खनियारा, रक्कड़, डाड़ी और सिधबाड़ी की जलापूर्ति को भारी नुकसान पहुंचाया। पेयजल पाइपलाइन में सिल्ट और रेत जमा होने से लगभग 3,800 लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हुए, जिससे उनके स्वास्थ्य पर खतरा मंडराने लगा।
जल शक्ति विभाग को सिल्ट जमा होने से 15 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ, जबकि 300 मीटर लंबी 65 मिमी की ग्रैविटी पाइपलाइन पूरी तरह नष्ट हो गई…जिससे 3 लाख रुपये का अतिरिक्त नुकसान दर्ज किया गया।

अवैध खनन और स्टोन क्रशर का खेल – Dharamshala Hydro Project Khulasa
खनन विभाग ने परियोजना पर पहले ही दो चालान जारी किए थे और 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था, क्योंकि परियोजना प्रबंधन बिना अनुमति के स्टोन क्रशर चला रहा था। जांच में पाया गया कि दो स्टोन क्रशर — एक रेत निकालने और दूसरा 40 मिमी ग्रैवल बनाने के लिए — बिना वैध अनुमति के संचालित हो रहे थे। परियोजना प्रबंधन ने इन्हें “ट्रायल रन” बताया, लेकिन मौके पर पाए गए साक्ष्य बताते हैं कि ये क्रशर नियमित रूप से चल रहे थे।
मनुनी खड्ड से अवैध रूप से रेत निकाली जा रही थी… और इसके किनारों पर रेत और ग्रैवल के बड़े-बड़े ढेर जमा किए गए थे, जो पर्यावरण के लिए खतरा होने के साथ-साथ कानूनी अपराध भी हैं।
जल प्रदूषण और जांच के इंतजार में नमूने – Dharamshala Power Project Negligence
जल शक्ति विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मनुनी खड्ड के पानी के नमूने एकत्र किए हैं….जिनकी लैब रिपोर्ट का इंतजार है। जांच में यह भी पाया गया कि परियोजना प्रबंधन स्टोन मटेरियल्स को धोने के लिए खड्ड के पानी का उपयोग कर रहा था। इससे सिल्ट और प्रदूषक तत्व सीधे नदी में मिल रहे थे।

25 जून को आई बाढ़ में बहे थे 20 मजदूर – Dharamshala Power Project Negligence
25 जून को कांगड़ा जिले में भारी बारिश के दौरान हादसा हुआ था। जलविद्युत परियोजना स्थल के पास एक श्रमिक कॉलोनी में रह रहे लगभग 15 से 20 श्रमिक खनियारा मनुनी खड्ड में जल स्तर बढ़ने के कारण बह गए थे। बाद में सर्च ऑपरेशन में मनुनी खड्ड से 5 श्रमिकों के शव बरामद किए गए थे..दावा है कि उस हादसे में कई श्रमिक लापता हो गए। अधिकारियों ने बताया था कि बारिश के कारण परियोजना का काम रोक दिया गया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भी धर्मशाला के इस हादसे पर दुख व्यक्त किया था। कांगड़ा के जिला मजिस्ट्रेट हेमराज बैरवा ने धर्मशाला में बाढ़ की त्रासदी की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश भी दिए हैं।
कौन देगा जवाब…मौतों का कैसे होगा हिसाब? – Dharamsala Manuni Flash Flood Khulasa
जानकारों के भी मुताबिक धर्मशाला के पास खनियारा के मनुनी-2 हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट की अनियमितताओं ने न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है। बल्कि हाल की फ्लैशफ्लड त्रासदी ने इस प्रोजेक्ट से जुड़े सवालों को और भी बड़ा और गंभीर बना दिया है। स्थानीय प्रशासन अब इस मामले में सख्त कार्रवाई की तैयारी में है….और जनता के बीच इस परियोजना के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
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